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पैरो में बदबू क्यों आती है और इसे रोकने के उपाय

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पैरों से बदबू आना (smelly feet) एक आम समस्या है परन्तु जिन लोगों के पैरों से बदबू आती है उन्हें बहुत शमिंदगी उठानी पड़ती है. ऐसे लोग और लोगों के बीच नंगे पाँव नहीं बैठ सकते. इस समस्या के लिए कोई दवाई नहीं है बल्कि आप रोजाना अपनी दिनचर्या में कुछ बातों को अपनाकर पैरों की बदबू को दूर कर सकते हैं. यहाँ हम ऐसी ही कुछ जरूरी बातों के बारे में बता रहे हैं: साफ़-सफाई सम्बंधित: • अपने पैरों को अच्छी तरह से धोया करें. अपनी उंगलियों के बीच भी स्क्रब करना न भूलें. अपने पैर दिन में कम से कम एक बार धो लें. • अपने पैरों को अच्छी तरह सुखायें. उंगलियों के बीच की जगह न भूलें. • अपने पैरों पर टेलकम पाउडर लगाएं. यह एक ऍस्ट्रींजंट है, इसलिए यह आपके पैर को सुखा देता है. जूते-मोज़े सम्बंधित: • सैंडल्स या खुली-उंगलियों वाले शूज पहनें - खुले शूज पहनने से हवा आपके पैरों के इर्द-गिर्द घुमेगी, इन्हें ठंडक देते हुए और इतना सारा पसीना निर्माण होने से रोकेगी. • सर्दी के महिनों के दौरान, चमडे या कॅनवास के जूते पहनें जो आपके पैरों को "साँस" लेने देंगे। रबड या प्लास्टीक जूतों से दूर रहें.

ये वो बाते जो आपको जरुर जानना चाहिये | नहीं तो हो सकता है बड़ा नुक्सान

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कुछ उपयोगी बाते।। ★ घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। सकारात्मक ऊर्जा का वास घर में रहता है तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की किरणें घर में प्रवेश कर सकें। ★ भोजन बनाते समय गृहिणी का हमेशा मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे भोजन सुपाच्य और स्वादिष्ट बनता है। साथ ही पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति की पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।। ★ जो बच्चे में पढ़ने में कमजोर हैं, उन्हें पूर्व की ओर मुख करके अध्ययन करना चाहिए। ★ रात को सोते वक्त व्यक्ति का सिर हमेशा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। कभी भी उत्तर दिशा की ओर सिर करके नहीं सोना चाहिए। इससे अनिद्रा रोग होने की संभावना होती है साथ ही व्यक्ति की पाचन शक्ति पर विपरीत असर पड़ता है। घर में कभी-कभी नमक के पानी से पोंछा लगाना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।। ★ घर से निकलते समय माता-पिता को विधिवत (झुककर) प्रणाम करना चाहिए। इससे बृहस्पति और बुध ठीक होते हैं। इससे व्यक्ति के जटिल से जटिल काम बन जाते हैं।। ★ घर का प्रवेश द्वा

नागफनी इन 20 रोगों में किसी वरदान से कम नही

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नागफनी इन 20 रोगों में किसी वरदान से कम नही नागफनी इन 20 रोगों में किसी वरदान से कम नही, करती है संजीवनी बूटी की तरह काम, नागफनी को संस्कृत भाषा में वज्रकंटका कहा जाता है . इसका कारण शायद यह है कि इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं . पहले समय में इसी का काँटा तोडकर कर्णछेदन कर दिया जाता था .इसके Antiseptic होने के कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी . कर्णछेदन से hydrocele की समस्या भी नहीं होती। नागफनी फल का हिस्सा flavonoids, टैनिन, और पेक्टिन से भरा हुआ होता है नागफनी के रूप में इसके अलावा संरचना में यह जस्ता, तांबा, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मोलिब्डेनम और कोबाल्ट शामिल है। नागफनी, स्वाद में कड़वी और स्वाभाव में बहुत उष्ण होती है। यह पेट के अफारे को दूर करने वाली, पाचक, मूत्रल, विरेचक होती है। औषधीय प्रयोग के लिए इसके पूरे पौधे को प्रयोग किया जाता है। कुक्कर खांसी, में इसके फल को भुन कर खाने से लाभ होता है। इसके फल से बना शरबत पिने से पित्त विकार सही होता है। नागफनी का पौधा पशुओं से खेतों की रक्षा ही नहीं करता बल्कि रोगों से हमारे शरी

पानी से करें आंखों के हर रोग को दूर, जानें कैसे?

