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अपने गाँव को बेहतर कैसे बनाये- गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी

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अपने गाँव को बेहतर कैसे बनाये गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी क्या है गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी ? भारत सरकार के कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य में सुधार के लिए गाँव स्वास्थ्य व स्वच्छता कमेटी एक गाँव के ऐसे लोगों का समूह है जो यह समझते हैं कि बेहतर या अच्छा स्वास्थ्य व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस कमेटी में वह लोग होते हैं जो अपने लिए व अपने गाँव के लिए बेहतर जीवन स्तर चाहते हैं। Box item: हर 1,000 से 1,500 की आबादी वाले गाँव में एक ग्राम स्वास्थ्य कमेटी बनाई जाती है। इस कमेटी को सरकार की तरफ से हर वर्ष 10,000 रुपए मिलते है ताकि कमेटी अपने गाँव में स्वास्थ्य रक्षा के लिए कार्यवाही कर सके। इस कमेटी का हिस्सा ऐसे लोग होते हैं जिन पर गाँव के लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है। इस कमेटी के सदस्य अपने गाँव को इस तरह परिवर्तित करते हैं जिससे उनका गाँव प्रसन्नता पूर्वक रहने के योग्य स्थान बन सकें। ऐसे लोग अपनी तथा दूसरों के स्वास्थ्य की देखभाल समझदारी से व मिलजुल कर करते हैं। यह कमेटी सुनिश्

कुछ प्राकृतिक चीजों को रोजाना अपनाकर आप मोटापा कम कर सकते हैं!

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कुछ प्राकृतिक चीजों को रोजाना अपनाकर आप मोटापा कम कर सकते हैं! यदि आप वजन कम करने के लिए बहुत मेहनत नहीं कर पाते हैं तो ये छोटे-छोटे उपाय आपके  बढ़ते वजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं। - खाना खाने के बाद गुनगुने पानी को पीने से वजन तेजी से घटता है। लेकिन खाना खाने के लगभग पौन या एक घंटे बाद एक ग्लास पानी का सेवन करना चाहिए। - कच्चे ये पके हुए पपीत का सेवन खूब करना चाहिए। इससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी नहीं जमती और वजन तेजी से घटता है। - दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करना लाभदायक है। - छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के वक्त छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है। - गरम पानी में नींबू का रस और शहद घोलकर रोज सुबह खाली पेट पिएं। इससे पेट सही रहेगा और मोटापा दूर होगा। - ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है , जो मोटापा घटाने के साथ-साथ चेहरे की झुर्रियों को भी दूर करता है। ग्रीन टी को बिना चीनी के पीने से इसका फायदा जल्द होता है। - एप

वास्तु टिप्स

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वास्तु टिप्स वास्तु टिप्स हमारे आस-पास बहुत कुछ ऐसा घटित होता है। जिसे हम न चाहते हुए भी नकार नहीं सकते ऐसे में कुछ वास्तु टिप्स आजमाकर आप इन परिस्थितियों से सामना कर एक बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। यहां कुछ ऐसे ही वास्तु टिप्स दिए जा रहे हैं जिनसे हम अपने घर , भूमि और अपनी दिनचर्या को बेहतर बना सकते हैं।     घर के द्वार के सामने मंदिर , खंभा व गड्डा शुभ नहीं माने जाते हैं।     धन कि तिजोरी का मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।     सीढ़ियों के नीचे पूजा घर , शौचालय व रसोई घर नहीं बनाना चाहिए।     घर के नैऋत्य भाग में किरायदारों और अतिथियों को नहीं ठहराना चाहिए।     घर का बाहरी सामान नैऋत्य कोण , दक्षिण या पश्चिम में रखना चाहिए।     घर का हल्का सामान उत्तर , पूर्व व ईशान में रखना चाहिए।     घर के वायव्य कोण में अतिथि घर , कुंवारी कन्याओं का शयन कक्ष , ड्राइंग रूम , सीढ़ियां या अन्न भंड़ार गृह बनबाए जा सकते हैं।     कोशिश करें कि खिड़कियां उत्तर या पूर्व में अधिक तथा दक्षिण या पश्चिम में कम बनाएं।     भवन की प्रत्येक मंजिल में छत की ऊंचाई 12 फुट रखनी चाहिए।    

