दहेज केस में फंसाए गए पीड़ित पुरुषों के लिए लड़ रहीं दीपिका नारायण
औरतों पर आए दिन जुल्म-ज्यादतियों के मद्देनजर भारत सरकार को भी घरेलू हिंसा कानून बनाना पड़ा। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में तमाम नारीवादी संगठन स्त्रियों को समान अधिकार बहाल कराने का संघर्ष जारी रखे हैं, ऐसे में जब कोई औरत पीड़ित पुरुषों को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़े, बात बिना वजह नहीं लगती है। और यह लड़ाई लड़ रही हैं दीपिका नारायण भारद्वाज। पुरुषों के अधिकार की लड़ाई लड़ रही हैं दीपिका नारायण डाक्युमेंट्री फिल्म भी बनाती हैं। उन्होंने सन् 2012 में पुरुष पक्षधरता के इस मुद्दे पर रिसर्च शुरू किया। उस दौरान उन्हे पता चला कि ज्यादातर दहेज प्रताड़ना के मामले झूठे हैं। हमारे देश में, जहाँ हर पंद्रह मिनट में एक रेप की घटना दर्ज होती है, हर पाँचवें मिनट में घरेलू हिंसा का मामला सामने आता है, हर 69वें मिनट में दहेज के लिए दुल्हन की हत्या हो जाती है और हर साल हज़ारों की संख्या में बेटियां पैदा होने से पहले ही गर्भ में मार दी जाती हैं, ऐसे सामाजिक परिवेश में दीपिका नारायण पत्थर पर दूब उगाने में व्यस्त हैं। उनके कुछ सवाल हैं, जो असंगत नहीं। वह पूछती हैं कि 'क्या मर्द असुरक्षित न...