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क्यों जरूरी है डिजिटल उपवास ? why is important digital fasting ?

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क्यों जरूरी है डिजिटल उपवास ?  why is important digital fasting ? क्या है डिजिटल उपवास ? डिजिटल उपवास का मतलब यह है की आइपेड, आइफोन , लेपटोप, और पीसी पर फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से दूर, बिना किसी फोटो या स्टेटस को अपलोड किये या दुसरे की पोस्ट पर कमेंट्स या लिखे किये बिना रियल लाइफ और असली दोस्तों के टच में रहने की कोशिश करना है | ऐसा देखा गया है की सोशल मीडिया के सिकार लोगो लो ही मनोवैज्ञानिक डिजिटल उपवास की सलाह देते है | लोग एस सलाह को मान भी रहे है | एक मित्र ने सवेरे से अपने मित्र को चार पांच बार फोन किया । लेकिन उसका फोन उठ ही नहीं रहा था। व्हाट्सएप और फेसबुक पर भी मैसेज किया लेकिन कोई जवाब नहीं।मुझे चिंता हो गई आखिर दोपहर बाद रहा नहीं गया। मैं नजदीक ही रहने वाले मित्र के घर पहुंच गया। देखा तो श्रीमान गार्डन में एक पुस्तक लेकर बैठे हुए थे। मैं जाते ही बरस पड़ा। सुबह से तुम्हें फोन कर रहा हूं। मैसेज भी कर रहा हूं । लेकिन तुम्हारा कोई जवाब ही नहीं मिल रहा क्या बात है तबीयत तो ठीक है ? मित्र ठठाकर हंस पड़ा और बोला भाई मेरा आज उपवास है इसलि

क्या ज़िन्दगी आपको पागल कर रही है?

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क्या ज़िन्दगी आपको पागल कर रही है ? | Sadhguru Hindi Add caption आम तोर पर हम सभी एक ही साइज़ की खोपड़ी होती है | में महिलाऔ को छोड़ देता हु तो ज्यदातर इंसानों की खोपड़ी में पर्याप्त दिमाग होता है सभी   में सिवाय उनके जिनमे जन्म से ही गंमिर खराबी हो | लगभग सभी सामान्य इंसानों में वो होता है जो जीवन जीने के लिए जरुरी है | लेकिन फिर ऐसा क्यू होता है एक आदमी का दिमाग परतिभा से चमकता है और दुसरे आदमी का दिमाग भरा होता है दुःख, पीड़ा , तनाव , परेशानी , और ऐसे ही चीजो से वो सभी भंयकर चीजे है जो कोई नही चाहता है   लोगो के मन चलती रहती है| तो क्या ये उची बुधि की बात है | या किसी जादुई असर की वजह से है या फिर अपने अन्दर जरुरि संतुलन लाने की बात है ताकि जीवन का जादू आप को छु सके एक देडी बूधी चाहे बहार से कितनी सुन्दर हो स्मार्ट लगे इस जिदंगी को सुन्दर तरीके से नही चला सकती | और संतुलन सबसे जरुरी है | हर इस्तर पर संतुलन | वर्ना हमारा अपना दिमाग हमारे खिलाप हो जायेंगे| एस हद तक आज दुनिया में आराम का एक ही विचार तरीका है या तो सो जाइए | या शराब दृंग्स कोशीश बस इतनी है थोड़ी देर के लिए दि

पैरो में बदबू क्यों आती है और इसे रोकने के उपाय

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पैरों से बदबू आना (smelly feet) एक आम समस्या है परन्तु जिन लोगों के पैरों से बदबू आती है उन्हें बहुत शमिंदगी उठानी पड़ती है. ऐसे लोग और लोगों के बीच नंगे पाँव नहीं बैठ सकते. इस समस्या के लिए कोई दवाई नहीं है बल्कि आप रोजाना अपनी दिनचर्या में कुछ बातों को अपनाकर पैरों की बदबू को दूर कर सकते हैं. यहाँ हम ऐसी ही कुछ जरूरी बातों के बारे में बता रहे हैं: साफ़-सफाई सम्बंधित: • अपने पैरों को अच्छी तरह से धोया करें. अपनी उंगलियों के बीच भी स्क्रब करना न भूलें. अपने पैर दिन में कम से कम एक बार धो लें. • अपने पैरों को अच्छी तरह सुखायें. उंगलियों के बीच की जगह न भूलें. • अपने पैरों पर टेलकम पाउडर लगाएं. यह एक ऍस्ट्रींजंट है, इसलिए यह आपके पैर को सुखा देता है. जूते-मोज़े सम्बंधित: • सैंडल्स या खुली-उंगलियों वाले शूज पहनें - खुले शूज पहनने से हवा आपके पैरों के इर्द-गिर्द घुमेगी, इन्हें ठंडक देते हुए और इतना सारा पसीना निर्माण होने से रोकेगी. • सर्दी के महिनों के दौरान, चमडे या कॅनवास के जूते पहनें जो आपके पैरों को "साँस" लेने देंगे। रबड या प्लास्टीक जूतों से दूर रहें.

