ये आजकल के चैनलों पर सास-बहू के अलावा कुछ आता ही नहीं है।
"ये आजकल के चैनलों पर सास-बहू के अलावा कुछ आता ही नहीं है।" बूढ़ी माँ बोलीं। तभी अचानक टीवी पर फ्रांस में हुए हमलों की खबर सुनाई दी।
"फ्रांस में हुएे धमाके, 78 लोग मरे, 72 लोग घायल। ISIS का एक और आतंकवादी हमला।" ये सब सुनकर, कांपते हाथों से टीवी के चैनल बदल रही बूढ़ी माँ का दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था, मानो बम धमाके उनके घर में ही हुएे हों। बूढ़ी माँ ने बड़ी ही बेचैनी के साथ आवाज़ लगाई, "अरे राहुल के पापा, सुनते हो, ये न्यूज़ वाले क्या बक-बक कर रहे हैं।
कह रहे हैं..." बीच में ही बात काटते हुएे एक भारी सी आवाज़ आयी जो लगभग 60 साल के आदमी की थी। वो अपना चश्मा साफ करते हुएे बोले, "अरे मोहतरमा, क्या तुम भी ये न्यूज़ चैनल देखती रहती हो।
ये सब, साले बिके हुएे हैं। और वैसे भी, तुमहारी उम्र हो चली है, आस्था चैनल देखा करो।" इस बार बूढ़ी माँ, अपनी बात एक दर्द भरी आवाज़ में बोलीं, "कह रहे हैं कि फ्रांस में धमाके हुए हैं।
" इतना सुनते ही पतिदेव सरपट दौड़कर आए, मानो उनकी ट्रेन छूट रही हो। भागने की वजह से उनका चश्मा टूट कर बिखर गया। उन्होंने आनन-फानन मे फ्रांस फोन लगाया पर हर बार फोन कट जाता। बूढ़ी अौरत कहने लगी, "कैसे नालायक लोग हैं ये फोन वाले, ज़रूरत के वक़्त पर कभी नेटवर्क नहीं देते।"
दोनों का दिल बैठे जा रहा था और उनका परेशान होना लाज़मी भी था, आखिर उनका इकलौता बेटा, बहू और एक प्यारा सा 5 साल का पोता, जिसका उन्होंने चेहरा तक नहीं देखा था, फ्रांस में ही रहते थे। बूढ़ी अौरत बड़बड़ाने लगी और शिकायत भरे लहजे में बोलीं, "मैंने तो पोते का मुँह भी नहीं देखा, मेरे मरने के बाद लायेंगे क्या उसको यहाँ? जब मेरा ऑपरेशन हुआ था, तब भी बुलाया था, तभ भी नहीं आए।
ऐसे कैसे नवाब हो गए हैं ये सब?" पति देव ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुएे कहा, "अरे, हमारा बेटा बड़ा अफसर है। काम में इतना वयस्त रहता है कि समय ही नहीं मिल पाता और एक तरफ हम हैं जिनको कोई काम-धाम ही नहीं हैं, फालतू में उसे परेशान करते रहते हैं।" पति सब कुछ जानते हुएे भी नादान बन रहे थे और अपनी पत्नी के झूठे विश्वास को और बढ़ा रहे थे। और मन ही मन सोच रहे थे कि कल ही तो फ़ोन किया था, लेकिन उसने तब भी फ़ोन नहीं उठाया।
अपनी पत्नी के सिर पर हाथ सहलाते-सहलाते, गुस्से में आकर, मन ही मन बोले, "एैसा कोन सा गुनाह किया है मैंने? क्या उसको पढ़ाना-लिखाना पाप था? क्या इसी दिन के लिए बड़ा किया था कि जब हमें उसकी ज़रूरत पड़े तब हमें अकेले जीना पड़े? इन पढ़े-लिखे जाहिलों से तो हम अनपढ़ अच्छे हैं।" ये सब सोचते-सोचते उनकी आँखों से आँसू की बूँद बीवी के गाल पर गिर गई।
ये वही गाल थे जो बच्चे की परवरिश करते हुए, उम्र से पहले ही मुरझा गए थे। उनकी पत्नी उनकी गोद में सो रही थी कि तभी अचानक से एक कॉल आया और पत्नी की झट से आँख खुल गई। उन्होंने फोन उठाया, वो साहबज़ादे का ही फ़ोन था। वो फ़ोन पर टूट पड़ीं और एक साँस में बोल पड़ीं, "तू ठीक तो है ना, बहू और पोता कैसे हैं? तू यहीं आजा नहीं तो मेरा मरा मुँह देखेगा।" बेटे ने भी आने के लिए हामी भर दी। फ़ोन रख कर बूढ़ी माँ पति से बोलीं, "देख लो, वो आ रहा है।" पति देव को उस दिन समझ आया कि नारी शक्ती और माँ को सर्वोपरी क्यों रखा गया है। जिस बेटे ने 5 साल तक सुध भी नहीं ली थी, उसके लिए भी इतना प्यार, कमाल है। धन्य है वो माँ। वैसे उसके आने की वजह माँ की धमकी नहीं, ISIS का खौफ़ था, यह सोचकर राहुल के पिताजी मन्द-मन्द मुस्कुरा रहे थे। उन्होंने मन ही मन सोचा, "चलो, ISIS ने कुछ तो भला काम किया।"
~सौरभ गुप्ता | पुनः प्रेषित