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बुजुर्गों पर अत्याचार - अपनों के बीच पराए बनते भारत के बुजुर्ग

भारत में बुजुर्गों की तादाद बढ़ने के साथ ही उनके साथ दुर्व्यवहार के मामले में भी बढ़ रहे हैं. देश के आधे से ज्यादा बुजुर्गों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. 78 साल की मानसी घोष ने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं. लेकिन उनको बुढ़ापे में अपनों ने जो दर्द दिया है उसे वह ताउम्र नहीं भूल सकतीं. उनके पति सरकारी नौकरी में थे. 20 साल पहले रिटायर होने के बाद उनको अच्छी-खासी रकम मिली थी. उससे उन्होंने अपने दोनों बेटों को कारोबार के लिए पैसे दिए. एक बेटी की शादी की और कोलकाता में एक दोमंजिला मकान बनवाया. लेकिन दस साल पहले पति का निधन होते ही बेटों-बहुओं की नजरें बदलने लगीं. किसी तरह बहला-फुसला कर बेटों ने मानसी से मकान अपने नाम लिखवा लिया और जमा पूंजी भी हथिया ली. उनके खाने-पीने और जरूरी खर्चों में भी कटौती की जाने लगी. धीरे-धीरे अपनों का अत्याचार जब सहन सीमा से बहार हो गया तो मानसी ने खुद ही अपने पति की गाढ़ी कमाई से बनवाया घर छोड़ दिया. अब इस उम्र में वह साग-सब्जी बेच कर गुजारा करती है. वह कहती हैं, "इस जिंदगी में मेहनत तो है. लेकिन सुबह-शाम चैन से दो रोटी तो खा लेती

बुटाटी धाम का चमत्कार

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Image Credit Hindi Ayurveda जीवन मे चाहे धन, एश्वर्य, मान, पद, प्रतिष्ठा आदि सभी कुछ हो, परंतु शरीर मे बीमारी है तो सब कुछ बेकार है ओर जीवन भी नीरस है। ऐसी ही एक बीमारी है पक्षाघात, जिससे पीड़ित व्यक्ति जीवनभर सारे परिवार पर बोझ बन जाता है।  राजस्थान की धरती पर के ऐसा मंदिर भी है जहा देवी देवता आशीष ही नही बल्कि लकवे के रोगी को इस रोग से मुक्त कर देते है | इस मंदिर में दूर दूर से लकवे के मरीज अपनों के सहारे आते है पर जाते है खुद के सहारे | कलियुग में ऐसे चमत्कार को नमन है | जहा विज्ञान फ़ैल हो जाता है और चमत्कार रंग लाता है तो ईश्वर में आस्था और अधिक बढ़ जाती है | इसी कड़ी में जानते है इस मंदिर की महिमा जो पैरालाय!सिस (लकवे ) को सही करती है |  राजस्थानमें नागोर  सेचालीस किलोमीटर   (40KM) दूर अजमेर  नागौर रोड पर कुचेरा क़स्बे के पास है बुटाटी  जिसे जहाँ चतुरदास जी महाराज के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | यह प्रसिद्द है लकवे से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज करने में |   परिक्रमा और हवन कुंड की भभूती ही है दवा इस मंदिर में बीमारी का इलाज ना तो कोई पंडित करता है ना ही कोई वैद या ह

अपने गाँव को बेहतर कैसे बनाये- गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी

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अपने गाँव को बेहतर कैसे बनाये गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी क्या है गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी ? भारत सरकार के कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य में सुधार के लिए गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी एक गाँव के ऐसे लोगों का समूह है जो यह समझते हैं कि बेहतर या अच्छा स्वास्थ्य व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस कमेटी में वह लोग होते हैं जो अपने लिए व अपने गाँव के लिए बेहतर जीवन स्तर चाहते हैं। Box item: हर 1,000 से 1,500 की आबादी वाले गाँव में एक ग्राम स्वास्थ्य कमेटी बनाई जाती है। इस कमेटी को सरकार की तरफ से हर वर्ष 10,000 रुपए मिलते है ताकि कमेटी अपने गाँव में स्वास्थ्य रक्षा के लिए कार्यवाही कर सके। इस कमेटी का हिस्सा ऐसे लोग होते हैं जिन पर गाँव के लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है। इस कमेटी के सदस्य अपने गाँव को इस तरह परिवर्तित करते हैं जिससे उनका गाँव प्रसन्नता पूर्वक रहने के योग्य स्थान बन सकें। ऐसे लोग अपनी तथा दूसरों के स्वास्थ्य की देखभाल समझदारी से व मिलजुल कर करते हैं। यह कमेटी सुनिश्