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 पानी से करें आंखों के हर रोग को दूर, जानें कैसे?   आज हम आपको बता रहे हैं कि आप केवल पानी के इस्तेमाल से कैसे अपनी आंखों को स्वस्थ और तेज रख सकते हैं। जी हां, पानी सिर्फ पीनी और रोजमर्रा के कामों में ही इस्तेमाल नहीं होता है बल्कि पानी से हम अपनी आंखों को भी सही कर सकते हैं। इतना ही पानी के कुछ खास तरह के इस्तेमाल से जिन लोगों को चशमा है वो भी उतर सकता है। आइए जानते हैं कैसे? सुबह उठकर पहले फ्रेश हो। उसके बाद अपने मुंह में पानी भर लें। पानी इतना भरे कि मुंह में हवा जाने की भी जगह ना हो। अब अपनी आंखों पर 10 से 15 मिनट तक ठण्डे पानी से छींटे मारें। ऐसा करने से कमजोर आंखें तो सही होती ही हैं साथ ही आंखों के नीचे के काले घेरे यानि कि डार्क सर्कल भी सही होते हैं। करीब 3 से 4 महीने तक अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको खुद ही फर्क नजर आएगा। इसके अलावा सुबह खाली पेट हल्का गुनगुना 2 ग्लास पानी पीएं और पूरा दिन भी धीरे-धीरे पानी का सेवन करते रहें। ऐसा करने से आपकी आंखों को बहुत आराम मिलेगा और आंखें सही हो जाएंगी। आपकी आंखें अनमोल हैं, इन्‍हें सलामत रखना भी बहुत जरूरी है। आज हम आपको बता

चावल के पानी को फैंकिये मत

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चावल के पानी को फैंकिये मत  चावल के पानी को फैंकिये मत हम आपको बतायेंगे इसके 8 चमत्कारिक उपयोग! वर्तमान में लगभग हर कोई भोजन में चावल खाना पसंद करता हैं, लेकिन क्‍या कभी आपने चावल के गर्मागर्म पानी का सेवन किया हैं जिसे लोग मांड के नाम से भी जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि उबले चावलों का पानी हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। आइए जानते है इसके बारे में... चावल के पानी के 8 चमत्कारिक फ़ायदे : त्‍वचा और बालों के लिए : अधिकांश महिलाये खाने को स्वादिष्ट बनाने के चक्कर में खाद्य पदार्थों के लाभकारी स्वास्थ्यवर्धक बहुमूल्य तत्वों को फेंक देती हैं जैसे चावल का मांड। चावल के मांड यानी पकाते वक्त बचा हुआ सफेद गाढा पानी बहुत काम का होता है। उसमें प्रोटीन, विटामिन व मिनरल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ आपकी त्‍वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। आपको विश्‍वास नहीं हो रहा न लेकिन यहां दिये उपायों को जानकर अगली बार आप चावल पकाते समय उसके पानी को फेंकने से पहले दो बार सोचेगें। पेट के लिए : जिन लोगों को अक्‍सर पेट की समस्‍या रहती है, ऐसे कमजोर

इस पौधे की सिर्फ़ 4 पत्ती मधुमेह को घुटने टेकने पर मजबूर कर दे

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इस पौधे की सिर्फ़ 4 पत्ती मधुमेह को घुटने टेकने पर मजबूर कर दे इस पौधे की सिर्फ़ 4 पत्ती मधुमेह को घुटने टेकने पर मजबूर कर दे , ये शुगर लेवल को कम करने में बहुत कारगर है ★ मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसके रोगी को बहुत समय तक तो इस रोग के होने का पता ही नहीं चलता है। आधुनिक समय में यह अंग्रेजी के शब्द ´डाइबिटीज´ के नाम से जाना जाता है। इस तरह के रोग में रोगी के पेशाब के साथ शहद जैसा पदार्थ निकलता है, यह रोग धीरे-धीरे होता है। इसके प्रभाव से शरीर की शक्ति घटती जाती है! ★ इस रोग के शुरुआत में स्वभाव में चिड़चिड़ापन, आलस्य, प्यास अधिक लगना, अधिक पा नी पीना, काम में मन न लगना, जी घबराना औ कब्ज की शिकायत आदि लक्षण प्रकट होते हैं। औरतों की अपेक्षा पुरुषों में यह रोग अधिक होता है। मोटे आदमी अक्सर इस रोग से पीड़ित देखे जाते हैं। पहले यह रोग 40-50 वर्ष की अवस्था में होता था, लेकिन आजकल छोटे बच्चों को भी रोग हो जाता है। मधुमेह रोग में पैतृक (वंशानुगत) प्रभाव का भी बहुत बड़ा योगदान है।  शरीर में इंसुलिन नाम का तत्व पाचन क्रिया से सम्बन्धित पेनक्रियाज गंथि से उत्पन्न होता है। इससे शक्कर रक