इमोजी क्या है एवं इसका उपयोग | What is Emoji and It Uses in hindi

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इमोजी क्या है एवं इसका उपयोग | What is Emoji and It Uses in hindi इमोजी एक इलेक्ट्रॉनिक चित्र का ऐसा समूह है जो कि आपके चेहरे के भाव को एक छोटी सी इमेज द्वारा व्यक्त करता है. वर्तमान में हम दोस्तों और परिवार के संपर्क में रहने के लिए लोकप्रिय सामाजिक नेटवर्क जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, स्नेपचैट, इन्स्टाग्राम और व्हाट्सएप का उपयोग ज्यादा करने लगे है. इमोजी इन सभी आधुनिक संचार माध्यम में मौजूद होते है. आजकल इन उपकरणों में भी काफ़ी बदलाव आये है. बहुत सारे ऐसे एप्प मौजूद है, जिनमे स्माइली, दुखी, गुस्से इत्यादि हर तरह की भावना को व्यक्त करने वाले चेहरे के साथ इमेज मौजूद होती है. यह आपकी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक शार्टकट तरीका है. इसके बारे में जानकारी यहाँ दर्शायी जा रही है. इन्स्टाग्राम खाता क्या है इसे कैसे बनाये व डिलीट करें यहाँ पढ़ें. इमोजी क्या है (What is Emoji) इमोजी को शुरू में जापान में उपयोग किया जाता था और अब इसका इस्तेमाल पुरे विश्व में होने लगा है. पहली बार इसका अविष्कार और इस्तेमाल शिगाटेका कुरिता ने किया था और 2011 में जब आईफ़ोन ने इसको पेश किया, तब स

सही टाइम आता है बस धेर्य बनाये रखे : सिद्धान्त चतुर्वेदी

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वेब सीरीज से एक्टिंग केरियर की शुरआत करने वाले सिद्धान्त चतुर्वेदी एक क्लासिफाइड सी ए है  गली बॉय फिल्म की कहानी सची साबित हुई सिद्धान्त चतुर्वेदी के लिए | अपना टाइम आएगा  ( be always possitive ) गली बॉय की फिल्म मेरी लाइफ में एक टर्निंग पॉइंट की तरह शाबित हुई जिससे आज मेरी एक अलग पहचान भी बन चुकी है | अब में जन्हा भी जाता हु , लोग मुझे ऍम सी शेर कह्कर बुलाते है ऐसा कम ही देखने में आता है की किसी सपोर्टिंग एक्टर को  दर्सको का इतना प्यार मिले जो मुझे इस फिल्म से मिला है | अपनी एस सफलता से मैंने सिखा की किसी भी  शेत्र में हीरो बनने का एक फार्मूला है की जिस तरह मैंने अपनी एक्टिंग पर ध्यान दिया ठीक वेसे ही आप बस अपने काम पर ध्यान दे | ध्यान रखे की आपको हीरो बनाना पब्लिक के हाथ में आता है जबकि अपनी कला और काम को बेहतर बनाना पूरी तरह आपके हाथो होता है | CA बनने के बाद सुरु की एक्टिंग  सिनेमा से मेरा प्यार बहुत कम उम्र में ही शुरु हो गया था | तब में लिखता जरुर था, लेकिन  एक्टिंग के बारे में नही सोचा था, में जब नवी क्लास में था, तब मैंने अपनी पहली कविता लिखी और फीर लि

ऐसे बनो की लोगो को रास्ता दिखा पाओ

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इस स्टोरी में आपको 2 मेसेज देने वाला हु |  ऐसे बनो की लोगो को रास्ता दिखा पाओ  ये स्टोरी है दो घोड़ो के बारे में है जो ये दो घोड़े है बहुत ही अच्छे बेस्ट फ्रेंड् होते है | एक पास बात यह होती है की एक ऐसा घोडा होता है जो बचपन से अँधा होता है | और जो दूसरा घोडा होता है उसके गले में घंटी बंधी होती है जब साम को जगत से वापिस आना होता है वो आगे -आगे  चलता है और हो घोडा अँधा होता वो उसको फॉलो करता है ( उसकी घंटी की की आवाज सुनकर ) जो दूसरा वाला वो भी उस घोड़े की की तरह बन चूका है जो हमे रास्ता दिखाता है हम घंटी की आवाज सुनते रहते है | बुत हम अंधे हो चुके हो | हमे नहीं पता की सही रास्ता क्या है ? पर ऊपर वाला हमे सही रास्ता दिखाता हाउ उस घंटी की आवाज आपको सुनाई दे रही है | अगर आपको सुनाइ नही दे रही है तो उसको ध्यान से सुनो वो गह्न्ति की आवाज जरुर सुनाई देगी | और ऊपरवाला आपको सही रास्ता दिखायेगा ये था पहला मेसेज आप उस घोड़े की तरह बनो जिसके गले में घंटी है मतलब आप ऐसे बनो क आप लोगो की रास्ता दिखा पाओ जो लोग अंधे हो चुके है जिन्हें ज़िन्दगी जीने के सही मायना नही पता है

एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी..

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एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी...बड़ा और छोटा पढ़ने मे बहुत तेज थे। उनके माँ बाप उन चारो से बेहद प्यार करते थे मगर मंझले बेटे से थोड़ा परेशान से थे। बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया। छोटा भी पढ लिखकर इंजीनियर बन गया। मगर मंझला बिलकुल अवारा और गंवार बनके ही रह गया। सबकी शादी हो गई । बहन और मंझले को छोड़ दोनों भाईयो ने Love मैरेज की थी। बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी। आख़िर भाई सब डाक्टर इंजीनियर जो थे। अब मंझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी। बाप भी परेशान मां भी। बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भैया से मिलती। मगर मझले से कम ही मिलती थी। क्योंकि वह न तो कुछ दे सकता था और न ही वह जल्दी घर पे मिलता था। वैसे वह दिहाडी मजदूरी करता था। पढ़ नहीं सका तो...नौकरी कौन देता। मझले की शादी कीये बिना बाप गुजर गये । माँ ने सोचा कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए अपने ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मझले की शादी करवा दी। शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मझला बड़े लगन से काम करने लगा । दोस्तों ने कहा... ए चन्दू आज अड्डे पे आना। चंदू - आज नहीं फिर कभी दोस