सरकारी स्कूलों में सुविधाओं का अभाव
सरकारी स्कूलों में सुविधाओं का अभाव
सर्दी , गर्मी और बारिश कोई भी मौषम हो पेड़ो के नीचे लगती है क्लास इसका ज़िमेदार कोन है स्कुल , गांव वाले , नेता या सरकार
पता नही जो भी हो लेकिन नुकसान सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का है ।
हालांकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सबसे बड़ी समस्या है, जहां प्रशिक्षित शिक्षकों की दशा और उनके चयन प्रणाली में गड़बड़ी से सभी परिचित हैं और यहां छात्र-छात्राओं के लिए अन्य सुख-सुविधाओं की बात करना ही व्यर्थ है। शिक्षा देना दूर, कई बार तो बच्चों को दोपहर का भोजन (मिड डे मील) खाकर भी जान से हाथ धोना पड़ जाता है। शिक्षा क्षेत्र के स्तर में सुधार के लिए अब तक के सरकारी प्रयास को नगण्य ही कहा जा सकता है। शायद यही कारण है कि वर्तमान में गरीब और लाचार अभिभावक भी बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा माहौल व अच्छी सुविधा के लिए निजी स्कूलों की ओर रुख करने को मजबूर हैं।
ऐसे हालात में कल्पना की जा सकती है कि भारत सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के स्तर को सुधारने में कितना वक्त लगेगा और उसे एक मॉडल स्तर तक पहुंचाने में कितनी बड़ी निवेश की जरूरत होगी। उदाहरण के लिए, ज़िंबाब्वे में प्रति व्यक्ति आय भारत के मुक़ाबले कम है, लेकिन शिक्षा के मामले में जिंबाब्वे भारत से बेहतर हैं।