लाखों पेड़ लगाने वाले महामानव को विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर सादर अभिनन्दन

लाखों पेड़ लगाने वाले महामानव को
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर सादर अभिनन्दन
Daripalli Ramaiah :
सच्चा प्रकृतिप्रेमी  


दरिपल्ली रमैया तेलंगना राज्य के खम्मम जिले के एक छोटे से गाँव है। पर्यावरण में आ रहे बदलाव, बढ़ते प्रदूषण की मात्रा और वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई से दरिपल्ली का मन हमेशा बेचैन रहता था। वे इसके निदान के लिए कुछ करना चाहते थे। तभी उनके मन में वृहद स्तर पर वृक्ष लगाने का विचार आया।
और फिर क्या था वे रोज इसी सोच के साथ जेब में बीज और साईकिल पर पौधे रखकर जिले क लंबा सफर तय करते और जहां कही भी खाली भूमि दिखती वही पौधे लगा देते। प्रारम्भ में उन्होंने ऐसा करके अपने गांव के पूर्व और पश्चिम दिशा में चार-चार कि.मी. के श्रेत्र को हरे-भरे पेड़-पौधों से भर दिया, जिनमें मुख्यतः बेल, पीपल, कदंब और नीम के पेड़ हैं। इन पेड़ों की संख्या आज बढ़कर तीन हजार से भी ज्यादा हो गई हैं।
पर्यावरण प्रेम से वशीभूत होकर दरिपल्ली रमैया इस कार्य को हमेशा आगे बढ़ाते रहे| उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सिर्फ वृक्ष लगाने तक ही सीमित नहीं रखी हैं, बल्कि वे स्वयं पेड़-पौधों की देख-रेख भी करते हैं।
वे स्वयं कहते हैं – “मेरा उद्देश्य पौधों को लगा देने भर से ही समाप्त नहीं होता, मेरा काम तो इनको एक छोटे पौधे से पेड़ बनाने के बाद ही समाप्त होता हैं।
उनकी इस लगन का परिणाम यह हुआ कि आज इस जिले के हजारों हेक्टेयर भूमि में विस्तृत वन श्रेत्र विकसित हो चुका हैं, जिसे राज्य की सरकार ने संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया हैं।
दरिपल्ली रमैया पेड़-पौधें लगाने वाले एक जुनूनी व्यक्ति भर नहीं हैं। बल्कि वे वृक्षों का चलता-फिरता विश्वकोष हैं। वे पौधों के विभिन्न प्रजातियों, उनके उपयोग और लाभ आदि के विषय में विस्तृत ज्ञान रखते हैं।
वे अपने गाँव के बाहर स्थित पुराने पुस्तकों के दुकानों से पेड़-पौधों से संबंधित किताबें खरीद कर उनका अध्ययन भी करते हैं। उनके पास राज्य में पाये जाने वाले 600 से ज्यादा वृक्षों के बीजों का अनूठा संग्रह भी हैं।
वे यही नहीं रूके; पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने कबाड़ के टिन प्लेटों पर वृक्ष बचाओं के नारे रंग-बिरंगे रंगों से लिखकर पूरे गाँव व जिलें में घूमते हैं। वे बड़े ही गर्व से राजमुकुट की भांति टीन की एक टोपी भी पहनते हैं, जिससे वे लोगों को हरियाली बचाने की अपील करते हैं।
एक बार किसी व्यक्ति ने उनके काम से खुश होकर उनके बेटे की शादी पर 5000 रूपये दिये परन्तु यह रमैया का काम के प्रति सर्मपण ही कहा जाएगा कि उन्होंने उस पैसे को भी वृक्षारोपण के कार्य को आगे बढ़ाने में लगा दिया। पैसे की कमी दरिपल्ली के उद्देश्य पूर्ति में कभी बाधा नहीं बनी।


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