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कश्यप मौलिक हिंदी कहानि -हिंदी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखक हैं कश्यप

 वह अकेली थी. उसका पति कहीं चला गया था जब कश्यप बस ३ साल के थे. वह सुन्दर बहुत थी. स्टेज पर रोल बड़ी आसानी से मिल गया उसे – पहला ही रोल हीर का. जब काम पर जाती तो नन्हें कश्यप को किसके भरोसे छोड़ जाती? तो उसके शो के समय वह सबसे आगे की सीट पर होता. हीर का अंत कुछ बदल दिया गया था, जूलिएट से प्रेरणा लेकर. कश्यप अपनी माँ को अपने सीने में खंजर उतारते देखता. पर्दा गिरते ही मेनेजर उसे पीछे ले जाता, और माँ फिर जीवित मिलती. अब यह तो मैं नहीं जानता की ऐसा वातावरण एक बच्चे के लिए ठीक है या नहीं. पर हाँ, इसकी छाप उनकी लेखनी पर बड़ी गहरी पड़ी. चार सौ वर्ष पूर्व वह जब वे मेगासिटी आएं थे, उनकी आखें हर ओर मृत्यु को ही ढूंढ रही थी. उनकी लेखनी में आत्मकथा तो बिलकुल भी नहीं है. पर जो कुछ उन्होंने लिखा है वह उनके अपने अनुभावों का एक अजीब सा विस्तार ही है. अपने शुरूआती नायकों की तरह ही उन्हें भी अजीब सनकें थीं. जब वे मेगासिटी आए थे, उस समय वे हमेशा अपनी जेब में एक चांदी का सिक्का रखते थे. उस सिक्के पर एक ओर सरस्वती और दूसरी ओर गणेश बने थे. हर पंद्रह-बीस मिनट में वे उस सिक्के को निकाल कर देखते, और वापस अन्दर रख

लैंप एवं डिब्बी का दौर 1990

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 लैंप एवं डिब्बी का दौर।  1990 के दशक में होश संभालने वाले बच्चों का बचपन शायद ही लैंप एवं डिब्बी के नाम से अछूता रहा हो। हो सकता है अलग अलग स्थान पर इन दोनो ही प्रकाश के स्रोतों को अलग अलग नाम से बुलाया जाता हो, लेकिन उस समय के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए ये एक मुख्य स्त्रोत हुआ करते थे। ऐसे पाठकों को जिन्होंने इन दोनो वस्तुओं के बारे मे नही सुना हो, उनके लिए दो चित्र नीचे लगा रहा हूं, एवं इन्ही दोनो चीजों से जुड़ी कुछ खट्टी मीठी बातें इस लेख के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूं।  उत्तरप्रदेश के सहारनपुर जिले के छोटे से गांव में, जहां मैं रहता हूं, वहां पर एवं उसके आसपास के गांव में रात के समय, प्रकाश का मुख्य स्त्रोत हुआ करते थे : लालटेन, लैंप एवं डिब्बी। ये तीनों ही इसी क्रम में किसी परिवार की स्मृद्धि को भी दर्शाया करते थे। ज्यादा स्मृद्ध परिवारों के पास लालटेन हुआ करती थी, एवं कुछ परिवार जो लैंप खरीदने को दकियानूसी मानते थे, वो पुरानी कांच की बोतलों का प्रयोग करके डिब्बी बना लिया करते थे। वैसे यहां पर ये भी बताना जरूरी है की अधिकांश परिवारों में दो से तीन लैंप व बाकी अन्य जगहों पर रखन

Does a life of simplicity lead to more happiness than a life of luxury?

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  The pursuit of luxury comes from the belief that “If I will have this and this, I will be happy”. When the luxury finally comes, the previous belief is most likely to not become fulfilled, and thus the material chase begins, a chase meant to further reinforce ourselves from the eventual subconscious understanding that “this and this doesn’t really make me happy after all, and thus I have wasted a lot of time from my life, getting things that didn’t really made me any happier”. Pursuing simplicity is based on the belief that “I don’t need this and that to be happy; I can be happy without them”. Hence, the pursuit of simplicity is not necessarily for the sake of simplicity itself, but rather for the sake of mental independence or emotional independence from external criteria to determine our feelings, or from the belief that external criteria always determine our feelings. Therefore, a life of simplicity by itself, without the matching mindset to that lifestyle, won’t necessarily make

Airtel Launches 5G In 8 Cities, To Cover Entire Country By March 2024

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 Sunil Bharti Mittal said that Airtel will roll out 5G services in several cities across the country by March 2023 and across India by March 2024. Bharti Airtel's 5G service will be available in eight cities from Saturday, its chairman Sunil Bharti Mittal said at India Mobile Congress.  With this, Bharti Airtel has become the first company to launch 5G services in the country. "When you (Prime Minister) will launch 5G today. 5G from Airtel will be available in 8 cities - Delhi, Mumbai, Varanasi, Bangalore and other cities," Mr Mittal said. He also said that Airtel will roll out 5G services in several cities across the country by March 2023 and across India by March 2024. According to a senior company official, Airtel 5G services will be available at existing 4G rates and a new tariff for 5G will be announced after some time.  The officer said the 5G services are also being launched in Chennai, Hyderabad and Siliguri. Bharti Airtel Chief Technology Officer Randeep Singh Se

