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Showing posts from July, 2016

बारिश के मौसम में करें केले का सेवन

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बारिश के मौसम में करें केले का सेवन बारिश के मौसम में केले का कहना ही क्या | केले में थाईमिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन और फ़ॉलिक एसिड के रूप में विटामिन ए और विटामिन बी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है| इसके अलावा केला ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत है| दरसल केले में विटामिन ए, पौटेशियम और विटामिन बी-6 होता है| केला ऊर्जा का बेहद अच्छा स्रोत माना गया है, इसमें औसतन 105 कलौरी पाई जाती है, जो शरीर को किसी भी प्रकार की कमजोरी से बचाती है| अगर आप कसरत करने के बाद थक जाते है, तो तुरंत एक केला खा लीजिए यह खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ाकर आपको तुरंत एनर्जी से भर देगा | बीपी को करता हैं कंट्रोल केले में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है और सोडियम की मात्रा बहुत कम होती है जिसकी वजह से यह आपके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है| यह आपके शरीर में पानी की कभी कमी नहीं होने देता है और आपके शरीर को दिल के दौरे और स्ट्रोक से बचाता है| केले में ऐसे बहुत से तत्व पाए जाते जो अम्लता यानि एसिडिटी से बचाते हैं| यह आपके पेट में अंदरूनी परत चढ़ाकर अलसर जैसी बीमारियों से बचाता है| केले में

लाखों पेड़ लगाने वाले महामानव को विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर सादर अभिनन्दन

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लाखों पेड़ लगाने वाले महामानव को विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर सादर अभिनन्दन Daripalli Ramaiah : सच्चा प्रकृतिप्रेमी   दरिपल्ली रमैया तेलंगना राज्य के खम्मम जिले के एक छोटे से गाँव है। पर्यावरण में आ रहे बदलाव , बढ़ते प्रदूषण की मात्रा और वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई से दरिपल्ली का मन हमेशा बेचैन रहता था। वे इसके निदान के लिए कुछ करना चाहते थे। तभी उनके मन में वृहद स्तर पर वृक्ष लगाने का विचार आया। और फिर क्या था वे रोज इसी सोच के साथ जेब में बीज और साईकिल पर पौधे रखकर जिले क ा लंबा सफर तय करते और जहां कही भी खाली भूमि दिखती वही पौधे लगा देते। प्रारम्भ में उन्होंने ऐसा करके अपने गांव के पूर्व और पश्चिम दिशा में चार-चार कि.मी. के श्रेत्र को हरे-भरे पेड़-पौधों से भर दिया , जिनमें मुख्यतः बेल , पीपल , कदंब और नीम के पेड़ हैं। इन पेड़ों की संख्या आज बढ़कर तीन हजार से भी ज्यादा हो गई हैं। पर्यावरण प्रेम से वशीभूत होकर दरिपल्ली रमैया इस कार्य को हमेशा आगे बढ़ाते रहे | उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सिर्फ वृक्ष लगाने तक ही सीमित नहीं रखी हैं , बल्कि वे स्वयं पेड़-पौधों क

सरकारी नौकरी छोड़ अब खेती से सालाना कमाते हैँ दो करोड़

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सरकारी नौकरी छोड़ अब खेती से सालाना कमाते हैँ दो करोड़ जैसलमेर । कौन नहीं चाहता कि उसे सरकारी नौकरी मिल जाए , ज़्यादातर लोगों का सपना होता है सरकारी नौकरी पाना। लेकिन जब कहीं ये सुनने को मिले कि किसी ने अच्छी-खासी नौकरी इस लिए छोड़ दी क्योंकि उसे खेती करनी थी तो बात थोड़ा अटपटी लगती है। जी हां , उनमें से ही एक हैं हरीश धनदेव। हरीश जैसलमेर से 45 किलोमीटर दूर स्थित धाइसर के रहने वाले हैं। हरीश ने कुछ समय पहले एक अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी थी और अब वो एलोवेरा की खेती कर रहे हैं। किसानों के परिवार से आने वाले हरीश 120 एकड़ में एलोवेरा की खेती कर रहे हैं , जिससे वो हर साल करीब दो करोड़ रुपए कमा रहे हैं। हरीश ने कहा कि वे जैसलमेर नगर निगम में जूनियर इंजीनियर के पद पर नौकरी कर रहे थे। तनख्वाह भी अच्छी थी। हरीश धनदेव ने ' नचरेलो एग्रो ' नाम की एक अपनी कंपनी भी खोली है। यह कंपनी भारी मात्रा में पतंजली को एलोवेरा सप्लाई करती है। ऐसे आया एलोवोरा की खेती करने का आइडिया हरीश नौकरी छोड़ने के बारे में बताते हुए कहते हैं कि कुछ समय तक नौकरी करने के बाद मेरा मन कुछ और