उबली हुई चायपत्ती को मत फैंकिये

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उबली हुई चायपत्ती को मत फैंकिये  उबली हुई चाय पति  चाय हर घर में बनती हैं और लोग इसे थकान मिटाने के लिए पीते है। अक्सर लोग चाय बनाने के बाद इसकी पत्ती को बेकार समझ कर फैंक देते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस उबली हुई पत्ती को घर पर बहुत से कामों के लिए इस्तेदमाल किया जा सकता है। आइये जानते है इसके फायदे : आ  ★ चोट लगने पर उबली हुई चाय की पत्ती घाव में भरने से इसमें से खून बहना बं हो जाता है। ★ बालों को नर्म, मुलायम और चमकदार बनाने के लिए मेंहदी में चाय की पत्ती, आंवले का पाऊडर मिलाकर लगाने से फायदा मिलता है। ★ काबुली चने बना रही हैं तो चने उबालते समय चाय की पत्ती की पोटली बनाकर डाल दें। इससे चने का रंग और स्वाद अच्छा हो जाएगा। ★ लकड़ी का फर्नीचर गंदा हो गया हो तो उसे साफ करने के लिए पानी में पत्ती उबाल कर उस पानी से फर्नीचर और शीशे साफ करें चमक जाएगें। ★ चाय बनाने के बाद बची हुई पत्ती को अच्छे से धो लें। मनीप्लांट और गुलाब पौधे में डालें यह खाद का काम करेगी। चाय बनाने के बाद बची हुई पत्ती को दोबारा उबाल कर उस पानी से घी और तेल के चिकनाई वाले डिब्बे सा

ये फूल रातों-रात झट-पट ख़ून बढ़ाता है

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ये फूल रातों-रात झट-पट ख़ून बढ़ाता है ये फूल रातों-रात झट-पट ख़ून बढ़ाता है तो कोलेस्टेरॉल कम करता है, जो मधुमेह को ख़त्म कर दे वही बालों को नयी जड़ो से उगा सकता है  गुड़हल से होने वाले फ़ायदे जैसे कोलेस्टेरॉल और ब्लड प्रेशर से लेकर मधुमेह या डायबिटीज, किडनी और डिप्रेसन, दिल और दिमाग को शक्ति, मुंह में छाले, बालों की जड़ें मजबूत, सर्दी और खांसी, बालों के झड़ने, बालों की ग्रोथ और शाइनिंग बालों के लिए, बुखार व प्रदर, सूजन, खुजली और जलन, पिंपल्स और मुहांसों, एनीमिया की समस्या और स्टेमिना बढ़ाए और पाचन शक्ति तक है, जो आयुर्वेद में प्रकृति का वरदान है। भारत में गुडहल का पौधा सर्वत्र मिल जाता है लेकिन जब तक इसके उपयोग की जानकारी से अनजान है तब तक ये एक फूल का पौधा समझ कर ही लोग इसका उपयोग करते है गुड़हल (Hibiscus) का फूल दिखने में जितना सुंदर होता है ये उतना ही फायदों से भरपूर भी होता है आयुर्वेद के अनुसार इसके फूल बहुत उपयोगी होते है। गुडहल सामान्यतया  दो प्रकार के है सफ़ेद गुडहल की जड़ो को पीस कर कई दवाओं का निर्माण होता है कई प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने और यहां तक कि

