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Showing posts with the label बुजुर्गों से अपने रिलेशनशिप

लालच का बुरा परिणाम

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एक गांव में एक किसान रहता था। उसकी सारी ज़मीन पिछले 2-3 सालों से सूखे की मार झेल रही थी और वो पूरी तरह सूख चुकी थी। सर्दी का मौसम आ चुका था। किसान पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी उसकी नज़र पास बने बिल पर गई, वहां एक सांप अपना फन उठाए बैठा था। किसान के मन में एक बात आई कि यह सांप तो सालों से यही रहता होगा, लेकिन मैंने इसकी कभी पूजा नहीं की और शायद यही वजह है कि मेरी सारी ज़मीन सूख गई है। किसान ने ठान लिया कि मैं हर रोज़ सांप की पूजा किया करूंगा। किसान एक कटोरे में दूध ले आया और बिल के पास रखकर कहने लगा - “हे नागराज, मुझे नहीं पता था कि आप यहां रहते हैं, इसलिए मैंने कभी आपकी पूजा नहीं की। मुझे क्षमा करें, अब से मैं रोज़ आपकी पूजा करूंग।” सुबह देखा, तो उस दूध के कटोरे में कुछ चमक रहा था। पास जाकर किसान ने देखा, तो वह सोने का सिक्का था। अब तो यह रोज़ का सिलसिला हो गया था। किसान रोज़ सांप को दूध पिलाता और उसे सुबह एक सोने का सिक्का मिलता। एक दिन किसान को किसी काम से दूसरे गांव जाना पड़ा, तो उसने अपने बेटे को रोज़ सांप को दूध पिलाने को कहा। किसान के बेटे ने वैसा ही किया। अगली सुबह उसे...

एक मज़ेदार कहानी

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एक मज़ेदार कहानी Image credit http://i2.mirror.co.uk एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था। एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई। बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा। एक दिन किसी प्रकार से मालूम पड़ा कि रोटियाँ बिल्ली खा जाती है। अब पत्नी जब रोटी बनाती उस समय पति दरवाजे के पास बाँस का फटका लेकर जमीन पर पटकता। इससे बिल्ली का आना बंद हो गया। जब लङका बङा हुआ और उसकी शादी हुई। बहू जब पहली बार रोटी बना रही थी तो उसका पति बाँस का फटका लेकर बैठ गया औऱ फट फट करने लगा। कई दिन बीत जाने के बाद पत्नी ने उससे पूछा कि तुम रोज रसोई के दरवाजे पर बैठ कर बाँस का फटका क्यों पीटते हो? पति ने जवाब दिया कि ये हमारे घर की परम्परा (रिवाज) है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूँ। कहानी का सार: माँ बाप तो अंधे थे, जो बिल्ली को देख नहीं पाते थे, उनकी मजबूरी थी इसलिये फटका लगाते थे। पर बेटा तो आँख का अंधा नही था पर अकल का अंधा था, इसलिये वह भी वैसा करता था जैसा माँ-बाप क...

क्या लेके आया बन्दा क्या लेके जाये गा

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पढोगे तो रो पड़ोगे जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो , दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई। फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी। और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म , गुलाबी , रसीले , सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना , रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए। और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार । समय कैसे फटाफट निकल गया , पता ही नहीं चला। इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया , बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला। बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी , मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त , बच्चे की जिम्मेदारी , शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक...

बुजुर्गों से अपने रिलेशनशिप को इन 4 तरीकों से कर सकते हैं मजूबत

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लाइफस्टाइल डेस्कः बच्चा रोता नजर आए, परेशान दिखे तो माता- पिता घबरा जाते हैं। ज्यादा देर सोया रहे और रोने की आवाज न आए तो कई बार जाकर उसे देखते हैं। थोड़ा बड़ा हो और चलने लगे तो हर कदम पर उसके साथ कि कहीं गिर न जाए। घर का ऐसा छोटा-मोटा सामान जिससे उसे चोट पहुंच सकती है वो हटा दिया जाता है। वजह क्योंकि वह आप पर निर्भर रहता है। अधिक उम्र में माता- पिता या दादी को भी आपके इसी सहारे की जरूरत होती है। जिन्होंने कभी आपके हर कदम को संभाला, क्या आप भी उनका उतना ख्याल रख पाते हैं? 65 वर्ष से अधिक उम्र के एक तिहाई लोगों को हर साल गिरने से चोट लगती है। ये रिस्क उम्र के साथ बढ़ने लगती है। घर बनवाते वक्त उनकी जरूरतों का ख्याल रखा जाना चाहिए। ये हमारा काम होता है कि हम उनका ध्यान रखें। उनकी जरूरत और आराम के मुताबिक अपने घर में बदलाव करके उनके लिए अपनी केयरिंग को दिखाकर रिलेशनशिप को और मजबूत किया जा सकता है। बच्चों की तरह ही है इन्हें भी आपकी जरूरत ख्याल रखना परिवार में बुजुर्ग बीमार है चलने में सक्षम नहीं है तब उनका ध्यान अपने छोटे बच्चे की तरह रखें। कई बातें वो हिचकिचाहट के कारण बोल नहीं पाते...