Posts

मां बाप और सुख दुख

Image
ज़िंदगी मां के आँचल की गांठों जैसी है. गांठें खुलती जाती हैं. किसी में से दुःख और किसी में से सुख निकलता है. हम अपने दुःख में और सुख में खोए रहते हैं. न तो मां का आँचल याद रहता है और न ही उन गांठों को खोलकर मां का वो चवन्नी अठन्नी देना. याद नहीं रहती तो वो मां की थपकियां. चोट लगने पर मां की आंखों से झर झर बहते आंसू. शहर से लौटने पर बिना पूछे वही बनाना जो पसंद हो. जाते समय लाई, चूड़ा, बादाम और न जाने कितनी पोटलियों में अपनी यादें निचोड़ कर डाल देना. याद रहता है तो बस बूढे मां बाप का चिड़चिड़ाना. उनकी दवाईयों के बिल, उनकी खांसी, उनकी झिड़कियां और हर बात पर उनकी बेजा सी लगने वाली सलाह. आखिरी बार याद नहीं कब मां को फोन किया था. ऑफिस में यह कहते हुए काट दिया था कि बिज़ी हूं बाद में करता हूं. उसे फोन करना नहीं आता. बस एक बटन पता है जिसे दबा कर वो फोन रिसीव कर लेती है. पैसे चाहिए थे. पैसे थे, बैंक में जमा करने की फुर्सत नहीं थी. भूल गया था दसेक साल पहले ही हर पहली तारीख को पापा नियम से बैंक में पैसे डाल देते थे. शायद ही कभी फोन पर कहना पडा हो मां पैसे नहीं आए. शादी हो गई है. बच्च

बाजरा के स्वास्थ्य लाभ

Image
बाजरे का सेवन लाभकारी है।  बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है, उससे अधिक उसमें गुण भी हैं। – बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के रोग नहीं होंगे -बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है – बाजरा खाइए,–खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता। – बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है।लीवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है। – गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है। – बाजरे में आयरन भी इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते। – खासतौर पर गर्भवती महिलाओं ने कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए। – वरिष्ठ चिकित्साधिकारी मेजर डा. बी.पी. सिंह के सेना में सिक्किम में तैनाती के दौरान जब गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती थी। इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते थे। -इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली म

चावल खाने के क्या है फायदे

Image
Benefits Of Eating rice Hindi – पूरे एशिया में चावल को मुख्य रूप से खाया जाता है और अब लोग चूँकि अपनी सेहत को लेकर अधिक जागरूक होने लगे है तो इस पर भी कभी कभार सवाल या बहस होती दिख जाती है कि आखिर चावल हमारे स्वास्थ्य पर किस तरह से प्रभाव डालता है इसलिए हम आपको इस बारे में कुछ जानकारी आपसे साझा किये देते है चलिए चावल के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानते है चावल खाने के फायदे  प्राकृतिक चावलों के फायदे – चावल वैसे तो चमकदार और सफेद रंगत लिए होते है लेकिन फिर भी कभी कभी ये हल्के भूरे रंग के भी हो सकते है और भूरे रंग की इसकी बाहरी परत चावल को अधिक स्वास्थ्यवर्धक भी बनाती है क्योंकि इसके भूरे रंग की परत में कई तरह के पोषक तत्व होते है | फाइबर – चावल में मोजूद फाइबर कई तरह से हमारे शरीर की आवश्कताओं को पूरा करता है और फाइबर का पोषक तत्वों में अहम् स्थान है इसमें में मौजूद फाइबर हमारी पेट की अंतडियो में से विषैले तत्वों का खत्म करता है जिस से कैंसर की संभावनाएं भी कम हो जाती है क्योंकि कैंसर की कोशिकाएं सूजी हुई और अम्लीय अंतडियो में अधिक तेजी से फैलती है | विटामिन

पान सिर्फ शौक नहीं औषधि भी है! जानिए गुण!

Image
किसी समारोह में या घर पर भोजन के बाद, बेहतर पाचन और मुखवास के रूप में प्रयोग किया जाने वाला पान, केवल स्वाद की पुड़िया नहीं है, बल्कि इससे आपकी कई तरह की समस्याएं हल हो सकती हैं. जानिए किन समस्याओं में कारगर है:  एंटीसेप्टिक – पान का पत्ता एक एंटीसेप्टिक का काम करता है। छोटी- मोटी चोट या खरोंच आने पर, या मोच आने पर पान का पत्ता लपेटना, या उसे पीस कर लगाने से लाभ होता है । नकसीर - नकसीर या नाक से खून आने की समस्या में पान के पत्ते सूंघने से लाभ होता है, और खून आना बंद हो जाता है। लाल आंखें - थकान, नींद न होना या फिर आंखों में किसी कारण से समस्या होने पर, जब आंखें लाल हो जाएं, तो पान के पत्ते उबालकर ठंडे किए गए पानी के छींटे आंखों पर मारें। मोटी आवाज - आवाज मोटी होने की स्थति में पान खाना और उसका पानी पीना बेहद लाभदायक होता है। इससे आवाज भी ठीक होती है, अौर गले की समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं। मसूड़े- मसूड़ों में खून आने या अन्य तकलीफ होने पर, पान को उबालकर उसके पानी से गरारे करने से, मसूड़ों से खून का की समस्या में लाभ मि‍लता है। ब्रोंकाईटिस - पान के 7 पत्ते को दो कप पा

