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गर्मियों में खीरा खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है

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खीरा खाने के लाभ 1. खीरा खाने से कब्ज दूर होती है । यह पीलिया, प्यास, बुखार और शरीर की जलन व गर्मी के सारे दोषों को दूर करता है। इसका रस पथरी में भी लाभदायक होता है। खीरा 2. यदि सुबह उठने पर सिर में दर्द या खुमारी की शिकायत होती हो तो सोने से पहले खीरा खाएं। खीरा में विटामिन बी, शुगर और इलेक्ट्रोलाइट्स मौजूद होते हैं। ये शरीर के लिए पौष्टिक और जरूरी तत्व हैं और सिरदर्द व खुमारी से उबरने में मदद करते हैं। 3. खीरे के कारण शरीर में यूरिक एसिड का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे गुर्दे अपने सही आकार में रहते हैं। 4. खीरे में सिलिकन और सल्फर मौजूद होता है। यह बालों को घना व चमकदार बनाता है। अच्छे परिणाम के लिए आप चाहें तो खीरे के जूस को गाजर व पालक के जूस के साथ भी मिलाकर ले सकते हैं। 5. खीरे में सिलिशिया प्रचुर मात्रा में होता है। इससे जोड़ों को मजबूती मिलती है। गाजर और खीरे का जूस मिलाकर पीने पर गठिया रोग में फायदा होता है। इससे यूरिक एसिड का स्तर भी कम होता है। 6. डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में खीरा खाना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। खीरे का रस पेनक्रियाज को सक्रिय क

बुटाटी धाम नागौर

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बुटाटी धाम नागौर बुटाटी धाम आस्था का केंद्र बुटाटी धाम आस्था का केंद्र एक मंदिर ऐसा भी है जहा पर पैरालायसिस (लकवे ) का इलाज होता है ! यहाँ पर हर साल हजारो लोग पैरालायसिस(लकवे ) के रोग से मुक्त होकर जाते है यह धाम नागोर जिले के कुचेरा क़स्बे के पास है, अजमेर- नागोर रोड पर यह गावं है ! लगभग ५०० साल पहले एक संत होए थे चतुरदास जी वो सिद्ध योगी थे, वो अपनी तपस्या से लोगो को रोग मुक्त करते थे| मन्दिर में नि:शुल्क रहने व खाने की व्यवस्था भी है| लोगों का मानना है कि मंदिर में परिक्रमा लगाने से बीमारी से राहत मिलती है| राजस्थान की धरती के इतिहास में चमत्कारी के अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं| आस्था रखने वाले के लिए आज भी अनेक चमत्कार के उदाहरण मिलते हैं, जिसके सामने विज्ञान भी नतमस्तक है| ऐसा ही उदाहरण नागौर के 40 किलोमीटर दूर स्तिथ ग्राम बुटाटी में देखने को मिलता है। लोगों का मानना है कि जहाँ चतुरदास जी महाराज के मंदिर में लकवे से पीड़ित मरीज का राहत मिलती है। सन्त चतुरदास जी महाराज के मन्दिर ग्राम बुटाटी में लकवे का इलाज करवाने देश भर से वर्षों पूर्व हुई बिमार

एक मज़ेदार कहानी

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एक मज़ेदार कहानी Image credit http://i2.mirror.co.uk एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था। एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई। बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा। एक दिन किसी प्रकार से मालूम पड़ा कि रोटियाँ बिल्ली खा जाती है। अब पत्नी जब रोटी बनाती उस समय पति दरवाजे के पास बाँस का फटका लेकर जमीन पर पटकता। इससे बिल्ली का आना बंद हो गया। जब लङका बङा हुआ और उसकी शादी हुई। बहू जब पहली बार रोटी बना रही थी तो उसका पति बाँस का फटका लेकर बैठ गया औऱ फट फट करने लगा। कई दिन बीत जाने के बाद पत्नी ने उससे पूछा कि तुम रोज रसोई के दरवाजे पर बैठ कर बाँस का फटका क्यों पीटते हो? पति ने जवाब दिया कि ये हमारे घर की परम्परा (रिवाज) है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूँ। कहानी का सार: माँ बाप तो अंधे थे, जो बिल्ली को देख नहीं पाते थे, उनकी मजबूरी थी इसलिये फटका लगाते थे। पर बेटा तो आँख का अंधा नही था पर अकल का अंधा था, इसलिये वह भी वैसा करता था जैसा माँ-बाप करते

R.O. का लगातार सेवन बनेगा मौत का कारण*

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who report about ro water चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले या ना मिले पर शरीर को पानी ज़रूर मिलना चाहिए। अगर पानी RO का हो तो, क्या बात है ! परंतु *क्या वास्तव में हम आर. ओ. के पानी को शुद्ध पानी मान सकते हैं* ? *जवाब आता है बिल्कुल नहीं। और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की तरफ से दिया गया है।* विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सर दर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं। यह कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से *कैल्शियम और मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं* जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। RO के पानी के लगातार इस्तेमाल से शरीर मे विटामिन *B-12* की कमी भी होने लगती है। वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 400 टीडीएस तक सहन करने की क्षमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 टीडीएस तक पानी की शुद्धता होती है जो कि नुकसानदायक है। इसके *विकल्प में क्लोरीन को रखा जा सकता है जिसमें लागत भी कम होती है एवं पानी के आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं*। जिससे मानव का शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता।

हार्ट अटैक आने पर पास में कोई ना हो तो 10 सेकंड में खुद अपनी जिंदगी कैसे बचाये ?

