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आज_की_कहानी ----- शादी की बाद की कहानी

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शादी की बाद की कहानी एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की। शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी। वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसूरती की हमेशा तारीफ़ किया करता था। लेकिन कुछ महीनों के बाद लड़की चर्मरोग (skin Disease) से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी। खुद को इस तरह देख उसके मन में डर समाने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई, तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी। इस बीच एकदिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, उसका Accident हो गया। Accident में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी। लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही। समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी। वह बदसूरत हो गई, लेकिन अंधे पति को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा। एकदिन उस लड़की की मौत हो गई। पति अब अकेला हो गया था। वह बहुत दु:खी था. वह उस शहर को छोड़क

दुलाराम जी मेघवाल... दुलाराम जी रतनगढ़ तहसील के प्रेमनगर, आलसर

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#मुलाकात __ ये हैं रतनगढ़ तहसील के प्रेमनगर, आलसर गांव के दुलाराम जी मेघवाल... दुलाराम जी  सेवाभाव से रोजाना 50 से अधिक लोगों के शरीर में दर्द, जोड़ो में दर्द, टूटी हुई हड्डी या नस, नाड़ी के दबने से होनेवाले दर्द का प्रभावी ईलाज अपने स्वयं के पैसों से देशी दवाईयां लाकर करते हैं। आप रोगी के घर जाकर देखने का भी कोई पैसा नहीं लेते हैं। एक तरफ समाज में दुलाराम जी जैसे साधारण कमाई वाले, कम पढ़ेलिखे या अनपढ़ निस्वार्थ सेवाभावी लोग देखने को मिलते हैं और दूसरी तरफ संपन्न और सभ्य समाज से कहाने वाले धरती के तथाकथित भगवान या डॉक्टर्स हैं। जो सरकार से उचित वेतन-भत्ते मिलने के बाद भी गरीब मरीजों से पैसे लेकर, जानबूझकर बाहर की दवाईयां लिखकर, अनावश्यक जांचें में कमीशन खाकर लूटने में कोई कोर कसर नहीं रखते हैं। दुलाराम जी व इनकी विचारों में कितना फर्क है। कभी सेवा की मूल भावना वाले पावन और संवेदनशील चिकित्सा पेशे में आज ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की लालसा सेवा की भावना पर हावी हो रही है। जो दुखद है और धरती के भगवानों से अनैतिक और असंवेदनशील काम करवा रही है। आमजन की नजरों में इन्हें गिरा रही है। . जा

रामावतार शर्मा जी का वक्तव्य

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"नाना के घर आए हो, खाली हाथ कैसे जाओगे?" ये शब्द महज़ स्नेह या लोक व्यवहार नहीं हैं! ये समाजशास्त्र या मानसशास्त्र को साधने की कला का उदाहरण भी नहीं हैं! ये शब्द धर्म का प्राण हैं। भारत की आत्मा हैं! आज से साढ़े पाँच वर्ष पहले सुने थे, तब से ओस की बूंदें बनकर हृदय को सींचते आए हैं... ये शब्द! 2012 की सर्दियाँ थीं। नई दिल्ली में आयोजित IBTL भारत संवाद प्रारंभ हुआ। (आदरणीय): श्रीमति निर्मला सीतारमण, डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी, श्री महेश गिरी, श्री शेषाद्रि चारी, श्रीमति मीनाक्षी लेखी इत्यादि नामों से पहले एक अपरिचित सज्जन मंच पर आए... रामअवतार शर्मा जी। साइकल से सीता-राम-लक्ष्मण के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए अयोध्या से रामेश्वरम् और जनकपुर तक यात्रा कर आए थे। उन्होंने गाथा बताई.. कैसे राह भर के वनवासी श्री राम के विषय में यूँ बात करते मानों कुछ समय पहले ही राम वहाँ से होकर गए हों! जनकपुर के विषय में एक सुंदर घटना कही। उन्हीं के शब्दों में: "जनकपुर का जो मंदिर है.. उसके महंत जी के पास मैं गया। उन्होंने मुझे रिश्तेदार की तरह रखा। अनजान आदमी को! जब मैं चल

