बिजनेस लीडर्स से लेकर एम्प्लाइज को लगता है की ऑटोमेशन और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंसी करंट जॉब्स को करेंगी रिलेप्स
बिजनेस लीडर्स से लेकर एम्प्लाइज
को लगता है की ऑटोमेशन और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंसी करंट जॉब्स को करेंगी रिलेप्स
जॉब को टेक्नोलोजी का खतरा
स्थिति बहुत गम्भीर है, एक तरफ
जहां हम टेक्नोलोजी की जद में आ रहे , वहीं दूसरी और टेक्नोलोजी हमे अपनी जद में
ले रही है | जी हाँ, सामान्य एम्प्लाइज ही नही बल्कि बिजनेस लीडर्स को भी लगता हैं की आने वाले समय में ऑटोमेशन और आर्टीफिशियल
इंटेलिजेंसी करंट जॉब्स को करेंगी रिलेप्स कर सकती हैं| करीब 79% बिजनेस लीडर्स और
63% दुसरे एम्प्लाइज यह मानते है की आने वाला समय ऑटोमेशन का हैं, जो यूथ के लिये
बड़ा खतरा है| एक ग्लोबल स्किल डवलपमेंट की और से हुई स्टडी में यह स्थिति सामने आई
है| इस स्टडी में इण्डिया के अलावा यूके, यूएस और साउथ अफ्रीका के करीब आठ हजार
एम्प्लाइज को शामिल किया गया था| मई 2016 में यह स्टडी हुई थी, इसमें रेस्पोंडेट्स,
सीईओ, सीनियर लीडर्स, मिडिल मेनेजर्स और जनरल एम्प्लाइज शामिल थे |
91% इंडियंस को लगता है की अगले पांच साल में उनकी स्किल्स हो
जांएगी ओल्ड जॉब पर पड़ते टेक्नोलोजी के असर को लेकर चिंतित हैं एम्प्लाइज
स्किल्स, जिसकी पड़ेगी जरूरत
पांच सालों के हिसाब से स्किल्स में काफी बदलाव देखें जाएंगे| इसमें
लीडरशिप स्किल (79 प्रतिशत), मेनेजमेंट स्किल (72 प्रतिशत), टेक्निकल स्किल (64
प्रतिशत), कम्युनिकेशन स्किल (62 प्रतिशत) ओर आईटी स्किल (59 प्रतिशत) होगी| दूसरी
और, यदि स्किल गैप की बात करें, तो यूएस, यूके ओर साउथ अफ्रीका में से इंडियंस को
अपनी संस्था में स्किल का गैप सबसे ज्यादा महसूस होता है| उनके अनुसार संस्था में
होने वाले स्किल गैप के अपने कई नुकसान भी है|
40 प्रतिशत का मानना है की स्किल गैप प्रोडक्टीविटी को कम करता है,वहीं 35 प्रतिशत को लगता है की संस्था के पास स्ट्रांग लीडरशिप की कमी है|
40 प्रतिशत का मानना है की स्किल गैप प्रोडक्टीविटी को कम करता है,वहीं 35 प्रतिशत को लगता है की संस्था के पास स्ट्रांग लीडरशिप की कमी है|