तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी करते हैं। 1) लिवर के लिए गुणकारी :- आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है। 2) पीलिया समाप्त हो जाता है पीलिया होने पर अगर रोगी की नाक में 2 बूंद तोरई के फल का रस डाल दें , तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते हैं कि इससे पीलिया रोग जल्दी समाप्त हो जाता है। ● Other Benefits :- बाल काले करने के लिए , मस्से झड़ते हैं , पथरी में आराम , दाद , खाज और खुजली से राहत , पेट दर्द दूर होता है , डायबिटीज़ में फायदा। 3) पथरी में आराम तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिया जाए , तो पथरी में आराम मिलता है। 4- द...
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