"बुद्धिमान कौआ"
"बुद्धिमान कौआ" बहुत साल पुरानी बात है, एक धनवान राज्य में बहुत बड़ा और पुराना बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कौआ-कव्वी का जोड़ा अपने घोसले में रहता था। ये जोड़ा दिनभर भोजन की तलाश में बाहर रहता और शाम होते ही लौट आता। उसी पेड़ के पास एक दुष्ट सांप भी रहता था। कौआ-कव्वी का जोड़ा बहुत आराम से गुज़र-बसर कर रहा था। इसी बीच कव्वी ने अंडे दिए, दोनों बेहद ख़ुश थे। लेकिन एक दिन जब वो बाहर गए, तो सांप उनके अंडों को खा गया। दोनों बहुत रोये। अब हर साल मौसम आने पर कव्वी अंडे देती और वो सांप मौका पाकर उनके घोसले में जाकर अंडे खा जाता। वो दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर उनके बच्चों का दुश्मन कौन है? लेकिन जल्द ही वो समझ गए कि हो न हो यह काम उस सांप का ही है। सांप तो अंडे खाकर चला गया, लेकिन कव्वी के दिल पर जो बीता वो सोचा भी नहीं जा सकता था। कौए ने अपनी पत्नी को ढाढस बंधाया, “अब हमें शत्रु का पता चल चूका है, तो हम कुछ उपाय भी ज़रूर सोच लेंगे.” कौए ने काफ़ी सोचा और अपनी मित्र लोमड़ी से सलाह लेने दोनों उसके पास गए। लोमड़ी ने अपने मित्रों की दुख भरी कहानी सुनी। लोमड़ी ने क...