सभी में छुपी है काबिलियत -अपनी काबिलीयत को पहचानो और अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ो..
सभी में छुपी है काबिलियत
किसी गाँव में एक तालाब हुआ करता था। उस तालाब के किनारे कुछ गुलाब के फूल उगे हुए थे।सुबह सुबह गाँव के सभी लोग बूढ़े, बच्चे, महिलाएं, आदमी सभी तालाब किनारे घूमने आया करते थे। वो गुलाब के फूल हर किसी का मन मोह लेते थे। जिस किसी की भी नजर उन फूलों पर पड़ती वो उनकी सुन्दरता की तारीफ करते नहीं थकता था। उन्हीं फूलों में लगे पत्ते रोज ये सब देखते और उनको लगता कि कभी तो कोई उनकी भी तारीफ करेगा। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ, लोग आते और गुलाब के फूलों की ही तारीफ करते और पत्तों की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता था। अब पत्ते ये सोचने लगे कि भगवांन ने सब कुछ तो इस फूल को दिया है तो फिर इस दुनिया में हमारा क्या काम ? हम इस दुनिया में क्यों आये हैं ? ये सब सोचकर पत्ते मायूस हो जाते कि हमारे जीवन का कोई मोल नहीं है और हमारे अंदर फूल की तरह कुछ विशेष बात भी नहीं है। समय गुजरता गया, एक दिन गाँव में बड़ी तेज आंधी आयी। थोड़ी ही देर में उस आंधी ने तूफान का रूप ले लिया। तेज हवा से सारे फूल और पत्ते झड़ कर नीचे गिर गए। एक पत्ता झड़कर पानी में गिरा, वो पानी में तैर रहा था कि उसकी नजर एक चींटी पर पड़ी। वो चींटी तालाब में डूब रही थी और खुद को बचाने का पूरा प्रयास कर रही थी लेकिन वो सफल नहीं हो पा रही थी। पत्ते ने उस चींटी को आवाज दी और कहा कि तुम मेरे ऊपर आ जाओ और मैं तुमको किनारे तक ले जाँऊगा। चींटी पत्ते के ऊपर आ गयी। जब तूफान थमा, तब तक पत्ता तालाब के किनारे आ चुका था। चींटी पत्ते से उतरकर जमीन पर आ गयी और उसने पत्ते से कहा कि तुम बहुत ही अच्छे हो, तुमने आज मेरी जान बचायी है, मैं सदा के लिए तुम्हारी आभारी रहूंगी और आप सचमुच बहुत महान हैं, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। पत्ता बोला – धन्यवाद तो मुझे आपको कहना चाहिये क्योंकि आज आपकी वजह से मैं अपनी काबिलियत को पहचान पाया। मैं तो खुद को किसी काम का नहीं समझता था लेकिन आज पता चला कि मेरे अंदर भी कुछ काबिलियत हैं। मैं भी कुछ अच्छा कर सकता हूँ।