आर्टिकल 15 मूवी की बहुत सुन्दर समीक्षा Sunil Mishr ji की
Article 15 यह एक ऐसी फिल्म देखने का अनुभव है जिसे नहीं देखकर उस यथार्थ से वंचित रहना होता जिसकी हम खूब बातें किया करते हैं प्रसंगवश लेकिन वे वही बातें होती हैं जिनके बारे में कहा जाता है, बातें हैं बातों का क्या? अनुभव सिन्हा ने गौरव सोलंकी के साथ मिलकर एक घटना की परिधि में जिस तरह की सशक्त फिल्म निर्मित और निर्देशित की है वह आँखें खोल देने वाली है। हमारे यहाँ समग्रता में सशक्त या उत्कृष्ट फिल्में बहुत कम बनती हैं जिनमें निर्देशक सभी आयामों के सन्तुलन में कोई बड़ी दृष्टि या चमत्कार पेश कर सके। चूँकि अनुभव सिन्हा, पन्ने पर भी उस फिल्म के दृश्यों और संवादों को लिख रहे हैं लिहाजा परदे पर भी वह उसी प्रभाव के साथ घटित होती है। जघन्य बलात्कार का शिकार दो नाबालिग लड़कियाँ हैं जिनकी पार्थिव देह गाँव के बाहर एक पेड़ से लटकी हैं, स्याह रात और भोर के बीच बड़ा फासला है जिसमें गहरी धुंध छायी हुई है और यह आकृतियाँ परदे पर प्रकट होती हैं। इसके पूर्व एक दृश्य यह भी है कि भारतीय पुलिस सेवा में सीधी भरती से नियुक्त एक अधिकारी यहाँ अपनी पोस्टिंग पर आया है जो अपने वरिष्ठ को शाम की पार्टी में दबी जुबा...