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शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर निबंध 2 (150 शब्द)

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आगे बढ़ने के लिए सुविधाओं और अवसरों की उपलब्धता ग्रामीण जीवन की अपेक्षा शहरी जीवन में अधिक होती है। लेकिन शहरों में प्रदूषण, शोर, पर्याप्त पानी की अनुपलब्धता है और साथ ही वहां ट्रैफिक जाम, भीड़भाड़ और अपराध भी एक गंभीर समस्या है। इसी तरह, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं की कमी है, लेकिन स्वच्छ हवा और शांति वहाँ रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। गांवों भारतीय संस्कृति और विरासत का दर्पण है। br /> वहां भारत की सदियों पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं। आप गांवों में आज भी धूप, हरियाली और शांति का आनंद प्राप्त कर सकते हैं और यहां के लोग बहुत ही गर्मजोशी से मिलते हैं और उनका व्यवहार भी दोस्ताना होता है। वहीं दूसरी तरफ शहरी जीवन कठिन चुनौतियों से भरा होता है। ज्यादातर, शहरों में रहने वाले लोगों के पास नवीनतम एवं अत्याधुनिक सुख- सुविधाओं के साधन उपलब्ध होते हैं लेकिन वे हमेशा किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रहते हैं और अफसोस की बात है कि वे अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं।  इस प्रकार, ग्रामीण एवं श...

घर के बड़ो को वक्त दीजिए ...

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  घर के बड़ो को वक्त दीजिए ... अगर आपको लगता है की बुजुर्ग बहुत सारे एम्पर्फच्सनके साथ रह रहे है तो जरा याद कीजिय आपके एसे कितने ही दोस्त होगे ,जब उन्हें चाहते है तो इन्हे क्यों नही | अगर आप चाहती हे की उम्र के तीसरे या चोथे पड़ाव में पहुसती हुइ आपकी माँ लम्बा और खुसहाल जीवन जीए तो आप आज से उन्हें आपना वक्त देना शुरू कीजिय | शोध साबित कर चुके हैकी माँ  के साथ वक्त बीता के वह दीर्घायु होगी | असल में ऐसा न केवल माँ , बल्कि घर के किसी भी बुजुर्ग के साथ होता है| साथ वक्त बिताने , खाना खाने उनकी बात सुनने से वे खुश रहने लगते है और इसका सीधा असर उनकी उम्रपर पड़ता है | फिर जेसा  आप वेवहार करती है , ठीक वेसा ही वेव्हार आपके बचे भी तो सीखते है.......... छह वर्ष तक हुए एस शोध में सामील 23 फीसदी लोग अकेलेपन की वजह से जल्द मर गए , जबकि जिन 14 फीसदी लोगो को किसी न किसी का साथ मिला हुआ , उनकी उम्र लम्बी रही वेसे देखा जाये तो अगर बुजर्गो को परिवार को भी परम्पराए ,आशीर्वाद दुलार उनसे मिलता है| ऐसा दरसल एसलिय होता है की हम चाहते है की जिन्हें हम जानते है , व...

जीवन मंत्र....

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जीवन मंत्र.... किस्सा आज से कोई दस एक साल पुराना है । तब जब कि मेरा छोटा बेटा अभी बहुत छोटा था । बमुश्किल 6 या 7 साल का । दीपावली के दिन थे । हमारी colony में एक जनरल स्टोर ने दूकान के सामने ही पटाखों का स्टाल लगा रखा था । मेरा बेटा अपनी बहन के साथ उस दुकान से लौटा तो बहन ने मुझे धीरे से कान में बताया कि ये उस दुकान से पटाखे चुरा के अपनी जेब मे भर लाया है । Now , i had a situation in hand . A very delicate situation . मैंने बेटे को पास बुलाया और उसे बहुत प्यार किया । दुलारा , पुचकारा । फिर पूछा , आप उस दुकान से पटाखे लाये हो ? अगर कोई देख लेता तो कितना अपमान होता न ? क्या ये अच्छी बात है ? अब एक काम करो । कल सुबह , जब कि दूकान में भीड़ भाड़ नही होगी , और दुकानदार के पास पर्याप्त समय होगा तुम्हारी बात सुनने और समझने के लिए , तुम दोनों भाई बहन उसके पास ये पटाखे और पैसे ले के जाना और कहना , Uncle कल हमने ये पटाखे लिए थे पर भीड़ भाड़ में पैसे देना भूल गए इसलिए अब आप इनके पैसे ले लीजिए । दोनों बच्चे दुकान पे गए और पैसे दे के लौट आये । मैंने पूछा क्या हुआ ? उन्होंने बताया कि दुकानदा...

एक मज़ेदार कहानी

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एक मज़ेदार कहानी Image credit http://i2.mirror.co.uk एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था। एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई। बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा। एक दिन किसी प्रकार से मालूम पड़ा कि रोटियाँ बिल्ली खा जाती है। अब पत्नी जब रोटी बनाती उस समय पति दरवाजे के पास बाँस का फटका लेकर जमीन पर पटकता। इससे बिल्ली का आना बंद हो गया। जब लङका बङा हुआ और उसकी शादी हुई। बहू जब पहली बार रोटी बना रही थी तो उसका पति बाँस का फटका लेकर बैठ गया औऱ फट फट करने लगा। कई दिन बीत जाने के बाद पत्नी ने उससे पूछा कि तुम रोज रसोई के दरवाजे पर बैठ कर बाँस का फटका क्यों पीटते हो? पति ने जवाब दिया कि ये हमारे घर की परम्परा (रिवाज) है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूँ। कहानी का सार: माँ बाप तो अंधे थे, जो बिल्ली को देख नहीं पाते थे, उनकी मजबूरी थी इसलिये फटका लगाते थे। पर बेटा तो आँख का अंधा नही था पर अकल का अंधा था, इसलिये वह भी वैसा करता था जैसा माँ-बाप क...

