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Showing posts from September, 2016

ममता ओर पिता का प्यार नसीब वालो को मिलता है

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पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और पति बार बार उसको अपनी हद में रहने की कह रहा था लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि " उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारे और मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आया अंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।। बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा दे मारा अभी तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी । पत्नी से तमाचा सहन नही हुआ वह घर छोड़कर जाने लगी और जाते जाते पति से एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यूं है.. ?? तब पति ने जो जवाब दिया उस जवाब को सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना तो उसका मन भर आया पति ने पत्नी को बताया कि " जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गए मां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जो कमा पाती थी उससे एक वक्त का खाना आता था मां एक थाली में मुझे परोसा देती थी और खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी और कहती थी मेरी रोटियां इस डिब्बे में है बेटा तू खा ले मैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह

। कुछ भी हो इसे सोशल नेटवर्किंग का कमाल ही कहेंगे। :)

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मेरे आसपास की महिलायें ( चाची , ताइजी , अम्मा , बुआजी , और मेरी माँ भी ) जो आधी उम्र गुज़रने के बाद भी उन गलियों , मौहल्लों , बाजारों और आसपड़ोस के घरों को नहीं घूम पायीं , जहाँ सालों पहले ब्याह कर आई थीं। घूमती भी कैसे !! बुलावा ( बुलौआ ) और आसपास के मंदिरों तक जाने के लिए जिन्हें नाक तक पल्लू खिसकाए और साड़ी को हाथ से जरा ऊँचा उचकाए चलना पड़ा हों , वो कैसे ठीक - ठीक देख पाती कुछ भी ?? पर पिछले 2-3 सालों में वही महिलायें बहुत से दायरे लाँघकर , आत्मविश्वास से भरी हुयीं दिखती हैं।   कुछ भी हो इसे सोशल नेटवर्किंग का कमाल ही कहेंगे।   :)   और उन बच्चों , पतियों की मेहनत भी , जो उन्हें इस दुनिया में लाये , उन्हें सिखाया और समझाया। यही वजह है कि बहुत कुछ बदला - बदला सा नजर आता है अब...गालियाँ , मोहल्लें , बाजार भले भी अब भी ना खंगाले गए हों लेकिन उनकी ज़िन्दगी और रहन , सहन का तरीका बहुत बदला है। जो कल तक बुलावा जाने से पहले बताशा भरने के लिए सबसे जरुरी चीज हाथ में रुमाल होना समझती थीं , वो आज घर से निकलते हुए पूछती हैं " अरे मोबाइल कहाँ रख दिया मैंने "   :)   इस बात से भी इ

क्या लेके आया बन्दा क्या लेके जाये गा

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पढोगे तो रो पड़ोगे जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो , दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई। फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी। और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म , गुलाबी , रसीले , सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना , रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए। और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार । समय कैसे फटाफट निकल गया , पता ही नहीं चला। इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया , बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला। बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी , मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त , बच्चे की जिम्मेदारी , शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक

गाँव ,क़स्बा या छोटे शहर में रहने वाले लोग अक्सर बड़े शहरों में बेहतर भविष्य तलाशते हैं फिर चाहे वो शिक्षा हो या उनका काम ...

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सकरी गलियों के बीच बने मकान का छोटा सा कमरा या गगनचुम्बी इमारतों के अन्दर बसा छोटा सा संसार ...जहाँ रखी हर चीज , जगह के आभाव में बोझ सी लगती है , बोझ इसलिए , क्यूँकी कमरे का हर कोना मेहनत की कमाई से किराये पर लिया है...सैलरी बढ़ेगी तो कमरा भी बढ़ेगा ... और ज्यादा बढ़ेगी ...तो खर्चों में कटौती कर बड़े शहर में अपना भी छोटा सा आशियाना हो जायेगा ... कम से कम हर महीने के किराये की किल्लत से छुटकारा मिलेगा ...पर उस वक़्त सिर्फ किराये का वो कमरा ही तो जरूरतों में शामिल नहीं होता !!! जरूरतें   और भी होती हैं..खाना , पानी , बिजली , कपड़ा , दूर बसा पूरा परिवार , कुछ दोस्त और भी बहुत कुछ !!! सबको संभालना है ... सब कुछ देखना है """ !!!! दिमाग के किसी कोने में ये सब चीजे लेकर बैठता है एक नौकरीपेशा इन्सान ... खासकर वो , जो घर परिवार छोड़कर आ जाता है दौड़ती , भागती ज़िन्दगी वाले शहर में ... जहाँ हफ्ते के 6 दिन ऑफिस की चार दीवारों में सिमट जाते हैं ... और 1 दिन बिखरे पड़े कमरे और खुद को सँभालने में ...   :-) गाँव , क़स्बा या छोटे शहर में रहने वाले लोग अक्सर बड़े शहरों में बेहतर

राजस्थान का एक ऐसा गाँव जहाँ नहीं है एक भी चाय और शराब की दूकान __ अगर कोई बेचते मिलता है तो लगता है जुर्माना __ पढ़े पूरी खबर

