ज़िन्दगी की सच्चाई बताते दादा जी के दस सबक
अभिषेक की दादा जी उसे बहुत मानते थे और बचपन से ही उसका ख़याल रखते थे। दादा जी की एक आदत थी कि वे हमेशा अपने साथ एक डायरी लेकर चलते थे। अभिषेक अक्सर उन्हें ऐसा करते देखता और पूछता , “ दादा जी … बताइए न आप इस पर क्या लिखते हैं ?” दादा जी उसकी बात हँस कर टाल देते और कहते , “ तू नहीं समझेगा …” अभिषेक अब बड़ा हो चुका था और दादा जी करीब 90 वर्ष की हो चुके थे। उस रात भी सभी लोगों ने साथ खाना खाया और अपने-अपने कमरों में सोने चले गए ….. पर दादा जी ने अगली सुबह नहीं देखी … उनका देहांत हो चुका था। अभिषेक के लिए ये किसी सदमे से कम नहीं था , वह फूट-फूट कर रोया , दादा जी के साथ बिताया एक-एक पल उसकी आँखों के सामने से गुजरने लगा! अंतिम संस्कार के बाद जब अभिषेक उनके कमरे में गया तो उसकी नज़र उस डायरी पर पड़ी … अभिषेक पन्ने पलटने लगा … आखिरी पन्ने पर लिखा था: ये मेरे लाडले अभिषेक के लिए — अभिषेक ने पढना शुरू किया- बेटा अभिषेक तू हेमशा पूछता था न मैं इस डायरी में क्या लिखता हूँ …. तो आज मैं तुम्हे कुछ बताना चाहता हूँ …. आज मैं तुम्हे अपने जीवन के अनुभव का निचोड़ देना चाहता हूँ …....