संस्कार

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🔥 *संस्कार*  एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी...बड़ा और छोटा पढ़ने मे बहुत तेज थे। उनके मा बाप वैसे तो उन चारो से बेहद प्यार करते थे , मगर मंझले बेटे से थोड़ा परेशान से थे। बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया। छोटा भी पढ लिखकर इंजीनियर बन गया। मगर मंझला बिलकुल अवारा और गंवार बनके ही रह गया सबसे बड़े बेटे और सबसे छोटे बेटे की शादी हो गई । और बहन का भी विवाह हो गया । बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी। आखिर उसके दो भाई डाक्टर इंजीनियर जो थे। लेकिन मंझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी। बाप भी परेशान था और मां भी परेशान थी। बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भैया से मिलती। मगर मंझले से कम ही मिलती थी। क्योंकि वह न तो कुछ दे सकता था और न ही वह जल्दी घर पे मिलता था। वैसे वह दिहाडी मजदूरी करता था। पढ़ नहीं सका तो...नौकरी कौन देता। मझले की शादी किए बिना पिताजी गुजर गये । माँ ने सोचा कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए अपने ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मझले की शादी करवा दी। शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मंझला बड़े लगन से काम करने लगा । दोस्तों ने कहा... ए चन्दू आज

जाने माथे पर तिलक लगाने के बाद चावल के दाने क्यों लगाए जाते है

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जाने माथे पर तिलक लगाने के बाद चावल के दाने क्यों लगाए जाते है ये तो आपने अक्सर देखा होगा, कि जब आपके घर में कोई त्यौहार, शादी या पूजा का समय होता है, तो इसकी शुभ शुरुआत व्यक्ति को तिलक लगा कर की जाती है. जी हां ये तो सब को मालूम है कि पूजा के दौरान व्यक्ति को तिलक लगाया जाता है, क्यूकि तिलक लगाना शुभ माना जाता है. मगर क्या आपने कभी ये सोचा है कि तिलक लगाने के बाद व्यक्ति के माथे पर चावल क्यों लगाए जाते है. यकीनन आपको कभी ये सोचना की जरूरत ही नहीं पड़ी होगी. हालांकि आज हम आपको  ये बताएंगे कि तिलक लगाने के बाद उसके ऊपर चावल क्यों लगाए जाते है. गौरतलब है कि पूजा के दौरान माथे पर कुमकुम का तिलक लगाते समय चावल के दाने भी ललाट पर जरूर लगाए जाते है. बरहलाल ऐसा क्यों किया जाता है, इसके पीछे की वजह भी आज हम आपको विस्तार से बताते है. अगर वैज्ञानिक दृष्टि की बात करे तो माथे पर तिलक लगाने से दिमाग में शांति और शीतलता बनी रहती है. इसके इलावा चावल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. वही अगर शास्त्रों की बात करे तो चावल को हविष्य यानि हवन में देवी देवताओ को चढ़ाने वाला शुद्ध अन्न

Rajasthani Folk Singer List & Folk Music Group

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Rajasthani Folk Singer   Rajasthani folk singer   10 Fantastic Folk Singers Who Have Brought The Unique Flavor Of Regional Music To Bollywood  Once in a blue moon, comes a song so different and refreshing, it sounds nothing like the typical Bollywood music. It reminds you of the culture, we, Indians, hold so dear to our hearts. It binds the country together with voices that have brought about cultural change and are deep enough to move your soul. The power in a folk singer's voice is unmatched and Bollywood has turned to them quite often to create music that reflects our nation's fabric. Folk singers don't live because of music but they live for music, instead. Here are some of our country's most renowned folk artists who lent their soulful voices and honored Bollywood with it:  1. Rana Dholi:  Rana dholi Folk Dance & Music offers you a wide range of services for your wedding and events. With the glory and excellence featuring a decade of music, th

ये वो बाते जो आपको जरुर जानना चाहिये | नहीं तो हो सकता है बड़ा नुक्सान

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कुछ उपयोगी बाते।। ★ घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। सकारात्मक ऊर्जा का वास घर में रहता है तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की किरणें घर में प्रवेश कर सकें। ★ भोजन बनाते समय गृहिणी का हमेशा मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे भोजन सुपाच्य और स्वादिष्ट बनता है। साथ ही पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति की पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।। ★ जो बच्चे में पढ़ने में कमजोर हैं, उन्हें पूर्व की ओर मुख करके अध्ययन करना चाहिए। ★ रात को सोते वक्त व्यक्ति का सिर हमेशा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। कभी भी उत्तर दिशा की ओर सिर करके नहीं सोना चाहिए। इससे अनिद्रा रोग होने की संभावना होती है साथ ही व्यक्ति की पाचन शक्ति पर विपरीत असर पड़ता है। घर में कभी-कभी नमक के पानी से पोंछा लगाना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।। ★ घर से निकलते समय माता-पिता को विधिवत (झुककर) प्रणाम करना चाहिए। इससे बृहस्पति और बुध ठीक होते हैं। इससे व्यक्ति के जटिल से जटिल काम बन जाते हैं।। ★ घर का प्रवेश द्वा