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एम्बुलेंस दादा जलपाईगुड़ी

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"एम्बुलेंस दादा " को मिला पद्म्श्री अपनी मोटरसाईकिल से लोगो को फ्री में पहुचाते है हॉस्पिटल जलपाईगुड़ी: मिलिए एक ऐसे अंजान हीरो से जो अब तक आम लोगों की भीड़ में छुपा हुआ था। करीमुल हक़, जिन्हें सोशल वर्क के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। करीमुल हक को एम्बुलेंस दादा के नाम से भी जाना जाता है। करीमुल हक ने अपने गांव धालाबाड़ी में 24 घंटे की एम्बुलेंस सेवा शुरू की। करीमुल गरीब मरीजों को अपनी बाइक पर लेकर हॉस्पिटल पहुंचाते हैं और कई बार वो उन्हें फर्स्ट ऐड भी देते हैं। करीमुल ने कहा कि उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि पश्चिम बंगाल के दूर-दराज़ के गांव में रहने वाला कोई व्यक्ति इस तरह का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर सकेगा। अपनी मां को धन्यवाद देता हूँ जोकि अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उन्हें खोने के बाद ही मुझे समाज के लिए काम करने की जरूरत महसूस हुई। मैं इस सम्मान के लिए सरकार का धन्यवाद करना चाहता हूँ। करीमुल का गांव अब जश्न के मूड में है, क्योंकि उन्हें विराट कोहली, दीपा करमाकर और मीनाक्षी अम्मा के समकक्ष यह सम्मान प्राप्त करने का गौरव हासिल ...

। कुछ भी हो इसे सोशल नेटवर्किंग का कमाल ही कहेंगे। :)

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मेरे आसपास की महिलायें ( चाची , ताइजी , अम्मा , बुआजी , और मेरी माँ भी ) जो आधी उम्र गुज़रने के बाद भी उन गलियों , मौहल्लों , बाजारों और आसपड़ोस के घरों को नहीं घूम पायीं , जहाँ सालों पहले ब्याह कर आई थीं। घूमती भी कैसे !! बुलावा ( बुलौआ ) और आसपास के मंदिरों तक जाने के लिए जिन्हें नाक तक पल्लू खिसकाए और साड़ी को हाथ से जरा ऊँचा उचकाए चलना पड़ा हों , वो कैसे ठीक - ठीक देख पाती कुछ भी ?? पर पिछले 2-3 सालों में वही महिलायें बहुत से दायरे लाँघकर , आत्मविश्वास से भरी हुयीं दिखती हैं।   कुछ भी हो इसे सोशल नेटवर्किंग का कमाल ही कहेंगे।   :)   और उन बच्चों , पतियों की मेहनत भी , जो उन्हें इस दुनिया में लाये , उन्हें सिखाया और समझाया। यही वजह है कि बहुत कुछ बदला - बदला सा नजर आता है अब...गालियाँ , मोहल्लें , बाजार भले भी अब भी ना खंगाले गए हों लेकिन उनकी ज़िन्दगी और रहन , सहन का तरीका बहुत बदला है। जो कल तक बुलावा जाने से पहले बताशा भरने के लिए सबसे जरुरी चीज हाथ में रुमाल होना समझती थीं , वो आज घर से निकलते हुए पूछती हैं " अरे मोबाइल कहाँ रख दिया मैंने "   :)   ...

जानें ग्राम पंचायत और उसके अधिकार

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लखनऊ।   देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं। हर पांच साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है , लेकिन ग्रामीण जनता को अपने अधिकारों और ग्राम पंचायत के नियमों के बारे में पता नहीं होता। बता रहा है गाँव कनेक्शन नेटवर्क... क्या होती है   ग्राम पंचायत ? किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। हर गाँव में एक ग्राम प्रधान होता है। जिसको सरपंच या मुखिया भी कहते हैं। 1000 तक की आबादी वाले गाँवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य , 2000 तक 11 तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य हाेने चाहिए। ग्राम सभा की बैठक साल में दो बार होनी जरूरी है। जिसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस से देनी होती है। ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5 वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है।   ग्राम पंचायत के 1/3 सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर करके लिखित रूप से यदि बैठक बुलाने की मांग करते हैं , तो 15 दिनों के अंदर ग्राम प्रधान को बैठक आयोजित करनी होगी। ग्राम पंचायत के सदस्य...