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एम्स ने कैंसर होने के कारण बताये हैं :-

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एम्स ने कैंसर होने के कारण बताये हैं :-   पालीथीन में गरम सब्जी कभी भी पैक न करवाऐं। चाय कभी भी प्लास्टिक के कप में न लें। कोई भी गरम चीज प्लास्टिक में न लें , खासकर भोजन। खाने की चीजों को माइक्रोवेव में प्लास्टिक के बर्तन में गर्म न करें।  याद रखें जब प्लास्टिक गर्मी के संपर्क में आता है तो ऐसा रसायन उत्पन करता है जो 32 प्रकार के कैंसर का कारण है। डा० हार्दिक शाह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) सामान्य अस्पताल (Civil Hospital) मुम्बई द्वारा यह संदेश भारत में कार्यरत डाक्टरों के समूह से है, जिसको आम जनता के हित में भेजा जा रहा है । 1) कृपया APPY FIZZ का सेवन न करें, क्योंकि इसमें कैंसर पैदा करने वाले रसायन है ।  2) कोक या पेप्सी सेवन करने से पहले व बाद में मेन्टोस का सेवन न करें क्योंकि इसका सेवन करने से मिश्रण साईनाइड में बदल जाता है, जिससे सेवन करने वाले व्यक्ति की मौत हो सकती है ।  3) कुरकुरे का सेवन न करें क्योंकि इसमें प्लास्टिक की काफ़ी मात्रा होती है । इसकी पुष्टी के लिये कुरकुरे को जलायें तो देखेंगे कि प्लास्टिक पिघलने लगा है –टाइम्स आफ़ इण्डिया की रिपोर्ट

किसी भी कंपनी का ऐप डाउनलोड करने से पहले जान ले ये बाते

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किसी भी कंपनी का ऐप डाउनलोड करने से पहले जान ले ये बाते Before downloading any company's app, you know about it आज के समय लाखो  अन्द्रोएद ऐप  गूगल प्ले स्टोर पर आ गये है | आप इसमे धोखा धडी भी हो रही है | लोगो की फ़ोन से सारे डाटा चुरा के विभिन मार्केटिंग कंपनियों को करोड़ों में डाटा सेल कर रही है |  जब भी आप कोई भी एप्प डाउनलोड कर तो ये जान ले की आप जो ऐप डाउनलोड कर रहे हो वो किस लिए कर रहे हो | जो गेम की है वो आपके मोबाइल जब डाउनलोड कर रहे हो तो इमेज अलाऊ करा रही है तो मत करिए क्यू की वो ऐप आपकी डाटा को आपकी इमेज को एक्सेस कर सकती है उसमे आपकी agree से ही आपकी फाइल से एक्सेस कर सारे डाटा चुरा लेती है जितना आपके पडोसी आपकी खबर नहीं है उतनि तो उनको पता चल जाता है |  When you install an app or an app update from Google’s Play Store, for instance, you get a pop-up listing all the permissions it requires. This could include permissions to access to your text messages, phone call details, media files, etc. Apps need access to specified content on your phone to

गोलू देवता महाराज उतराखंड - Golu Devta Maharaj चितई मंदिर अलमोड़ा, उत्तराखंड (Golu Devata, Almora)

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गोलू देवता महाराज उतराखंड - Golu Devta Maharaj गोलू देवता महाराज का मंदिर  -  न्याय देवता मंदिर के रूप में जाना  जाता है | यहां केवल चिट्ठी भेजने से हो जाती है मुराद पूरी  स्टाम्प पेपर पर अर्जी, मन्नत पूरी होने पर बांधते है घंटी इस मंदिर को चितई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | मंदिर में अध्बुत घंटियों का संग्रह है | ये देवता न्याय के रूप में माना जाता है |  अभी तक आपने लोगों को मंदिरों में जाकर अपनी मुरादें मांगते देखा होगा, लेकिन उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में स्थित गोलू देवता के मंदिर में केवल चिट्ठी भेजने से ही मुराद पूरी हो जाती है। इतना ही नहीं गोलू देवता लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए भी प्रसिद्घ हैं। इस कारण इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। नैनीताल जिले के भवाली में स्थित गोलू देवता के मंदिर में चिट्ठियों की भरमार देखने को मिलती है। प्रेम विवाह के लिए युवक-युवती गोलू देवता के मंदिर में जाते हैं। मान्यता है कि यहां जिसका विवाह होता है उसका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है। स्टाम्प पेपर पर अर्जी, मन्नत पूरी

बुजुर्गों पर अत्याचार - अपनों के बीच पराए बनते भारत के बुजुर्ग

भारत में बुजुर्गों की तादाद बढ़ने के साथ ही उनके साथ दुर्व्यवहार के मामले में भी बढ़ रहे हैं. देश के आधे से ज्यादा बुजुर्गों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. 78 साल की मानसी घोष ने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं. लेकिन उनको बुढ़ापे में अपनों ने जो दर्द दिया है उसे वह ताउम्र नहीं भूल सकतीं. उनके पति सरकारी नौकरी में थे. 20 साल पहले रिटायर होने के बाद उनको अच्छी-खासी रकम मिली थी. उससे उन्होंने अपने दोनों बेटों को कारोबार के लिए पैसे दिए. एक बेटी की शादी की और कोलकाता में एक दोमंजिला मकान बनवाया. लेकिन दस साल पहले पति का निधन होते ही बेटों-बहुओं की नजरें बदलने लगीं. किसी तरह बहला-फुसला कर बेटों ने मानसी से मकान अपने नाम लिखवा लिया और जमा पूंजी भी हथिया ली. उनके खाने-पीने और जरूरी खर्चों में भी कटौती की जाने लगी. धीरे-धीरे अपनों का अत्याचार जब सहन सीमा से बहार हो गया तो मानसी ने खुद ही अपने पति की गाढ़ी कमाई से बनवाया घर छोड़ दिया. अब इस उम्र में वह साग-सब्जी बेच कर गुजारा करती है. वह कहती हैं, "इस जिंदगी में मेहनत तो है. लेकिन सुबह-शाम चैन से दो रोटी तो खा लेती

