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Showing posts from July, 2018

शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर निबंध 2 (150 शब्द)

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आगे बढ़ने के लिए सुविधाओं और अवसरों की उपलब्धता ग्रामीण जीवन की अपेक्षा शहरी जीवन में अधिक होती है। लेकिन शहरों में प्रदूषण, शोर, पर्याप्त पानी की अनुपलब्धता है और साथ ही वहां ट्रैफिक जाम, भीड़भाड़ और अपराध भी एक गंभीर समस्या है। इसी तरह, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं की कमी है, लेकिन स्वच्छ हवा और शांति वहाँ रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। गांवों भारतीय संस्कृति और विरासत का दर्पण है। < br /> वहां भारत की सदियों पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं। आप गांवों में आज भी धूप, हरियाली और शांति का आनंद प्राप्त कर सकते हैं और यहां के लोग बहुत ही गर्मजोशी से मिलते हैं और उनका व्यवहार भी दोस्ताना होता है। वहीं दूसरी तरफ शहरी जीवन कठिन चुनौतियों से भरा होता है। ज्यादातर, शहरों में रहने वाले लोगों के पास नवीनतम एवं अत्याधुनिक सुख- सुविधाओं के साधन उपलब्ध होते हैं लेकिन वे हमेशा किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रहते हैं और अफसोस की बात है कि वे अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं।  इस प्रकार, ग्रामीण ए

पत्नी गृहस्वामिनी गृहलक्ष्मी

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पिछले हफ्ते मेरी पत्नी को बुखार था। पहले दिन तो उसने बताया ही नहीं कि उसे बुखार है, दूसरे दिन जब उससे सुबह उठा नहीं गया तो मैंने यूं ही पूछ लिया कि तबीयत खराब है क्या? उसने कहा कि नहीं, तबीयत खराब तो नहीं है, हां थोड़ी थकावट है। मैं चुपचाप अखबार पढ़ने में मशगूल हो गया। जरा देर से उस दिन वो जगी और फटाफट उसने मेरे लिए चाय बनाई, बिस्किट दिए और मैं अखबार पढ़ते-पढ़ते चाय पीता रहा।मुझे पता लग चुका था कि उसे थोड़ा बुखार है, और ये बात मैंने उसे छू कर समझ भी ली थी। खैर, मैं यही सोचता रहा कि मामूली बुखार है, शाम तक ठीक हो जाएगा। उसने थोड़ें बुखार में ही मेरे लिए नाश्ता तैयार किया। नाश्ता करते हुए मैंने उसे बताया कि आज खाना बाहर है, इसलिए तुम खाना मत बनाना।   उसने धीरे से कहा कि अरे ऐसी कोई बात नहीं, खाना तो बना दूंगी। लेकिन मैंने कहा कि नहीं, नहीं दफ्तर की कोई मीटिंग है, उसके बाद खाना बाहर ही है।फिर मैं तैयार होकर निकल गया। मैं पुरुष हूं। पुरुष मजबूत दिल के होते हैं। ऐसी मामूली बीमारी से पुरुष विचलित नहीं होते। मैं दफ्तर चला गया, फिर अपनी मीटिंग में मुझे ध्यान भी नहीं