बच्चों को पढ़ाने का 5 सही तरीका

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बच्चों को पढ़ाने का 5 सही तरीका किसी भी पेरेंट्स के लिए सबसे मुश्किल का काम होता है, अपने बच्चों को पढ़ाना। क्योंकि, बच्चों को पढ़ाना किसी टास्क से कम नहीं होता है। ऐसे में एक पेरेंट्स होने के नाते आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि, एक बच्चे को कैसे पढ़ाया जाए, और उसके सही तरीके आपको मालूम होने चाहिए। आमतौर पर पेरेंट्स पढ़ाई के दौरान अपने बच्चों की पिटाई करते हैं, ताकि वह डर से पढ़ाई कर सके। लेकिन, यह तरीका बेहद गलत है, क्योंकि मारने-पीटने से बच्चे और जिद्दी हो जाते हैं। image credit hindi.yourstory.com वीडियो की मदद से - अपने छोटे बच्चों को पढ़ाने का यह तरीका बेहद सही है, क्योंकि बच्चे कविताओं वाले वीडियो की मदद से जल्दी सीखते हैं। बाजार में इस तरह के वीडियो बहुत उपलब्ध हैं, ऐसे में अपने बच्चों को इसके जरिए याद करा सकते हैं।  रंग-बिरंगी किताबें - अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है तो उसे फोटो वाली रंग-बिरंगी किताबें खरीद कर दें। क्योंकि, बच्चे उन तस्वीरों को देख कर अच्छे से याद कर सकते हैं, और इसका एक फायदा यह भी होगा कि आपके बच्चे उन चीजों को दुबारा आसानी से पहचान सकते ...

फिल्मों के 12 ऐसे Dialogue जो आपको कहीं हिम्मत नहीं हारने देंगे और सफलता पाने का जज्बा हमेशा जगाए रखेंगे

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फिल्मों के 12 ऐसे Dialogue जो आपको कहीं हिम्मत नहीं हारने देंगे और सफलता पाने का जज्बा हमेशा जगाए रखेंगे .   1. *3 Idiots*: कामयाबी के पीछे मत भागो , काबिल बनो , कामयाबी तुम्हारे पीछे झक मार कर आएगी.   2. *Dhoom 3*: जो काम दुनिया को नामुमकिन लगे , वही मौका होता है करतब दिखाने का. 3. *Badmaash Company*: बड़े से बड़ा बिजनेस पैसे से नहीं , एक बड़े आइडिया से बड़ा होता है.     4. *Yeh Jawaani Hai Deewani*: मैं उठना चाहता हूं , दौड़ना चाहता हूं , गिरना भी चाहता हूं....बस रुकना नहीं चाहता  5. *Sarkar*: नजदीकी फायदा देखने से पहले दूर का नुकसान सोचना चाहिए.   6. *Namastey London*: जब तक हार नहीं होती ना....तब तक आदमी जीता हुआ रहता है.   7. *Chak De! India*: वार करना है तो सामने वाले के गोल पर नहीं , सामने वाले के दिमाग पर करो..गोल खुद ब खुद हो जाएगा.   8. *Mary Kom*: कभी किसी को इतना भी मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाए.   9. *Jannat*: जो हारता है , वही तो जीतने का मतलब जानता है.   10. *Happy New Year*: ...

11 साल का ये बच्चा स्कूल चलाता है, 100 से भी ज्‍यादा बच्‍चे पढ़ने आते हैं

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11 साल का ये बच्चा स्कूल चलाता है , 100 से भी ज्‍यादा बच्‍चे पढ़ने आते हैं आमतौर पर स्‍कूल से आने के बाद हर बच्‍चा टीवी पर कार्टून देखता है , खेलने चला जाता है या फिर अपना होमवर्क करने में बिजी हो जाता है. लेकिन उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ में एक ऐसा भी बच्‍चा है जिसकी आदतें आम बच्‍चों से जुदा हैं. लखनऊ का रहने वाला 11 साल का आनंद कृष्‍ण मिश्रा वह बच्‍चा है जो स्‍कूल के बाद खेलने या कार्टून देखने की बजाय दूसरे बच्‍चों को पढ़ाना पसंद करता है. आनंद एक स्‍कूल चलाता है , जिसमें 100 से भी ज्‍यादा बच्‍चे पढ़ने आते हैं. आनंद हर शाम अपने गांव के पास एक बाल चौपाल लगाता है और बच्‍चों को पढ़ाता है. आनंद के पास पढ़ने आने वाले बच्‍चे उन्‍हें ' छोटा मास्‍टर जी ' कहकर बुलाते हैं. बाल चौपाल की कक्षा में हर रोज किताबों से पाठ पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों को नैतिकता का शिक्षा भी सिखाई जाती है. आनंद अपनी क्‍लास की शुरुआत ' हम होंगे कामयाब ' गीत के साथ करता है और क्‍लास के आखिर में राष्ट्रीय गान गाया जाता है. अपनी इस सेवा के लिए 7 वीं कक्षा के आनंद को ' सत्यपथ ब...