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"बुद्धिमान कौआ"

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"बुद्धिमान कौआ" बहुत साल पुरानी बात है, एक धनवान राज्य में बहुत बड़ा और पुराना बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कौआ-कव्वी का जोड़ा अपने घोसले में रहता था। ये जोड़ा दिनभर भोजन की तलाश में बाहर रहता और शाम होते ही लौट आता। उसी पेड़ के पास एक दुष्ट सांप भी रहता था। कौआ-कव्वी का जोड़ा बहुत आराम से गुज़र-बसर कर रहा था। इसी बीच कव्वी ने अंडे दिए, दोनों बेहद ख़ुश थे। लेकिन एक दिन जब वो बाहर गए, तो सांप उनके अंडों को खा गया। दोनों बहुत रोये। अब हर साल मौसम आने पर कव्वी अंडे देती और वो सांप मौका पाकर उनके घोसले में जाकर अंडे खा जाता। वो दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर उनके बच्चों का दुश्मन कौन है? लेकिन जल्द ही वो समझ गए कि हो न हो यह काम उस सांप का ही है। सांप तो अंडे खाकर चला गया, लेकिन कव्वी के दिल पर जो बीता वो सोचा भी नहीं जा सकता था। कौए ने अपनी पत्नी को ढाढस बंधाया, “अब हमें शत्रु का पता चल चूका है, तो हम कुछ उपाय भी ज़रूर सोच लेंगे.” कौए ने काफ़ी सोचा और अपनी मित्र लोमड़ी से सलाह लेने दोनों उसके पास गए। लोमड़ी ने अपने मित्रों की दुख भरी कहानी सुनी। लोमड़ी ने क

कृष्ण और सुदामा की मित्रता

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कृष्ण और सुदामा की मित्रता  कृष्ण-सुदामा की मित्रता बहुत प्रचलित है। सुदामा गरीब ब्राह्मण थे। अपने बच्चों का पेट भर सके उतने भी सुदामा के पास पैसे नहीं थे। सुदामा की पत्नी ने कहा, "हम भले ही भूखे रहें, लेकिन बच्चों का पेट तो भरना चाहिए न?" इतना बोलते-बोलते उसकी आंखों में आंसू आ गए। सुदामा को बहुत दुख हुआ। उन्होंने कहा - "क्या कर सकते हैं? किसी के पास माँगने थोड़े ही जा सकते है।" पत्नी ने सुदामा से कहा - "आप कई बार कृष्ण की बात करते हो। आपकी उनके साथ बहुत मित्रता है ऐसा कहते हो। वे तो द्वारका के राजा हैं।  वहां क्यों नहीं जाते ? जाइए न ! वहां कुछ भी मांगना नहीं पड़ेगा !" सुदामा को पत्नी की बात सही लगी। सुदामा ने द्वारका जाने का तय किया। पत्नी से कहा - "ठीक है, मैं कृष्ण के पास जाऊंगा। लेकिन उसके बच्चों के लिए क्या लेकर जाऊं ?"सुदामा की पत्नी पड़ोस में से पोहे ले आई। उसे फटे हुए कपडे में बांधकर उसकी पोटली बनाई। सुदामा उस पोटली को लेकर द्वारका जाने के लिए निकल पड़े। द्वारका देखकर सुदामा तो दंग रह गए। पूरी नगरी सोने की थी।  लोग बहुत सुख

एक मेहनती आदमी : कहानी

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अपने काम से परिवार के लिए समय निकालो : एक कहानी  एक आदमी था जो बहुत ही मेहनती था. वो अपने परिवार की living support के लिए ब्रेड बेचने का काम करता था. मेहनती आदमी   उसकी एक पत्नी और तीन बच्चे थे. वो उन्हें बहुत चाहता था. वो सारा दिन काम करने के बाद रात को पढाई करने के लिए classes जाता था. वो चाहता था की उसे एक अच्छी और better job मिल जाये. ताकि वो अपने परिवार को सारी खुशिया और अच्छी lifestyle दे सके. इसमें कुछ बुरा भी नहीं था. हर व्यक्ति यही चाहता है की उसे और उसके परिवार को कोई कमी न रहे. वो रात दिन बहुत मेहनत करता. पर इस बीच वो अपने परिवार को बिलकुल भी समय नहीं दे पता था. जब भी उसके परिवार वाले उसे शिकायत करते की वो उन्हें समय नहीं देता. तो वो यही कहता की मैं ये सब तुम सब के लिए ही तो कर रहा हूँ. वो भी हमेशा अपने परिवार के साथ रहना चाहता था. पर उसे उसके काम इसका अवसर नहीं देते. अब आखिर वो दिन आ ही गया, जब उसके results announce होने वाले थे. उसकी उम्मीद के मुताबिक, वो बहुत ही अच्छे marks से paas हुआ. और कुछ ही समय बाद उसे एक बहुत अच्छी job भी मिल गयी