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Showing posts from May, 2017

एक छोटी सी कहानी अरबी शेख की

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एक छोटी सी कहानी अरबी शेख और उसके ऊंट की भी होती है। अक्सर ये नीति की शिक्षा देने के लिए सुनाई पढ़ाई जाती है तो संभावना है कि आपने भी सुनी ही होगी। किस्सा कुछ यूँ है कि रेगिस्तान में दिन में गर्मी तो होती ही है, रातों को ठण्ड भी काफी बढ़ जाती है। ऐसी ही एक सर्द रात में अरबी जब अपने तम्बू में था तो उसके ऊंट ने गर्दन अन्दर घुसाई। Image credit thedailymash उसने मालिक से कहा, हुज़ूर ठण्ड बहुत है, मैं अपना सर तम्बू में रख लूं क्या ? मालिक राज़ी हो गया। थोड़ी देर में ऊंट फिर बोला, ठण्ड तो अब भी लग रही है, अपने अगले दोनों पाँव अन्दर कर लूं ? मालिक फिर राज़ी हो गया। इसी तरह करते करते पीठ और फिर पूरा ऊंट ही तम्बू में आ गया। तम्बू छोटा था और ऊंट बड़ा सा, तो मालिक और ऊंट दोनों के लिए जगह अब कम पड़ने लगी। दोनों एक दुसरे को धक्का देते अन्दर ही रहने की कोशिश करने लगे। अब बड़ा सा ऊंट कहाँ और आदमी की बिसात क्या ? धक्का मुक्की में अरबी हो गया तम्बू के बाहर और ऊंट आराम से तम्बू में बैठा रहा। ठण्ड से ठिठुरते इस अरबी शेख की कहानी अक्सर इसलिए सुनाई जाती है, ताकि लोगों को याद रहे कि जरुरत से ज्यादा अत

Jai Sri Shyam

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*सर पर यु ही हाथ रखना देना यु ही साथ..* *एक तुमसे ही है श्याम धणी हमारी हर आस..* *जय श्री श्याम जी * "श्याम" तुझसे न मेरा मन कभी हटे तेरे बिन एक पल न कटे कानों में वही जाए जो तू कहे जिंदगी में बस तू ही रहे आती नही करनी मुझे भक्ति न ही मुझमे करने की है शक्ति मेरी दुनिया तुझ तक ही रहे कान्हा पूरी कर दे मेरी ये विनती ~~ दिल से बोलो जी राधे राधे ~~अखंड ज्योति अपार माया श्याम देव् की परवल छाया *"श्याम" नाम की चाबी ऐसी* *हर ताले को खोल दे* *काम बनेंगे उसके सारे* *जो एक बार "जय श्री श्याम" बोले दे*

जीवन मंत्र....

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जीवन मंत्र.... किस्सा आज से कोई दस एक साल पुराना है । तब जब कि मेरा छोटा बेटा अभी बहुत छोटा था । बमुश्किल 6 या 7 साल का । दीपावली के दिन थे । हमारी colony में एक जनरल स्टोर ने दूकान के सामने ही पटाखों का स्टाल लगा रखा था । मेरा बेटा अपनी बहन के साथ उस दुकान से लौटा तो बहन ने मुझे धीरे से कान में बताया कि ये उस दुकान से पटाखे चुरा के अपनी जेब मे भर लाया है । Now , i had a situation in hand . A very delicate situation . मैंने बेटे को पास बुलाया और उसे बहुत प्यार किया । दुलारा , पुचकारा । फिर पूछा , आप उस दुकान से पटाखे लाये हो ? अगर कोई देख लेता तो कितना अपमान होता न ? क्या ये अच्छी बात है ? अब एक काम करो । कल सुबह , जब कि दूकान में भीड़ भाड़ नही होगी , और दुकानदार के पास पर्याप्त समय होगा तुम्हारी बात सुनने और समझने के लिए , तुम दोनों भाई बहन उसके पास ये पटाखे और पैसे ले के जाना और कहना , Uncle कल हमने ये पटाखे लिए थे पर भीड़ भाड़ में पैसे देना भूल गए इसलिए अब आप इनके पैसे ले लीजिए । दोनों बच्चे दुकान पे गए और पैसे दे के लौट आये । मैंने पूछा क्या हुआ ? उन्होंने बताया कि दुकानदा