ये उपाय झड़ते बालों को 3 दिन में रोक देता है

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ये उपाय झड़ते बालों को 3 दिन में रोक देता है ये उपाय झड़ते बालों को 3 दिन में रोक देता है, जड़ो से नए बाल उगा देता है, सफ़ेद बाल भी काले हो जाते है, बुढ़ापे तक बालों को बचाना है तो इसे सप्ताह में 3 बार लगाए हर किसी की चाहत है की हमारे बाल काले लम्बे और घने हो क्यूँकि बाल हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। जब बाल सिर पर नहीं होते तो हम समाज में हंसी का कारण भी बन सकते है। आज बाल से संबंधित बहुत सारी समस्याएं पैदा हो गयी है जैसे गिरते बाल व कमजोर बाल इत्यादि। आज पुरुष हो या महिला सभी चाहते है की उनके बाल स्व स्थ व मजबूत बने रहे और जिनके सिर पर बाल नहीं है वह चाहते है की उनके बाल दुबारा वापिस आ जाये। आवश्यक सामग्री  ★. आवला पाउडर ★. दही ★. जैतून का तेल ★. एलोवेरा  पेस्ट बनाने की विधि और उपयोग का तरीका ऊपर बताए गई सभी सामग्री को बराबर मात्रा में लेकर उसका एक पेस्ट तैयार कर लेना है आपका घरेलु उपाय तैयार है। इस पेस्ट को सप्ताह में 3 बार अपने बाल व बाल की जड़ो पर अच्छे लगाना है और इसे 20 मिनट के लिए लगा रहने देना हैं उसके बाद आपको पानी से बाल साफ कर ल

हाई बीपी हो या लो बीपी 10 मिनट में बिलकुल ठीक करेगी यह दवा

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हाई बीपी हो या लो बीपी 10 मिनट में बिलकुल ठीक करेगी यह दवा उच्च रक्तचाप की बीमारी ठीक करने के लिए घर में उपलब्ध कुछ आयुर्वेदिक दवाईया है जो आप ले सकते है । जैसे एक बहुत अच्छी दवा आप के घर में है वो है दालचीनी जो मसाले के रूप में उपयोग होता है वो आप पत्थर में पिस कर पावडर बनाके आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ खाइए ; अगर थोडा खर्च कर सकते है तो दालचीनी को शहद के साथ लीजिये (आधा चम्मच शहद आधा चम्मच दालचीनी) गरम पानी के साथ, ये हाई BP के लिए बहुत अच्छी दवा है । और एक अच्छी दवा है जो आप ले सकते है पर दोनों में से कोई एक । दूसरी दवा है मेथी दाना, मेथी दाना आधा चम्मच लीजिये एक ग्लास गरम पानी में और रात को भिगो दीजिये, रात भर पड़ा रहने दीजिये पानी में और सुबह उठ कर पानी को पि लीजिये और मेथी दाने को चबा के खा लीजिये । ये बहुत जल्दी आपकी हाई BP कम कर देगा, देड से दो महीने में एकदम स्वाभाविक कर देगे! ★ और एक तीसरी दवा है हाई BP के लिए वो है अर्जुन की छाल । अर्जुन एक वृक्ष होती है उसकी छाल को धुप में सुखा कर पत्थर में पिस के इसका पावडर बना लीजिये । आधा चम्मच पावडर, आधा

लहसुन है अमृत

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लहसुन है अमृत  ★ मान्यता है की देव-दानव के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रासायन है। आईए देखें इसके कुछ ऐसे चमत्कारी उपयोग जिनसे आपकी कई परेशानीयां हाल हो सकती हैं, खास तौर पर मोटापा। ★ माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग कमज़ोर नहीं होते हैं। यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन कब्ज को मिटाने वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं ये लहसुन के अचूक प्रयोग। ★ लहसुन के गुणों का वर्णन आयुर्वेद में हजारों बार मिलता है, लेकिन इसको खाना किस प्रकार है यह शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं| अब हम जानेंगे कि लहसुन को सही तरीके से खाने का तरीका क्या है और इससे हमें कौन से फायदे मिलेंगे| लहसुन ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से भी रोकता है| इसके अलावा भी लहसुन खाने के बहुत से लाभ है|  सेवन की मात्रा : ★ कितना लहसुन हम

