अब केवल 3000 रु. में जिन्दगी भर बनाये रसोई गैस !
जी हां, हम बात कर रहे हैं, एक अनोखे गोबर गैस प्लांट की जिसे डिजायन किया है श्री कृष्णराजू ने। श्री राजू मुदिगिरी तालुका के डाराडहली में एक वरिष्ठ पशु-चिकित्सक के रूप में कार्यरत रहे है। उन्हें नई तकनीकियों के विकास में भी काफी रुचि है। इस प्रयोक्ता हितैषी, कम लागत वाले बायोगैस प्लांट में की खासियत यह है कि इसमें एक बार में केवल एक बाल्टी गोबर की आवश्यकता होती है। इसे तैयार करने के लिए केवल एक 11फ़ीट लंबी, 7 फ़ीट चौड़ी 250 मि.मी की प्लास्टिक शीट तथा दो पीवीसी पाइप की ज़रूरत होती है।
यानि टंकी बनाने के लिए गढ्ढा खोदने की ज़रूरत नहीं होती। टंकी का निर्माण इस प्लास्टिक शीट द्वारा ही किया जाता है। गोबर-पानी के मिश्रण को पीवीसी पाइप द्वारा डाला जाता है और एक घंटे के बाद मीथैन गैस का उत्पादन शुरु हो जाता है, जो 4 घंटों तक चालू रहता है। श्री कृष्णराजू के मुताबिक, बायो गैस के किसी अन्य प्लांट के निर्माण में केवल 20,000 रु. की आवश्यकता होती है, जिसमें वार्षिक मेंटिनेंस लागत भी शामित होती है, पर यह काफी सस्ती है और इसक संचालन काफी आसान। एक बार संस्थपित करने के बाद इसे 5-6 वर्षों तक चालू रखा जा सकता है।
श्री कृष्णराजू कहते हैं कि उनक मुख्य उद्देश्य वन की रक्षा करना है। यदि घर आरसीसी निर्मित हो तो इस यूनिट को घर के छ्त पर रखा जा सकता है। उन्होंने इसे डाराडहली के डी एन वीरेंद्र गौड़ा की छत पर स्थापित किया है। उन्हें अपने गौशाले के गोबर से प्रतिदिन 5 घंटे का बायोगैस ईधन प्राप्त हो जाता है। गैस का इस्तेमाल करने के बाद गाद का उपयोग खाद के रूप में कर लिया जाता है। इस बारे में विशेष जानकारी के लिए श्री कृष्णराजू से इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है- मोबाइल: 94480-73711.
Source: Times of India
यानि टंकी बनाने के लिए गढ्ढा खोदने की ज़रूरत नहीं होती। टंकी का निर्माण इस प्लास्टिक शीट द्वारा ही किया जाता है। गोबर-पानी के मिश्रण को पीवीसी पाइप द्वारा डाला जाता है और एक घंटे के बाद मीथैन गैस का उत्पादन शुरु हो जाता है, जो 4 घंटों तक चालू रहता है। श्री कृष्णराजू के मुताबिक, बायो गैस के किसी अन्य प्लांट के निर्माण में केवल 20,000 रु. की आवश्यकता होती है, जिसमें वार्षिक मेंटिनेंस लागत भी शामित होती है, पर यह काफी सस्ती है और इसक संचालन काफी आसान। एक बार संस्थपित करने के बाद इसे 5-6 वर्षों तक चालू रखा जा सकता है।
श्री कृष्णराजू कहते हैं कि उनक मुख्य उद्देश्य वन की रक्षा करना है। यदि घर आरसीसी निर्मित हो तो इस यूनिट को घर के छ्त पर रखा जा सकता है। उन्होंने इसे डाराडहली के डी एन वीरेंद्र गौड़ा की छत पर स्थापित किया है। उन्हें अपने गौशाले के गोबर से प्रतिदिन 5 घंटे का बायोगैस ईधन प्राप्त हो जाता है। गैस का इस्तेमाल करने के बाद गाद का उपयोग खाद के रूप में कर लिया जाता है। इस बारे में विशेष जानकारी के लिए श्री कृष्णराजू से इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है- मोबाइल: 94480-73711.
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