मन की बात

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मन की बात image credit cinemanthan.files.wordpress.com/ सिकंदर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से अमर हो जाते हैं। दुनिया भर को जीतने के जो उसने आयोजन किए, वह अमृत की तलाश के लिए ही थे। काफी दिनों तक देश दुनिया में भटकने के पश्चात आखिरकार सिकंदर ने वह जगह पा ही ली, जहां उसे अमृत की प्राप्ति होती। वह उस गुफा में प्रवेश कर गया, जहां अमृत का झरना था। वह आनंदित हो गया। जन्म-जन्म की आकांक्षा पूरी होने का क्षण आ गया। उसके सामने ही अमृत जल कल-कल करके बह रहा था। वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक कौआ जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला, ‘ठहर, रुक जा, यह भूल मत करना।’ सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा। बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह कौआ। पंख झड़ गए थे, पंजे गिर गए थे, अंधा भी हो गया था, बस कंकाल मात्र था। सिकंदर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन/’ कौवे ने जवाब दिया, ‘मेरी कहानी सुन ले। मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी। मैंने यह अमृत पी लिया। अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूं। देख मेरी हालत। अंधा हो गया हूं , पंख झड़ गए हैं, उड़ नहीं स

आयुर्वेद दिनचर्या : सुबह जल्दी उठने की महिमा

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स्कृत में दैनिक कार्यकम को दिनचर्या कहते हैं| दिन का अर्थ है दिन का समय और अचार्य का अर्थ है उसका पालन करना या उसके निकट रहना| दिनचर्या आदर्श दैनिक कार्यक्रम है जो प्रकृति के चक्र का ध्यान रखती है| आयुर्वेद प्रातः काल के समय पर केंद्रित होता है क्योंकि वह पूरे दिन को नियमित करने में महत्वपूर्ण है| आयुर्वेद यह मानता है कि दिनचर्या शरीर और मन का अनुशासन है और इससे प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और मल पदार्थो से शरीर शुद्ध होता है| सरल स्वस्थ दिनचर्या से शरीर और मन शुद्ध होते हैं, दोष संतुलित होते हैं, प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और दिन की शरुआत ताज़गी और पुनार्युवन से होती है| प्रातः काल में सरल दिनचर्या का पालन करने से आप की दिन की शुरुआत आनंदमय होती है| आपकी सुबह ताज़गीमय होने के लिये यह मार्गदर्शिका है | 1. ब्रह्म मुहूर्त |Brahma muhurata सूर्योदय से डेढ़ घंटे पूर्व उठने से आप सूर्य की लय के साथ समकालिक हो सकते हैं | आयुर्वेद ब्रह्म मुहूर्त की अनुशंसा करता है जिसका अर्थ है ब्रह्म का समय या शुद्ध चेतना या शुभ और प्रातः काल के इस समय उठना सर्वश्रेष्ठ माना गया है | सू

अपनी सोच

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अगर तुम उड़ नहीं सकते ...तो, दौड़ो ! अगर तुम दौड़ नहीं सकते ...तो, चलो ! अगर तुम चल नहीं सकते ...तो, रेंगो ! पर रूको नहीं... बस आगे बढ़ते रहो....समय की तरह... अपनी सोच और दिशा को समय के साथ साथ बदलते भी रहो... देखना सफलता आपका जरूर स्वागत करेंगी... कयोकि "यह मायने नहीं रखता कि ... आप कितने तेज़ चल रहे है ,जब तक आप रुके नहीं । भागने में Risk है, रुके रहने में तो उससे भी बड़ा Risk है तो करना क्या है? धीरे धीरे चलते रहना है । न भागना है न रुकना है ...बस चलते रहना है ।"