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समझदार बहू

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 समझदार बहू.... शाम को गरमी थोड़ी थमी तो मैं पड़ोस में जाकर निशा के पास बैठ गई। उसकी सासू माँ कई दिनों से बीमार है। सोचा ख़बर भी ले आऊँ और बैठ भी आऊँ। मेरे बैठे-बैठे उसकी तीनों देवरानियाँ भी आ गईं। "अम्मा जी, कैसी हैं?" शिष्टाचारवश पूछ कर इतमीनान से चाय-पानी पीने लगी।  फिर एक-एक करके अम्माजी की बातें होने लगी। सिर्फ़ शिकायतें, जब मैं आई तो अम्माजी ने ऐसा कहा, वैसा कहा, ये किया, वो किया। आधा घंटे बाद सब यह कहकर चली गईं कि उन्होंने शाम का खाना बनाना है। बच्चे इन्तज़ार कर रहे हैं। कोई भी अम्माजी के कमरे तक भी न गया।  उनके जाने के बाद मैं निशा से पूछ बैठी, निशा अम्माजी, आज एक साल से बीमार हैं और तेरे ही पास हैं। तेरे मन में नहीं आता कि कोई और भी रखे या इनका काम करे, माँ तो सबकी है। उसका उत्तर सुनकर मैं तो जड़-सी हो गई। वह बोली, "बहनजी, मेरी सास सात बच्चों की माँ है। अपने बच्चो को पालने में उनको अच्छी जिंदगी देने में कभी भी अपने सुख की परवाह नही की सबकी अच्छी तरह से परवरिश की। ये जो आप देख रही हैं न मेरा घर, पति, बेटा, शानो-शौकत सब मेरी सासुजी की ही देन है।  अपनी-अपनी समझ है।

एक बाप बेटे की कहानी

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 एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया। खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया। रेस्टॉरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था। खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया। उनके कपड़े साफ़ किये, उनका चेहरा साफ़ किया, उनके बालों में कंघी की,चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया। सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा। तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा " क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?? " बेटे ने जवाब दिया" नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर नहीं जा रहा। " वृद्ध ने कहा " बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो, प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद (आशा)। " आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीँ करते और कहते हैं क्या करोगे आप से चला तो जाता नहीं ठीक से खाया भी नहीं ज

एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी..

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एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी...बड़ा और छोटा पढ़ने मे बहुत तेज थे। उनके माँ बाप उन चारो से बेहद प्यार करते थे मगर मंझले बेटे से थोड़ा परेशान से थे। बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया। छोटा भी पढ लिखकर इंजीनियर बन गया। मगर मंझला बिलकुल अवारा और गंवार बनके ही रह गया। सबकी शादी हो गई । बहन और मंझले को छोड़ दोनों भाईयो ने Love मैरेज की थी। बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी। आख़िर भाई सब डाक्टर इंजीनियर जो थे। अब मंझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी। बाप भी परेशान मां भी। बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भैया से मिलती। मगर मझले से कम ही मिलती थी। क्योंकि वह न तो कुछ दे सकता था और न ही वह जल्दी घर पे मिलता था। वैसे वह दिहाडी मजदूरी करता था। पढ़ नहीं सका तो...नौकरी कौन देता। मझले की शादी कीये बिना बाप गुजर गये । माँ ने सोचा कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए अपने ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मझले की शादी करवा दी। शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मझला बड़े लगन से काम करने लगा । दोस्तों ने कहा... ए चन्दू आज अड्डे पे आना। चंदू - आज नहीं फिर कभी दोस

Heart_Touching story दिल को छु लेने वाली एक ऐसी कहानी

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Heart_Touching..❤️❤️   Story    जब डॉक्टर ने ये बताया था ना , बधाई हो बेटी हुई है । मैंने लड्डू बांट दिए थे पूरे अस्पताल में क्योंकि मुझे शिखा ( पत्नी) जैसी बेटी ही चाहिए थी ।जब चलती थी ना तो उसके छोटे छोटे पैरों की पायल की गूंज पूरे घर में दौड़ जाती थी ।मुझे याद है उसने पहली बार जब पापा बोला था। कितना खुश था मैं । मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया घंटों में उससे बोलता रहा , बेटा पापा बोलो , पा.....पा ,पा......पा और वो गर्दन मटकाने लगती । मैं उसकी हर नादानी पर बहुत हंसता । जब वो पांचवी में थी उसने पापा के ऊपर निबंध लिखा । उसने लिखा मेरे पापा हीरो है ।जो उसने अपने शब्दों में लिखा था , दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जो पापा मेरे लिए नहीं ला सकते और ऐसा कोई काम नहीं जिसे पापा नहीं कर सकते । मेरे पापा अलादीन के चिराग हैं । मैंने न जाने कितनी बार उस निबंध को पढ़ा । जब भी मैं उसे पढ़ता तो मुझे एक सफल पिता की झलक उसमें दिखती अपनी मां की चुन्नी ओढ़कर अक्सर मुझे खाना बनाकर खिलाती । धीरे धीरे मेरी प्लास्टिक की गुड़िया दादी अम्मा बन गई ।मैं उसमें अपनी मां की छवि देखता ।हर बात पर