किताबें जो जिंदगी को बनाती हैं बेहतर

Image
इमेजेजबाजार डॉट कॉम के फाउंडर संदीप माहेश्वरी संडे एनबीटी के इस अंक के गेस्ट एडिटर हैं। उन्होंने अपनी पसंद की पांच किताबें हमसे शेयर कीं। आइए देखें उन्हें क्यों पसंद हैं ये किताबें : गीता - मैंने भगवदगीता एज इट इज पढ़ी है। मेरा मानना है कि दुनिया में कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका हल इस किताब को पढ़कर न मिलता हो। गीता सिर्फ अध्यात्म जगत से जुड़ी समस्याओं और मुद्दों का ही हल पेश नहीं करती, बल्कि इससे आप भौतिकवादी सवालों का हल भी जान सकते हैं। यह एक ऐसी किताब है, जिसे पढ़ने के बाद आपको अंदर से शक्ति महसूस होती है। द पावर ऑफ नाउ - वर्तमान अटल है.. हमेशा प्रजेंट में रहना चाहिए... ये ऐसे जुमले हैं जो हमें अकसर सुनने को मिलते हैं, लेकिन समस्या यह है कि यह सब किया कैसे जाए? यह किताब आपको प्रजेंट में रहने का तरीका सिखाती है और आपको इसकी अहमियत बताती है। किताब बताती है कि अगर आपका मस्तिष्क खाली होगा तो आप जीवन से जुड़ा कोई भी फैसला जल्दी और आसानी से ले पाएंगे। थिंक एंड ग्रो रिच - पर्सनल डिवेलपमेंट और सेल्फ हेल्प के लिए नेपोलियन हिल की लिखी इस किताब का जवाब नहीं। अगर आप

हाथ पैर सुन्न होना

Image
हाथ पैरों का सुन्न होना :  पैरों का सुन्न होना हममें से लगभग सभी ने अनुभव किया होगा. आइये जाने क्यों हो जाते है शरीर के अंग सुन्न :  हर किसी के सोने की खास मुद्रा यानी स्लीपिंग पोजिशन होती है। कोई पेट के बल सोता है, कोई पीठ के तो कोई करवट लिए। कुछ लोग बिस्तर पर लेटते तो सामान्य पोजिशन में हैं, पर जैसे-जैसे नींद गहराती है, उनकी मुद्रा तरह-तरह के आकार ले लेती है। बात रोचक भले ही लगे, मगर मत भूलिए कि ये मुद्राएं आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं। हाथ या पैर का सुन्न हो जाना हममें से लगभग सभी ने अनुभव किया होगा.आइये जाने क्यों हो जाते है शरीर के अंग सुन्न. शरीर का कोई अंग यदि किसी दबाव में ज्यादा समय तक रहता है,तो वह सुन्न हो जाता है.वस्तुतः यह दबाव हाथ या पैर की नसों पर पड़ता है, ये नसें कई एक कोशीय फाइबर से बनी होती है. प्रत्येक एक कोशीय फाइबर अलग-अलग संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य करता है.इन फाइबरों की मोटाई भी कम-ज्यादा होती है.इसका कारण माइलिन नामक श्वेत रंग के पदार्थ द्वारा बनाई गई झिल्ली है.इन पर दबाव पड़ने से मस्तिस्क तक नसों द्वारा पर्याप्त मात्रा म

बुजुर्गों से अपने रिलेशनशिप को इन 4 तरीकों से कर सकते हैं मजूबत

Image
लाइफस्टाइल डेस्कः बच्चा रोता नजर आए, परेशान दिखे तो माता- पिता घबरा जाते हैं। ज्यादा देर सोया रहे और रोने की आवाज न आए तो कई बार जाकर उसे देखते हैं। थोड़ा बड़ा हो और चलने लगे तो हर कदम पर उसके साथ कि कहीं गिर न जाए। घर का ऐसा छोटा-मोटा सामान जिससे उसे चोट पहुंच सकती है वो हटा दिया जाता है। वजह क्योंकि वह आप पर निर्भर रहता है। अधिक उम्र में माता- पिता या दादी को भी आपके इसी सहारे की जरूरत होती है। जिन्होंने कभी आपके हर कदम को संभाला, क्या आप भी उनका उतना ख्याल रख पाते हैं? 65 वर्ष से अधिक उम्र के एक तिहाई लोगों को हर साल गिरने से चोट लगती है। ये रिस्क उम्र के साथ बढ़ने लगती है। घर बनवाते वक्त उनकी जरूरतों का ख्याल रखा जाना चाहिए। ये हमारा काम होता है कि हम उनका ध्यान रखें। उनकी जरूरत और आराम के मुताबिक अपने घर में बदलाव करके उनके लिए अपनी केयरिंग को दिखाकर रिलेशनशिप को और मजबूत किया जा सकता है। बच्चों की तरह ही है इन्हें भी आपकी जरूरत ख्याल रखना परिवार में बुजुर्ग बीमार है चलने में सक्षम नहीं है तब उनका ध्यान अपने छोटे बच्चे की तरह रखें। कई बातें वो हिचकिचाहट के कारण बोल नहीं पाते