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राजस्थान का एक ऐसा गाँव जहाँ नहीं है एक भी चाय और शराब की दूकान __ अगर कोई बेचते मिलता है तो लगता है जुर्माना __ पढ़े पूरी खबर _ मायापुर गांव स्थित किराने की एक दुकान पर बैठे बुजुर्ग। 500 घरों की बस्ती वाला मायापुर गांव , यहां चाय की दुकान खोलने पर जुर्माने का प्रावधान है। राजस्थान के अजमेर से 18 किमी दूर पीसांगन पंचायत समिति का मायापुर गांव। 500 घरों की बस्ती में करीब 5 हजार लोगों की आबादी है। गांव के 400 सालों के इतिहास में अब तक यहां चाय की एक भी दुकान नहीं खुली। बुजुर्ग ग्रामीणों का तर्क है कि चाय की दुकान पर युवा गपशप लगाकर अपना कीमती समय व्यर्थ गंवाते हैं , इससे बेरोजगारी भी बढ़ती है। साथ ही चाय से शरीर में तरह - तरह के नुकसान भी होते हैं। - गांव में चाय बेचने पर 501 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। किसी गांव में चाय की दुकान नहीं होने वाला संभवत: यह राज्य का ही नहीं , बल्कि देश का एकमात्र गांव है। - इसके साथ ही इस गांव में शराब के ठेके भी नहीं हैं। यहां तक कि बाहर से शराब पीकर आने वालों से 5001 रुपए जुर्माना वसूला जाता है। - मायापुर गांव रतना

अब फ़ोन 4G नेटवर्क सपोर्ट करेगा आपका 3G स्मार्टफोन

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मोबाइल स्पेसिफिक कोड TRICK: अपने 3G स्मार्टफोन में ऐसे चलाएं रिलायंस जिओ 4G सिम गैजेट डेस्क। रिलायंस जिओ 4G सिम भले ही आसानी से मिल जाए, लेकिन इसे चलाने के लिए 4G (LTE) हैंडसेट की जरूरत होगी। यानी हो सकता है कि आपको फ्री की सिम के लिए कम से कम 3 हजार रुपए वाला 4G हैंडसेट लेना पड़े। हालांकि, सभी यूजर्स को ऐसा करने की जरूरत नहीं है। एक आसान ट्रिक की मदद से आप अपने 3G हैंडसेट में भी ये सिम इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे हैं रिलायंस जिओ सिम में मिल रहे ऑफर... रिलायंस जिओ 4G सिम के प्रिव्यू ऑफर :- - 90 दिनों तक अनलिमिटेड 4G डाटा - 90 दिनों तक अनलिमिटेड कॉल फ्री  यदि आपका स्मार्टफोन 3G नेटवर्क पर काम करता है और उसमे रिलायंस जिओ 4G सिम इस्तमाल करना है, तो उसमे ये दो फिचेर्स का होना बहुत जरुरी है|  एंड्राइड 4.4 किटकेट OS या इससे अधिक- मीडियाटेक चिपसेट 3G स्मार्टफोन में रिलायंस जिओ 4G सिम यूजकरने के लिये यूजर को एक App install करनी होगी| इस app का नाम ‘MTK Engineering Mode’ है | इस app का size 169 KB है | स्टेप 3   ‘MTK Engineering Mode’ app से स्मार्टफोन में कुछ एडवांस सेटिंग

ग्रीन टी पीने के फायदे-benefits of green tea

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ग्रीन टी पीने के फायदे चाहे भारत हो या विश्व का कोई भी कोना हर देश के के लोग अपनी दिन की शुरुआत चाय की चुस्कियो के साथ करना पसंद करते है | कई लोग का यह एक आदत भी बन जाता है वे चाहे सुबह के समय अख़बार पढ़ रहे हो या फिर शाम को office से घर लौटे हो | हम अक्सर अपने काम करते रहने के दौरान या फिर अपने काम से ब्रेक ले कर चाय पीना पसंद करते है | इसकी रोजाना खपत इतना अधिक होने के कारण इसकी मांग भी काफी अधिक होती है अपने स्वाद एवं रंग के अनुसार चाय दो प्रकारों होते है लाल / काली चाय – इस प्रकार की चाय का निर्माण पत्तो को भाफ़ दे कर सुखाने से होती है | जिससे उनके रंग गहरे एवं काले हो जाते है | भाप देने की प्रक्रिया के कारण इनमे caffeine की कुछ मात्रा कम हो जाती है हरी चाय (Green Tea) – इस प्रकार की चाय को बनाने के लिए चाय की पत्तियों को सीधे धुप में सुखाते है जिससे चाय का रंग ज्यादा परिवर्तित नहीं हो पाता और रंग हरा रहता है | इस प्रकार की चाय में caffeine की मात्रा अधिक मिलती है हरे चाय green tea में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बूस्ट boost करने की छमता मिलती है | इसमें पाए जाने वाले