बागेश्वर धाम Bageshwar Dham जहां आपको हर समस्या से निजात मिलेगी

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 बागेश्वर धाम Bageshwar Dham जहां आपको हर समस्या से निजात मिलेगी बागेश्वर धाम Bageshwar Dham भूत भवन महादेव और स्वयंभू श्री बालाजी सरकार का चमत्कारी जीवंत स्थान है। श्री बालाजी महाराज का यह मंदिर ग्राम-गढ़ा पोस्ट-गंज जिला-छतरपुर, मध्य प्रदेश में स्थित है। बागेश्वर धाम में बालाजी जी का भव्य मंदिर है। बागेश्वर धाम के दर्शन के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री धाम में आने वाले सभी भक्तों की पीड़ा का समाधान बताते हैं। अगर आप किसी बुरी आत्मा के साये में हैं और किसी ने आप पर काला जादू कर दिया है तो बागेश्वर धाम में आकर आप इन प्रेत आत्माओं से छुटकारा पा सकते हैं। बागेश्वर धाम की कहानी – Story of Bageshwar Dham साथियों, इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1986 में किया गया था।इसके बाद 1987 या उसके आसपास बब्बा जी श्री सेतु लाल जी महाराज के नाम से जाने जाने वाले एक संत ने वहां अपना रास्ता बनाया। वे भगवान दास जी महाराज के नाम से भी गए।इसके बाद बाबा जी ने वर्ष 1989 में बागेश्वर धाम में एक बड़े महायज्ञ की योजना बनाई। श्रद्धालुओं की समस्याओं के सम

हाथों में कड़ा पहनने के फायदे इसे धारण करने के नियम

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 Astro for Kada: कुछ राशि वालों को चांदी का तो कुछ को तांबे का कड़ा पहनना चाहिए, वहीं कई लोगों के लिए लोहे का कड़ा शुभ माना जाता है. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इसे यूं ही नहीं पहनना चाहिए.इसे धारण करने के लिए भी कुछ नियम बताए गए हैं. हाथ में कड़ा पहनना आजकल फैशन में है। लकड़ा हो या लड़की सोना-चांदी या अन्य धातुओं के कड़े पहनने का काफी शौक रखते हैं.फैशन के अलावा अलग अलग प्रकार के कड़े पहनने के अपने महत्व हैं. कुछ राशि वालों को चांदी का तो कुछ को तांबे का कड़ा पहनना चाहिए, वहीं कई लोगों के लिए लोहे का कड़ा शुभ माना जाता है. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इसे यूं ही नहीं पहनना चाहिए.इसे धारण करने के लिए भी कुछ नियम बताए गए हैं. अगर इनका पालन करते हुए इसे धारण किया जाए तो यह किस्‍मत बदल देते हैं. कड़ा पहनने के लाभ और नियम: चांदी का कड़ा ज्‍योतिष शास्‍त्र के मुताबिक अगर कोई जातक चांदी का कड़ा धारण करता है तो मां लक्ष्‍मी उस पर प्रसन्‍न होती हैं. उनकी कृपा से जातक की लाइफ में किसी भी तरह की कमी नहीं होती. चांदी का कड़ा पहनने से चंद्रमा और शुक्र दोनों ही ग्रह मजबूत होते हैं.चंद्रमा ग्रह से जुड़े हुए

हम जिंदगी में धोखा क्यों खाते हैं?

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 हम जिंदगी में धोखा क्यों खाते हैं? 1. आपकी शक्ल भारी दुनिया में इज्जत पाने के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक है। लोग आपके अंदरूनी सुंदरता से ज्यादा बाहर की सुंदरता को देखते हैं। 2. बुरे समाचार तथा गंदी फिल्में आपके मस्तिष्क पर बहुत ही ज्यादा नकारात्मक प्रभाव डालते हैं 3. किसी को आपसे प्यार करने के लिए मजबूर ना करें क्योंकि किस प्रकार का रिश्ता कभी सफल नहीं होता। 4. screenshot के जमाने में अपनी सीक्रेट बातों को किसी के साथ साझा ना करें। जब आप अपनी बात को तक नहीं रख सकते तो आप दूसरों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं। 5. अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो वह करें जो आप करना चाहते हैं पर इस बात का ध्यान रखें कि क्या वह आपके परिवार और आपके लिए अच्छा है 6. अगर आप अपने जीवन में सुखी रहना चाहते हैं तो अपने करीबी व्यक्ति से भी उम्मीद ना करें। आपका जीवन आपकी जिम्मेदारी है। 7. जो व्यक्ति अपनी कामवासना पर नियंत्रण कर सकता है वह व्यक्ति अपने जीवन में सफलता को बहुत ही तेजी से पा सकता है। मैं आशा करता हूं आपको हमारे यह 7 पॉइंट पसंद आए होंगे अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई तो इसे अपना प्यार जरूर दे👇 Like and Share kanra n