फ्री में बिजली पूरी दुनिया में - मनोज भार्गव

एक भारतीय-अमेरिकी अरबपति भारत के लाखों घरों में बिजली की उपलब्धता के लिए दस हजार स्थिर बाइक वितरित करने की योजना बना रहे हैं।




मनोज भार्गव नाम के अरबपति 2016 तक पहले उत्तराखंड के 15 या 20 छोटे गांवों में 50 बाइकों की जांच करेंगे उसके बाद बड़े स्तर इसका वितरण करेंगे।

भार्गव के अनुसार, सिर्फ एक घंटे पेडल मारने के बाद ये बाइक एक दिन तक रोशनी और जरूरी घरेलू विद्युत उपकरणों को बिजली उपलब्ध कराएगी।
ये हैं मनोज भार्गव, अमेरिका के रईस भारतीयों में इनकी गिनती होती है। साल 2010 से पहले कम लोग ही उन्हें जानते थे। 2012 में फोर्ब्स मैगजीन ने करोड़पतियों की लिस्ट में उनका नाम शामिल किया तब सबकी निगाहें उनकी तरफ गईं। मनोज को उत्तराखंड से बेहद लगाव है अपना बिजनेस शुरू करने से पहले यहां के कई मठों में साधु की तरह रहे। वह दिल्ली के हंसलोक आश्रम में करीब 12 साल तक रहे। मनोज इन दिनों भारत के करीब 20 लाख लोगों को फ्री बिजली देने वाले प्रोजेक्ट पर काम कर कर रहे हैं। इसकी शुरुआत अगले साल से उत्तराखंड के 20 गांवों से होने जा रही है।

साइकिल से बनेगी बिजली

- मनोज द्वारा बनाई गई साइकिल में एक घंटे पैडल मारने से पूरे दिनभर घरेलू उपकरण चलाने लायक बिजली आसानी से मिल सकती है।
- जहां बिजली नहीं है, वहां लोग इससे 25 एलईडी बल्ब जला सकते हैं। सेलफोन चार्ज कर सकते हैं। छोटा पंखा चला सकते हैं।
- मनोज भार्गव की प्रयोगशाला ने 2015 में मेकैनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रीकल एनर्जी में बदलने पर काम शुरू किया है।
मेकैनिकल एनर्जी को बदला इलेक्ट्रीकल में
साइकिल से बिजली बनने की तकनीक का उपयोग अभी तक सिर्फ साइकिल की लाइट जलाने तक ही सीमित रहा है। लेकिन मनोज ने इस तकनीक को विकसित करके भारत के उन घरों को रोशन करने का जिम्मा उठाया है जो आज भी बिजली से महरूम हैं। अमेरिका के एनर्जी ड्रिंक व्यापारी मनोज भार्गव ने साइकिल पर आधारित एक मशीन तैयार की है। इसे कसरत करने वाली साइकिल भी कहा जा सकता है। भार्गव की इस मशीन से साइकिल से बिजली पैदा की जा सकती है। मेकैनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रीकल एनर्जी में बदलने की एक मशीन से एनर्जी को इकट्ठा किया जा सकता है और पूरे 24 घंटे इससे घर में बिजली रह सकती है।

साधारण साइकिल की तरह

भार्गव ने इस फ्री इलेक्ट्रिकबाइक का पेटेंट करवाया है। जल्द ही इसका बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू होने जा रहा है। भारत की कई बड़ी कंपनियां भार्गव के साथ काम करना चाहती हैं।
खास बात यह है कि इस साइकिल के 70 प्रतिशत पुर्जे सामान्य साइकिल जैसे ही हैं। भार्गव चाहते हैं कि मार्च 2016 में वे भारत में इसकी पहली उत्पादन इकाई स्थापित कर दें जहां रोजाना 1000 साइकिल बनाई जाएं।
क्यों है जरूरत
- अभी भारत के 32000 से ज्यादा गांवों में बिजली नहीं है। 10 लाख से ज्यादा परिवार अंधेरे में रहते हैं।
- एक साइकिल की कीमत 12,000 रुपए के करीब रहेगी।



- पहले चरण में उत्तराखंड में काम होगा।
यह योजना अगर सफल हो गई तो इससे अरबों लोगों को फायदा होगा। इसके लिए उनके लिए मुख्य चुनौती इसका वितरण है। मुफ्त में बाइक देने की जगह वह वितरकों को कुछ लाभ देते हुए इसके वितरण को तरजीह देंगे। मूलरूप से भारतीय मनोज भार्गव का परिवार सन् 1967 से भी अमेरिका में बसा हुआ है। वह वहां एक एनर्जी ड्रिंक कंपनी के मालिक हैं।


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