एक कहानी ऐसी भी

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एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी बेटी ने जन्म लिया.. बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,, उसने बेटी को पाला जरूर, मगर दिल से नही.... वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस टाइम से जमा करता, और ना ही कापी किताबों पर ध्यान देता था... अक्सर दारू पी कर घर में कोहराम मचाता था....... उस लडकी की मॉ बहुत अच्छी व बहुत भोली भाली थी वो अपनी बेटी को बडे लाड प्यार से रखती थी.. वो पति से छुपा-छुपा कर बेटी की फीस जमा करती और कापी किताबों का खर्चा देती थी.. अपना पेट काटकर फटे पुराने कपडे पहन कर गुजारा कर लेती थी, मगर बेटी का पूरा खयाल रखती थी... पति अक्सर घर से कई कई दिनों के लिये गायब हो जाता था. जितना कमाता था दारू मे ही फूक देता था... वक्त का पहिया घूमता गया. बेटी धीरे-धीरे समझदार हो गयी.. दसवीं क्लास में उसका एडमीसन होना था. मॉ के पास इतने पैसै ना थे जो बेटी का स्कूल में दाखिला करा पाती.. बेटी डरडराते हुये पापा से बोली: पापा मैं पढना चाहती हूं मेरा हाईस्कूल में एडमीसन करा दीजिए मम्मी के पास पैसै नही है... बेटी की बात सुनते ही बाप आग वबूला हो गया और चिल्लाने

शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर निबंध 2 (150 शब्द)

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आगे बढ़ने के लिए सुविधाओं और अवसरों की उपलब्धता ग्रामीण जीवन की अपेक्षा शहरी जीवन में अधिक होती है। लेकिन शहरों में प्रदूषण, शोर, पर्याप्त पानी की अनुपलब्धता है और साथ ही वहां ट्रैफिक जाम, भीड़भाड़ और अपराध भी एक गंभीर समस्या है। इसी तरह, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं की कमी है, लेकिन स्वच्छ हवा और शांति वहाँ रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। गांवों भारतीय संस्कृति और विरासत का दर्पण है। < br /> वहां भारत की सदियों पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं। आप गांवों में आज भी धूप, हरियाली और शांति का आनंद प्राप्त कर सकते हैं और यहां के लोग बहुत ही गर्मजोशी से मिलते हैं और उनका व्यवहार भी दोस्ताना होता है। वहीं दूसरी तरफ शहरी जीवन कठिन चुनौतियों से भरा होता है। ज्यादातर, शहरों में रहने वाले लोगों के पास नवीनतम एवं अत्याधुनिक सुख- सुविधाओं के साधन उपलब्ध होते हैं लेकिन वे हमेशा किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रहते हैं और अफसोस की बात है कि वे अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं।  इस प्रकार, ग्रामीण ए

पत्नी गृहस्वामिनी गृहलक्ष्मी

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पिछले हफ्ते मेरी पत्नी को बुखार था। पहले दिन तो उसने बताया ही नहीं कि उसे बुखार है, दूसरे दिन जब उससे सुबह उठा नहीं गया तो मैंने यूं ही पूछ लिया कि तबीयत खराब है क्या? उसने कहा कि नहीं, तबीयत खराब तो नहीं है, हां थोड़ी थकावट है। मैं चुपचाप अखबार पढ़ने में मशगूल हो गया। जरा देर से उस दिन वो जगी और फटाफट उसने मेरे लिए चाय बनाई, बिस्किट दिए और मैं अखबार पढ़ते-पढ़ते चाय पीता रहा।मुझे पता लग चुका था कि उसे थोड़ा बुखार है, और ये बात मैंने उसे छू कर समझ भी ली थी। खैर, मैं यही सोचता रहा कि मामूली बुखार है, शाम तक ठीक हो जाएगा। उसने थोड़ें बुखार में ही मेरे लिए नाश्ता तैयार किया। नाश्ता करते हुए मैंने उसे बताया कि आज खाना बाहर है, इसलिए तुम खाना मत बनाना।   उसने धीरे से कहा कि अरे ऐसी कोई बात नहीं, खाना तो बना दूंगी। लेकिन मैंने कहा कि नहीं, नहीं दफ्तर की कोई मीटिंग है, उसके बाद खाना बाहर ही है।फिर मैं तैयार होकर निकल गया। मैं पुरुष हूं। पुरुष मजबूत दिल के होते हैं। ऐसी मामूली बीमारी से पुरुष विचलित नहीं होते। मैं दफ्तर चला गया, फिर अपनी मीटिंग में मुझे ध्यान भी नहीं