मेनाल जलप्रपात का अद्भुत दृश्य
मेनाल चित्तोड़गढ़ (राजस्थान) का प्राकृतिक जलप्रपात अलोकिक, नयनाभिराम है जिसकी प्रसंसा माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी आकाशवाणी के कार्यक्रम मन की बात में पिछली 28 जून 2015 को की थी ____
भारत का सुप्रसिद्घ पर्यटक स्थल मेनाल चित्तोड़गढ़ जिले के बेगूं उपखण्ड क्षेत्र में स्थित है। यह प्राकृतिक स्थल मुख्यालय से 86 कि.मी. दूरी पर बूंदी-कोटा मार्ग NH 27 पर स्थित है। प्राकृतिक,ऐतिहासिक, पुरातात्विक यह स्थल बारिश शुरू होते ही अपनी प्राकृतिक अनुपम छटा बिखेरता है ।
लगभग 150 फीट ऊंचाई से तेज वेग से गिरता हुआ जल प्रपात देशी -विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। बारिश के मौसम में नैसर्गिक वैभव का आनन्द लेने के लिए पर्यटकों का आवागमन बना रहता है।
यहां चितोड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, कोटा, बूंदी, उदयपुर, जयपुर सहित मध्यप्रदेश के पर्यटकों के अतिरिक्त विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। यहां पूर्वी किनारे पर मेहानालेश्वर का प्राचीन मंदिर बना हुआ है, जो मध्य कालीन वास्तुशिल्प का अनुपम नमूना है यह मंदिर अपनी भव्यता से प्रसिद्घ है। प्राचीन शिल्पकला से युक्त महानालेश्वर मंदिर बाहरवीं शताद्घी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान द्वारा बनाया गया यहां की प्राचीन शिल्पकला कृतियों को पर्यटक देखकर आश्चर्य में रह जाते हैं।
बहती हुई कल कल जल धारा, इठलाती बलखाती जल धाराएं व वानरों की हुक, शीतल हवा के झौके और वनाच्छांदित वादियां, जंगली फूलो की सुगंधि,ऐसे मनमोहक पर्वतीय अंचल में अलौकिक सौंदर्य का नैसर्गिक वैभव को देख पर्यटक आनन्दित हो जाते हैं।
हरीतिमा बिखेरती पहाडिय़ों के बीच जल प्रपात की छटा निराली है। यहां मंदिर के सामने एक बड़ा परिसर यानि चौक है। परिसर के मध्य एक बाजू पर तोरण द्वार निर्मित है। इसके ठीक दाएं बाजू पर झरने का प्रवेश द्वार है तथा पश्चिम छोर मेनाली नदी के उस पार रुठी रानी का महल स्थित हैं ।
मंदिर समूह में विभिन्न देवी-देवताओं के लगभग एक दर्जन छोटे-बड़े मंदिर है। महाभारत काल मे पाण्डवो का अग्यातवास भी अल्प समय के लिए यहाँ रहा है ।
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