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Showing posts from October, 2015

कोशिश कर, हल निकलेगा

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कोशिश कर, हल निकलेगा आज नही तो, कल निकलेगा। अर्जुन के तीर सा निशाना साध, जमीन से भी जल निकलेगा । मेहनत कर, पौधो को पानी दे, बंजर जमीन से भी फल निकलेगा । ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे, फौलाद का भी बल निकलेगा । जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को, समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा । कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की, जो है आज थमा-थमा सा, वो चल निकले

एक मेहनती आदमी : कहानी

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अपने काम से परिवार के लिए समय निकालो : एक कहानी  एक आदमी था जो बहुत ही मेहनती था. वो अपने परिवार की living support के लिए ब्रेड बेचने का काम करता था. मेहनती आदमी   उसकी एक पत्नी और तीन बच्चे थे. वो उन्हें बहुत चाहता था. वो सारा दिन काम करने के बाद रात को पढाई करने के लिए classes जाता था. वो चाहता था की उसे एक अच्छी और better job मिल जाये. ताकि वो अपने परिवार को सारी खुशिया और अच्छी lifestyle दे सके. इसमें कुछ बुरा भी नहीं था. हर व्यक्ति यही चाहता है की उसे और उसके परिवार को कोई कमी न रहे. वो रात दिन बहुत मेहनत करता. पर इस बीच वो अपने परिवार को बिलकुल भी समय नहीं दे पता था. जब भी उसके परिवार वाले उसे शिकायत करते की वो उन्हें समय नहीं देता. तो वो यही कहता की मैं ये सब तुम सब के लिए ही तो कर रहा हूँ. वो भी हमेशा अपने परिवार के साथ रहना चाहता था. पर उसे उसके काम इसका अवसर नहीं देते. अब आखिर वो दिन आ ही गया, जब उसके results announce होने वाले थे. उसकी उम्मीद के मुताबिक, वो बहुत ही अच्छे marks से paas हुआ. और कुछ ही समय बाद उसे एक बहुत अच्छी job भी मिल गयी

ज़िन्दगी पर कविता

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तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर, अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर! सुबह औ' शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर, तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूमकर, तू आ मेरा सिंगार कर, तू आ मुझे हसीन कर! अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!.... तू ज़िन्दा है ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन, ये दिन भी जाएंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन, कभी तो होगी इस चमन पर भी बहार की नज़र! अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!.... तू ज़िन्दा है हमारे कारवां का मंज़िलों को इन्तज़ार है, यह आंधियों, ये बिजलियों की, पीठ पर सवार है, जिधर पड़ेंगे ये क़दम बनेगी एक नई डगर अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!.... तू ज़िन्दा है हज़ार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर मगर तुझे न छल सकी चली गई वो हार कर नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!.... तू ज़िन्दा है ज़मीं के पेट में पली अगन, पले हैं ज़लज़ले, टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये, मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम, अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!.... तू ज़िन्दा

सफलता चाहिए तो संदेह को ऐसे करें दूर

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म जो जिंदगी जीने के हकदार हैं, संदेह उसमें बड़ी बाधा है। संदेह महत्वाकांक्षाओं को खत्म कर देता है और हमें वह सब हासिल करने से रोकता है, जो हम आसानी से हासिल कर सकते हैं। इससे बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए... 1. हम उन पांच लोगों के औसत के बराबर होते हैं, जिनके साथ हम ज्यादातर वक्त बिताते हैं। ब्रेन साइंस रिसर्च बताती है कि 20 मिनट की बातचीत में भी मस्तिष्क में न्यूरल कनेक्शन बदल जाता है। संदेह का बीज किसी मुलाकात में भी पड़ सकता है। इसीलिए सही दोस्त चुनना चाहिए। 2. कौन-सी स्थितियां हैं जो आपमें सदेंह जगाती हैं? कोई कमी है तो उसे दूर करें। कोई भी हुनर, कभी भी सीखा जा सकता है। 3. नाकाम होने पर खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। यदि कोई काम सही ढंग से नहीं हो पा रहा है तो भावनात्मक और मानसिक संतुलन बनाए रखें। शांति काम करें। Source: http://religion.bhaskar.com/news/JM-SEHE-self-help-tips-about-success-5133786-NOR.html Danik bhasker