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Showing posts from December, 2022

कश्यप मौलिक हिंदी कहानि -हिंदी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखक हैं कश्यप

 वह अकेली थी. उसका पति कहीं चला गया था जब कश्यप बस ३ साल के थे. वह सुन्दर बहुत थी. स्टेज पर रोल बड़ी आसानी से मिल गया उसे – पहला ही रोल हीर का. जब काम पर जाती तो नन्हें कश्यप को किसके भरोसे छोड़ जाती? तो उसके शो के समय वह सबसे आगे की सीट पर होता. हीर का अंत कुछ बदल दिया गया था, जूलिएट से प्रेरणा लेकर. कश्यप अपनी माँ को अपने सीने में खंजर उतारते देखता. पर्दा गिरते ही मेनेजर उसे पीछे ले जाता, और माँ फिर जीवित मिलती. अब यह तो मैं नहीं जानता की ऐसा वातावरण एक बच्चे के लिए ठीक है या नहीं. पर हाँ, इसकी छाप उनकी लेखनी पर बड़ी गहरी पड़ी. चार सौ वर्ष पूर्व वह जब वे मेगासिटी आएं थे, उनकी आखें हर ओर मृत्यु को ही ढूंढ रही थी. उनकी लेखनी में आत्मकथा तो बिलकुल भी नहीं है. पर जो कुछ उन्होंने लिखा है वह उनके अपने अनुभावों का एक अजीब सा विस्तार ही है. अपने शुरूआती नायकों की तरह ही उन्हें भी अजीब सनकें थीं. जब वे मेगासिटी आए थे, उस समय वे हमेशा अपनी जेब में एक चांदी का सिक्का रखते थे. उस सिक्के पर एक ओर सरस्वती और दूसरी ओर गणेश बने थे. हर पंद्रह-बीस मिनट में वे उस सिक्के को निकाल कर देखते, और वापस अन्दर रख

लैंप एवं डिब्बी का दौर 1990

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 लैंप एवं डिब्बी का दौर।  1990 के दशक में होश संभालने वाले बच्चों का बचपन शायद ही लैंप एवं डिब्बी के नाम से अछूता रहा हो। हो सकता है अलग अलग स्थान पर इन दोनो ही प्रकाश के स्रोतों को अलग अलग नाम से बुलाया जाता हो, लेकिन उस समय के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए ये एक मुख्य स्त्रोत हुआ करते थे। ऐसे पाठकों को जिन्होंने इन दोनो वस्तुओं के बारे मे नही सुना हो, उनके लिए दो चित्र नीचे लगा रहा हूं, एवं इन्ही दोनो चीजों से जुड़ी कुछ खट्टी मीठी बातें इस लेख के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूं।  उत्तरप्रदेश के सहारनपुर जिले के छोटे से गांव में, जहां मैं रहता हूं, वहां पर एवं उसके आसपास के गांव में रात के समय, प्रकाश का मुख्य स्त्रोत हुआ करते थे : लालटेन, लैंप एवं डिब्बी। ये तीनों ही इसी क्रम में किसी परिवार की स्मृद्धि को भी दर्शाया करते थे। ज्यादा स्मृद्ध परिवारों के पास लालटेन हुआ करती थी, एवं कुछ परिवार जो लैंप खरीदने को दकियानूसी मानते थे, वो पुरानी कांच की बोतलों का प्रयोग करके डिब्बी बना लिया करते थे। वैसे यहां पर ये भी बताना जरूरी है की अधिकांश परिवारों में दो से तीन लैंप व बाकी अन्य जगहों पर रखन