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Showing posts from January, 2019

Demand of cashew to rally in coming months

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Demand of cashew to rally in coming months Global demand for the cashew kernel has surged 53% since 2010, surpassing production in at least four of the past seven years. The cashew market is estimated to firm up this year with demand expected to rally in the coming months,traders said. India’s exports are seen lower with Vietnam capturing the market and Indian processors catering to the growing domestic market. India produces 6-7 million tonne raw cashew annually and had been  till recently the leading supplier of kernels to global markets. Pratap Nair of Vijayalakshmi Cashews, one of the oldest cashew exporting companies, and chairman of the International Nut and Dried Fruit Council Congress said the market would firm up by April and expects a stable market in 2019. According to Pankaj Sampat of Mumbai-based Samsons Traders, the market will see higher prices in the second half (H2) of 2019 with W320 to trade around $4 per pound for some time with a strong p

दहेज केस में फंसाए गए पीड़ित पुरुषों के लिए लड़ रहीं दीपिका नारायण

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औरतों पर आए दिन जुल्म-ज्यादतियों के मद्देनजर भारत सरकार को भी घरेलू हिंसा कानून बनाना पड़ा। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में तमाम नारीवादी संगठन स्त्रियों को समान अधिकार बहाल कराने का संघर्ष जारी रखे हैं, ऐसे में जब कोई औरत पीड़ित पुरुषों को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़े, बात बिना वजह नहीं लगती है। और यह लड़ाई लड़ रही हैं दीपिका नारायण भारद्वाज। पुरुषों के अधिकार की लड़ाई लड़ रही हैं दीपिका नारायण डाक्युमेंट्री फिल्म भी बनाती हैं। उन्होंने सन् 2012 में पुरुष पक्षधरता के इस मुद्दे पर रिसर्च शुरू किया। उस दौरान उन्हे पता चला कि ज्यादातर दहेज प्रताड़ना के मामले झूठे हैं। हमारे देश में, जहाँ हर पंद्रह मिनट में एक रेप की घटना दर्ज होती है, हर पाँचवें मिनट में घरेलू हिंसा का मामला सामने आता है, हर 69वें मिनट में दहेज के लिए दुल्हन की हत्या हो जाती है और हर साल हज़ारों की संख्या में बेटियां पैदा होने से पहले ही गर्भ में मार दी जाती हैं, ऐसे सामाजिक परिवेश में दीपिका नारायण पत्थर पर दूब उगाने में व्यस्त हैं। उनके कुछ सवाल हैं, जो असंगत नहीं। वह पूछती हैं कि 'क्या मर्द असुरक्षित न

विदेश में 45 लाख रुपये सलाना की नौकरी छोड़ बने किसान, आज खेती में कमा रहे अच्छा मुनाफा !!!!!!!!

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लखनऊ : आज कई लोगों का मानना है कि खेती अब फायदे का सौदा नहीं है। किसान अपनी कड़ी मेहनत से अगर फसल पैदा भी कर लेता है तो कहीं फसल खराब मौसम के कारण या फसल रोग या अन्य कारणों से उत्पादन अच्छा नहीं दे पाती है। ऐसे ही अन्य कई कारण हैं, जिस वजह से वे खेती-किसानी को अब मुनाफे का सौदा नहीं मानते हैं और कृषि छोड़कर शहरों में नौकरी करने के लिए पलायन करते हैं। मगर आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताते हैं कि जो विदेश में नौकरी कर 45 लाख रुपये वार्षिक कमाता था, बावजूद इसके उन्हें नौकरी रास नहीं आई और चार साल बाद नौकरी छोड़कर खेती करने के लिए अपने गाँव वापस चला आया।  आज यही शख्स अपने गाँव में न केवल खेती से लाखों का मुनाफा कमाता है, बल्कि अपने बेटे के इस फैसले से उसके माता-पिता भी बहुत खुश हैं। कतर के सरकारी तेल कंपनी में लगी नौकरी...... यह शख्स हैं रायपुर के बागबाहरा क्षेत्र के चारभांठा गाँव निवासी मनोज नायडू। मनोज नायडू ने मेटलर्जिकल (मेटल से संबंधित इंजीनियरिंग) इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंजीनियरिंग करने के बाद मनोज की नौकरी सऊदी अरब के कतर में एक सरकारी तेल कंपनी