जिंदगी बेहतर बनाते है रिश्ते

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रिश्ते वही नहीं होते जो घर-परिवार या दोस्तों से जुड़े होते हैं बल्कि जब हम अपने इस दायरे से बाहर निकलते हैं , तो कई ऐेसे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं जो बहुत कम समय के लिए हमारी जिंदगी में आते हैं , फिर भी हमारी जिंदगी को  बेहतर बनाने में उनका बड़ा योगदान होता है।  सोचें यदि ये न होते तो जिंदगी कितनी मुश्किल हो जाती।   सुख-दुख के हैं हम साथी   अकेले रहना भारतीयों की फितरत में ही नहीं है।संयुक्त परिवारों का चलन टूटा तो दोस्तों से रिश्ते कायम हुए। घर से दूर कोई बसेरा बनाया तो पड़ोसियों का सहारा मिला।अकेले घर से निकले तो दोस्तों का कारवां जुड़ गया और रहने की समस्या आई तो पी.जी. आंटी से मां का आंचल मिल गया। घर पर ही रहते हुए अकेलापन सताने लगा तो अपने जैसे लोगों का साथ तलाश कर लिया , मौज-मस्ती के आलम में भी भावनाओं का दामन थाम लिया। मां-बाप की तरह प्यारे , भाई-बहनों की तरह दुलारे ये रिश्ते जिनसे हमारा खून का रिश्ता नहीं होता , ये एक दिन उनसे भी बढ़ कर हो जाते हैं।   परिवार तो हमारे दिलों में बसा होता है परंतु ये रिश्ते जिंदगी में शामिल हो जाते हैं और सुख-दुख में अपनों की तरह सा

11 साल का ये बच्चा स्कूल चलाता है, 100 से भी ज्‍यादा बच्‍चे पढ़ने आते हैं

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11 साल का ये बच्चा स्कूल चलाता है , 100 से भी ज्‍यादा बच्‍चे पढ़ने आते हैं आमतौर पर स्‍कूल से आने के बाद हर बच्‍चा टीवी पर कार्टून देखता है , खेलने चला जाता है या फिर अपना होमवर्क करने में बिजी हो जाता है. लेकिन उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ में एक ऐसा भी बच्‍चा है जिसकी आदतें आम बच्‍चों से जुदा हैं. लखनऊ का रहने वाला 11 साल का आनंद कृष्‍ण मिश्रा वह बच्‍चा है जो स्‍कूल के बाद खेलने या कार्टून देखने की बजाय दूसरे बच्‍चों को पढ़ाना पसंद करता है. आनंद एक स्‍कूल चलाता है , जिसमें 100 से भी ज्‍यादा बच्‍चे पढ़ने आते हैं. आनंद हर शाम अपने गांव के पास एक बाल चौपाल लगाता है और बच्‍चों को पढ़ाता है. आनंद के पास पढ़ने आने वाले बच्‍चे उन्‍हें ' छोटा मास्‍टर जी ' कहकर बुलाते हैं. बाल चौपाल की कक्षा में हर रोज किताबों से पाठ पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों को नैतिकता का शिक्षा भी सिखाई जाती है. आनंद अपनी क्‍लास की शुरुआत ' हम होंगे कामयाब ' गीत के साथ करता है और क्‍लास के आखिर में राष्ट्रीय गान गाया जाता है. अपनी इस सेवा के लिए 7 वीं कक्षा के आनंद को ' सत्यपथ ब

संतरे बेच करा दिया गरीब बच्चों के लिए स्कूल का निर्माण; अब कॉलेज बनाने की तैयारी

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कर्नाटक में मेंगलोर के रहने वाले हरेकला हजब्बा यूं तो कहने के लिए अनपढ़ हैं , लेकिन समाज में ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं।   डेक्कन क्रॉनिकल में छपी रिपोर्ट   के मुताबिक , पिछले 30 साल से संतरे बेचकर अपना गुजारा चलाने वाले हजब्बा ने पाई-पाई जोड़कर अपने गांव में गरीब बच्चों के लिए एक स्कूल का निर्माण करा दिया है। यही नहीं , अब वह एक कॉलेज बनाने का सपना पूरा करना चाहते हैं।   हजब्बा मेंगलोर से करीब 25 किलोमीटर दूर हरेकला में नई पप्ड़ु गांव के रहने वाले हैं। वह स्थानीय लोगों के लिए किसी संत से कम नही हैं। यही वजह है कि उन्हें यहां अक्षरा सांता (अक्षरों के संत) के नाम से जाना जाता है। हजब्बा का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। शुरू में उन्होंने बीड़ी बनाने का काम किया। पर कहते हैं कि हौसला इंसान की सबसे बड़ी ताक़त है। हजब्बा ने तब संतरा बेचना शुरू किया तो लगा कि जैसे उनके जीवन जीने का मकसद ही बदल गया। हजब्बा कहते हैं “ मैं कभी स्कूल नहीं गया। बचपन में ही ग़रीबी ने मुझे संतरे बेचने के लिए मजबूर कर दिया। एक दिन मैं दो विदेशियों से मिला , जो  कुछ संतरे खरीदना चाहते थे।