एम्बुलेंस दादा जलपाईगुड़ी
"एम्बुलेंस दादा " को मिला पद्म्श्री अपनी मोटरसाईकिल से लोगो को फ्री में पहुचाते है हॉस्पिटल
जलपाईगुड़ी: मिलिए एक ऐसे अंजान हीरो से जो अब तक आम लोगों की भीड़ में छुपा हुआ था। करीमुल हक़, जिन्हें सोशल वर्क के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
करीमुल हक को एम्बुलेंस दादा के नाम से भी जाना जाता है। करीमुल हक ने अपने गांव धालाबाड़ी में 24 घंटे की एम्बुलेंस सेवा शुरू की।
करीमुल गरीब मरीजों को अपनी बाइक पर लेकर हॉस्पिटल पहुंचाते हैं और कई बार वो उन्हें फर्स्ट ऐड भी देते हैं। करीमुल ने कहा कि उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि पश्चिम बंगाल के दूर-दराज़ के गांव में रहने वाला कोई व्यक्ति इस तरह का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर सकेगा।
अपनी मां को धन्यवाद देता हूँ जोकि अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उन्हें खोने के बाद ही मुझे समाज के लिए काम करने की जरूरत महसूस हुई। मैं इस सम्मान के लिए सरकार का धन्यवाद करना चाहता हूँ।
करीमुल का गांव अब जश्न के मूड में है, क्योंकि उन्हें विराट कोहली, दीपा करमाकर और मीनाक्षी अम्मा के समकक्ष यह सम्मान प्राप्त करने का गौरव हासिल हुआ है। करीमुल ने कहा कि वो बहुत ही खुश हैं और महसूस कर हे हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।
हर काम को अभी या बाद में मान्यता जरूर मिलती है। 52 साल के करीमुल हक़ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में एक चाय बागान में काम करते हैं और साथ ही समाज सेवा भी करते हैं।
करीमुल अपनी मोटर साइकिल से जिन गांव वालों को बीमारी में इलाज़ की जरूरत होती है उन्हें गांव से 70 किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर जाते हैं और वो यह सब कुछ बिना एक भी पैसा लिए करते हैं। करीमुल की पत्नी अंजुआरा बेगम पति को मिल रहे सम्मान से काफी खुश हैं। वो कहती हैं कि हम सभी गाँव वालों के लिए उनके इस निस्वार्थ योगदान में उन्हें पूरा समर्थन देते हैं। वो जो कुछ भी कर रहे हैं हमें उस पर गर्व है।
जलपाईगुड़ी: मिलिए एक ऐसे अंजान हीरो से जो अब तक आम लोगों की भीड़ में छुपा हुआ था। करीमुल हक़, जिन्हें सोशल वर्क के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
करीमुल हक को एम्बुलेंस दादा के नाम से भी जाना जाता है। करीमुल हक ने अपने गांव धालाबाड़ी में 24 घंटे की एम्बुलेंस सेवा शुरू की।
करीमुल गरीब मरीजों को अपनी बाइक पर लेकर हॉस्पिटल पहुंचाते हैं और कई बार वो उन्हें फर्स्ट ऐड भी देते हैं। करीमुल ने कहा कि उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि पश्चिम बंगाल के दूर-दराज़ के गांव में रहने वाला कोई व्यक्ति इस तरह का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर सकेगा।
अपनी मां को धन्यवाद देता हूँ जोकि अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उन्हें खोने के बाद ही मुझे समाज के लिए काम करने की जरूरत महसूस हुई। मैं इस सम्मान के लिए सरकार का धन्यवाद करना चाहता हूँ।
करीमुल का गांव अब जश्न के मूड में है, क्योंकि उन्हें विराट कोहली, दीपा करमाकर और मीनाक्षी अम्मा के समकक्ष यह सम्मान प्राप्त करने का गौरव हासिल हुआ है। करीमुल ने कहा कि वो बहुत ही खुश हैं और महसूस कर हे हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।
हर काम को अभी या बाद में मान्यता जरूर मिलती है। 52 साल के करीमुल हक़ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में एक चाय बागान में काम करते हैं और साथ ही समाज सेवा भी करते हैं।
करीमुल अपनी मोटर साइकिल से जिन गांव वालों को बीमारी में इलाज़ की जरूरत होती है उन्हें गांव से 70 किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर जाते हैं और वो यह सब कुछ बिना एक भी पैसा लिए करते हैं। करीमुल की पत्नी अंजुआरा बेगम पति को मिल रहे सम्मान से काफी खुश हैं। वो कहती हैं कि हम सभी गाँव वालों के लिए उनके इस निस्वार्थ योगदान में उन्हें पूरा समर्थन देते हैं। वो जो कुछ भी कर रहे हैं हमें उस पर गर्व है।