जानिए नकसीर के कारण व उपाय


तीखे और गर्म खाने से होती नकसीर की परेशानी 









अचानक नाक से खून बहना यानि नकसीर की समस्या | ऐसा गर्मी और सर्दी दोनों में हो सकता है | लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी शिकायतें अधिक रहती है | चरक संहिता में इस रोग को उध्र्व रक्तपित के नाम से समझाया गया है | इस रोग का तुरंत उपचार कराना चाहिए | नकसीर होने पर इसे नजरंदाज न करे | वरना यह समस्या बढ़ सकती है| जाने क्या है इसके कारण और उपचार के तरीके .........|



 
 नकसीर आने पर सिर को ऊपर करके नाक से आ रहे ब्लड को न रोकें | सिर नीचे झुकाएँ ताकि नाक से आ रहा खून निकल जाए |





गर्म , तीखी , खट्टी व नमकीन चीजे पेट में जलन पैदा करती है | साथ ही तेज धुप में रहने से नकसीर आने की आशंका बढ़ जाती है | चिकनाई युक्त गर्म खाना इस रोग का मुख्य कारण है | पित्त के बढने से दूषित रक्त के रूप में यह नाक से बाहर निकल जाता है | रोगी हष्टपुष्ट हो और मर्ज पुराना न हो तो यह आसानी से ठीक हो जाता है | यह रोग अगर शीतकाल में हुआ हो तो आसानी से ठीक हो जाता है ओर्र गर्मी में हुआ तो इसका इलाज कठिन हो जाता है |






  
इसके ज्यादातर मामलों में कुछ समय बाद रक्तस्राव बंद हो जाता है | लेकिन ऐसी स्थिति दोबारा न हो इसके लिय खानपान में सावधानी बरतें |  
नकसीर आने के बाद उपवास रखें | इसके बाद सत्तू को पानी में घोलकर पीऐ |
खट्टी चीज़े हालांकि इस रोग में मना होती है लेकिन अनार व् आंवले का प्रयोग इसमे विशेष लाभकारी होता है |
धान के चूर्ण में गाय का घी व शहद मिलाकर खाएं |
मुंग, मसूर चना व अरहर की दाल का पानी पीएं |
पटोल , नीम, बांस, प्लक्ष , चिरायता , कांचनार के फूल को पानी में उबालें और घी मिलाकर पीएं |
गाय का दूध , अंगूर , गन्ना दूर्वा व प्याज के रस की दो – दो बूँद नाक में डालने से नकसीर में लाभ मिलता है |
मुन्नका व छोटी हरड के क्वाथ में शहद मिलाकर पीनें से लाभ होता है |

चाय – कॉफ़ी गर्म पेय से दुरी बनाएं | छाछ , दही , लस्सी या ठंडे पेय को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं | इसके अलावा मौसमी फल भी ले सकते है |

 

चरक संहिता के मुताबिक , प्रकृति इस रोग की चिकित्सा में सहायक है | नदी , तालाब (जिसमें कमल खिलें हो) के किनारे रहना कारगार है | रात को चन्द्रमा देखने से भी यह रोग शांत हो जाता है | इसके  अलावा कमल और केले को पत्तों को बिछौने के रूप में प्रयोग करने से भी रक्तपित्त रोग की गर्मी में राहत मिलती है |
                               प्रोफेसर अनूप कुमार गक्खड, आयुर्वेद विशेषज्ञ, हरिद्वार           

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