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जरा सोचिये कि शाम के 7:25 बजे है और आप घर जा रहे है वो भी एकदम अकेले । हार्ट अटैक आने पर तुरंत करें ये काम Credit image Youtube ऐसे में अचानक से आपके सीने में तेज दर्द होता है जो आपके हाथों से होता हुआ आपके जबड़ो तक पहुँच जाता है । आप अपने घर से सबसे नजदीक अस्पताल से 5 मील दूर हैं और दुर्भाग्यवश आपको ये नहीं समझ मे आ रहा कि आप वहां तक पहुँच पाएंगे कि नहीं । आप सी पी आर (CPR : Cardio Pulmonary Resuscitation) में प्रशिक्षित हैं मगर वहां भी आपको ये नहीं सिखाया गया कि इसको खुद पर प्रयोग कैसे करें । ऐसे में दिल के दौरे से बचने के लिए ये उपाय आजमाए :- चूँकि ज्यादातर लोग दिल के दौरे के वक्त अकेले होते हैं l बिना किसी की मदद के उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है । वे बेहोश होने लगते हैं और उनके पास very hardly सिर्फ 10 सेकण्ड्स होते है । ऐसे हालत में पीड़ित जोर जोर से खांस कर खुद को सामान्य रख सकता है । एक जोर की खांसी लेनी चाहिए हर खांसी से पहले और खांसी इतनी तेज हो कि छाती से थूक निकले । जब तक मदद न आये ये प्रक्रिया दो सेकंड से दोहराई जाए ताकि धड्कन सामान्य हो जाए । जोर की साँ

thoughtful

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-"छोटी-छोटी बातों में आनंद खोजना चाहिए, क्योंकि बड़ी-बड़ी बातें तो जीवन में कुछ ही होती हैं।" -"यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए। आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए। " -"एक मुँह और दो कान का अर्थ है कि हम अगर एक बात बोलें तो कम से कम दो बात सुनें भी। " -"कभी पीठ पीछे आपकी बात चले तो घबराना नहीं, क्योंकि बात तो उन्ही की है.. जिनमें वाकई कोई बात होती है। " -"इंसान को बोलना सीखने में तीन साल लग जाते हैं... लेकिन क्या बोलना है ये सीखने में पूरी जिदंगी लग जाती हैं।" -"लक्ष्य पर अड़े रहना चाहिए, मगर पथ लचीला रखना चाहिए। " -"कर्मों की आवाज शब्दों से भी ऊँची होती है। " -"जलो सिर्फ वहाँ जहाँ आपकी जरुरत हो..उजाले में चिरागों के मायने नहीं होते। " -"प्रकृति अपने दिए हुए कष्ट सहने की शक्ति भी देती है... लेकिन मनुष्य गलत निर्णय लेने के लिये बाध्य तब होता है जब कष्ट अपने तैयार किये हुए हों....। " -"देने के लिए दान, लेने के लिए ज्ञान, और त्यागने के लिए अभिमान सर्वश्रेष्ठ है। "

इमली के इन हैरानजनक लाभ आप जानते है

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Emli ke fayde in hindi  .इमली...... इमली से हम सब परिचित हैं | इमली के वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सडकों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाए जाते हैं | इमली का वृक्ष उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा मेडागास्कर का मूल निवासी है | वहां से यह भारत में आया और अब पूरे भारतवर्ष में प्राप्त होता है | यहाँ से ईरान तथा सऊदी अरब में पहुंचा जहाँ इसे तमार-ए-हिन्द (भारत का खजूर ) कहते हैं |इसका पुष्पकाल फ़रवरी से अप्रैल तथा फलकाल नवंबर से जनवरी तक होता है | इसके फल में शर्करा,टार्टरिक अम्ल,पेक्टिन,ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट तथआ खनिज लवण प्राप्त होते हैं | यह कैल्शियम,लौह तत्व,विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है |आज हम आपको इमली के औषधीय गुणों से अवगत करा रहे हैं -  Image creedit hinditips.com/ १- १० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर,मसल-छानकर ,शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है | २- इमली को पानी में डालकर ,अच्छी तरह मसल- छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है|  ३- १० ग्राम इमली को १ लीटर