खूब पैसा कमाना सफलता नहीं
टीवी क्वीन के नाम से दुनिया भर में मशहूर ओपरा विनफ्रे ने अपने बचपन में अनगिनत दिक्कतें सहीं। तमाम पुरस्कारों से सम्मानित विनफ्रे को दुनिया में सबसे ज्यादा दान देने वाली सेलिब्रिटी होने का गौरव भी हासिल है। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में ओपरा ने दुनिया भर के नौजवानों को सफल और नेक इंसान बनने की प्रेरणा दी।
मैंने अपने लंबे करियर और निजी जीवन से कई अहम बातें सीखीं। आज मैं आपसे कुछ खास मसलों पर चर्चा करूंगी। जीवन में सबसे अहम है ज्ञान। मैं 19 साल की उम्र में टीवी में बतौर एंकर काम करने लगी थी। मेरा टीवी शो रात साढ़े दस बजे खत्म होता था और मेरे डैड का सख्त आदेश था, ‘ओपरा, तुम्हारा शो साढ़े दस पर खत्म होता है, इसलिए तुम्हें 11 बजे तक घर के अंदर होना चाहिए।’ यह मेरे लिए कर्फ्यू जैसा आदेश था। जब मैंने टीवी में करियर शुरू किया, तब मैं ग्रेजुएट नहीं थी। मेरे डैड की दिली ख्वाहिश थी कि मैं स्नातक की डिग्री हासिल करूं। वह अक्सर कहते थे, ‘ओपरा, डिग्री के बिना तुम्हारा क्या होगा?’ तब मैं कहती, डैड मैं टीवी शो होस्ट हूं। क्या हुआ, अगर मेरे पास डिग्री नहीं है। लेकिन वह संतुष्ट नहीं थे। इस दौरान मैंने टीवी और फिल्मी करियर में बड़ी सफलताएं हासिल कीं, मुझे कई अवॉर्ड मिले। मुझे टेनिसी स्टेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करने का न्यौता मिला, लेकिन मैंने मना कर दिया। मैंने कहा कि मुझे अभी एक और सफलता पानी है, इसके बाद मैं यूनिवर्सिटी में लेक्चर दूंगी। आखिरकार मैंने टेनिसी स्टेट यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली और तब जाकर मेरे पिता को सच्ची खुशी हुई। आज मैं समझ सकती हूं कि मेरे पिता क्यों मेरी पढ़ाई पर इतना जोर देते थे। ज्ञान जरूरी है। ज्ञान की खूबी है, आप इसे जितना खर्च करते हैं, यह उतना ही बढ़ता है। हालांकि ज्ञान सिर्फ यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है। असल शुरुआत तो इसके बाहर होती है।
मन की सुनें
यह बात उस समय की है, जब मैं बाल्टीमोर में छह बजे के शो की ‘को-एंकर’ थी। मेरा वेतन अच्छा था, लेकिन मैं खुश नहीं थी। मेरे न्यूज डायरेक्टर को मेरा नाम ही पसंद नहीं था। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा, ‘तुम्हारा नाम अच्छा नहीं है, कोई तुम्हें ओपरा के नाम से याद नहीं रखेगा, हमने एक नाम सोचा है, अब तुम्हारा नाम सूजी होगा।’ मैंने कहा कि लोग मुझे याद रखें या नहीं, मैं अपना नाम नहीं बदलूंगी। तब उन्होंने कहा कि उन्हें मेरा लुक पसंद नहीं है। उन्होंने मेरे बाल घुंघराले करवाने के लिए मुझे एक सैलून में भेजा, कुछ दिनों बाद मेरे बाल झड़ गए और मैं गंजी हो गई। कल्पना कीजिए, टीवी पर एक अश्वेत और गंजी एंकर, बेहद खराब तस्वीर। इससे खराब बात मेरे लिए यह थी कि मुझे आपदाओं और दुर्घटनाओं में फंसे लोगों की कवरेज के लिए भेजा जाता था। इस दौरान मैं लोगों की मदद करना चाहती थी, पर मेरे बॉस कहते, ओपरा, तुम रिपोर्टर हो, कोई समाज सेविका नहीं, अपने काम पर ध्यान दो। आखिरकार आठ महीने बाद मैंने वह नौकरी गंवा दी। मुझे बताया गया कि मैं जरूरत से ज्यादा भावुक हूं। उन्होंने मुझे नौकरी से तो नहीं निकाला, लेकिन एंकर पद से हटाकर मुझे टॉक शो में लगा दिया। मैंने वही किया, जो मुझे ठीक लगा। दूसरों को खुश करने के लिए मैंने अपने को नहीं बदला। जब-जब मैंने अपने मन की सुनी, मेरे निर्णय सही साबित हुए। जब मैंने अपने दिल की आवाज को नजरअंदाज किया, मेरे फैसले गलत साबित हुए। इसलिए आप अपने मन की सुनो।
पैसा सब कुछ नहीं
मुझे लगता है कि हमारी भावनाएं ही हमारी सच्ची प्रेरक होती हैं, जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। अपनी अंतरात्मा का सम्मान करो, सफलता अपने आप मिलेगी। आखिर सफलता का पैमाना क्या है? क्या ढेर सारा पैसा कमाना ही कामयाबी है? पैसा अच्छी चीज है। मुझे भी पैसा कमाना अच्छा लगता है, यह सामान खरीदने का अच्छा साधन है। लेकिन ढेर सारा पैसा कमाने से आप सफल इंसान नहीं बन जाते। पैसा कमाने के साथ इसका नेक मकसद भी होना चाहिए, क्योंकि एक अच्छा मकसद ही आपको हकीकत में अमीर बनाता है। आप सच्चे अमीर तभी बनते हैं, जब लोग आपका सम्मान करते हैं, आप पर भरोसा करते हैं।
सच्ची खुशी
अहम सवाल है कि कैसे मिलेगी सच्ची खुशी? जवाब है, दूसरों की मदद करके। अगर आप खुद दर्द में हैं, तो ऐसे लोगों की सहायता करें, जो आपकी तरह ही दर्द से जूझ रहे हैं। अगर आपके पास अधिक पैसा है, तो दूसरों की मदद कीजिए। समाज को वापस करना, सबसे अहम बात है। मार्टिन लूथर किंग ने एक बार कहा था, ‘हर कोई मशहूर नहीं बन सकता, लेकिन हर कोई महान जरूर बन सकता है, क्योंकि महानता सेवा से आती है।’ और सेवा करने के लिए किसी कॉलेज की डिग्री की जरूरत नहीं होती। सेवा करने के लिए आपके अंदर सिर्फ लोगों की सहायता करने की इच्छा होनी चाहिए। यकीन मानिए, लोगों की मदद करके आपको अच्छा ही लगेगा, आपको सच्ची खुशी मिलेगी।
जीवन के सबक
मैं मानती हूं कि पूरी पृथ्वी एक स्कूल है, यह दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है। जीवन आपको कई सबक सिखाता है। कई बार ये सबक कठिनाइयों के रूप में हमारे सामने आते हैं। जीवन हमेशा आपको दबे स्वर में संकेत देता है। बेहतर है कि कठिनाइयों का संकेत मिलते ही अलर्ट हो जाओ। चुनौतियों से निपटने के दौरान ही हमें समस्या के हल मिल जाते हैं। सीखने का बेहतर तरीका है खुद में सुधार। खुद को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए खुद में सुधार करना होगा। अपने अंदर समझ विकसित करनी होगी, दया का भाव जगाना होगा। मैं मानती हूं कि आंतरिक ज्ञान बाहर दिखने वाली धन-दौलत से कहीं ज्यादा कीमती है।
प्रस्तुति: मीना त्रिवेदी