बुढ़ापे तक रहना है जवान तो खाओ मेथीदाना

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बुढ़ापे तक रहना है जवान तो खाओ मेथीदाना जो व्यक्ति बुढ़ापे तक स्वस्थ और हट्टा कट्टा रहना चाहता हैं, और चाहता हैं के उसको मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग, जॉइंट पैन जैसी बीमारिया ना लगे तो उसको मेथी दाने का रोज़ाना सेवन बताई गयी विधि द्वारा करना चाहिए।   मेथीदाने के फायदे :  मैथीदाना, जितने साल जिसकी आयु हो उतने दाने लेकर धीरे-धीरे खूब चबा-चबाकर रोजाना प्रात: खाली पेट, या शाम को पानी की सहायता से सेवन करने चाहिए, अगर चबाने में दिक्कत हो तो पानी की सहायता से निगल सकते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति सदैव निरोग और चुस्त बना रहेगा और मधुमेह, जोड़ों के दर्द, शोथ(सूजन), रक्तचाप, बलगमी बीमारियां, अपचन आदि अनेकानेक रोगों से बचाव होगा। वृध्दावस्था की व्याधियां जैसे सायटिका, घुटने का दर्द, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ जाना, मांसपेशियों का खिचाव, भूख न लगना, बार-बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि, उसके पास नही फटकेगी। ओज, कान्ति और स्फूर्ति में वृद्धि होकर व्यक्ति दीर्घायु होगा।  मेथीदाना सेवन के तरीके  यद्यपि अलग-अलग बिमारियों के इलाज के लिए मैथीदाना का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है जैसे मैथीदाना भिगोकर

मिल गया AIDS का इलाज

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मिल गया AIDS का इलाज मौजूदा समय में AIDS ही एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज पूरी दुनिया में आज तक नहीं ढूंढा गया| हालांकि कुछ दवाइयों के जरिए इसके असर को कम किया जा सकता है,लेकिन इसे ठीक करने का उपाय अभी तक सामने नहीं आया है| नार्वे के एक रिसर्च इंस्टिट्यूट के द्वारा इसका इलाज ढूंढ लिया गया है, जो कि एक खुशी की बात है| क्या है एड्स- सबसे पहले आपको बता दें,कि AIDS एक ऐसी बीमारी है,जो कि HIV वायरस के द्वारा फैलती है| यह बीमारी मुख्य रूप से हमारे शरीर के रोगों से लड़ने वाली ताकत पर हमला करती है,जिससे कि हमारा शरीर तरह-तरह की बीमारियों को न्योता देता है| एड्स के दौरान होने वाली बीमारियों का इलाज लगभग नामुमकिन हो जाता है| उदाहरण के तौर पर,अगर किसी व्यक्ति को एड्स है,तो उसे TB जैसी बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है और ऐसी बीमारियों का इलाज भी बहुत मुश्किल से होता है| इस बीमारी को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा चुके हैं,लेकिन अब तक सारे ही उपाय स्थाई रूप से इसे खत्म नहीं कर सके| नार्वे के एक रिसर्च इंस्टीट्यूट में इस बीमारी के उपाय के लिए बहुत लंबे समय से एक रिसर्च चल रही

आयुर्वेद ओषधि से क्या क्या लाभ होते है

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आयुर्वेद ओषधि से लाभ आयुर्वेद किसी भी बीमारी को ठीक करने का या हेल्थ ठीक रखने का एक ऐसा तरीका है जो कि कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है और अब तो विदेशों में भी इसका चलन बढ़ गया है और विदेशी भी इसकी ओर रुख कर रहे हैं। आज हम आपको किसी बीमारी के इलाज के लिए टिप्स नहीं दे रहे हैं, बल्कि हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जिसे आप हर रोज अपनाकर बीमारियों से दूर रह सकते हैं। खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए और पानी हमेशा खाना खाने के 40 मिनट बाद ही पीना चाहिए। साथ ही खाने से करीब 45 मिनट पहले पानी पीना चाहिए। – अगर आप कमर दर्द से परेशान हैं तो अश्वगंधा चूर्ण और सौंठ चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें और इसमे से आधा चम्मच चूर्ण सुबह साम गुनगुने पानी से सेवन करें। ऐसा करने से कमर दर्द में लाभ होता है। – जोड़ो का दर्द होने पर हल्दी मेथी दाना और सौंठ 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण कर लें और इन्हें मिलाकर 1-1 चम्मच नाश्ते व शाम के खाने के बाद गुनगुने पानी से लें। इसके सेवन से जोड़ो के दर्द, गठिया, कमर दर्द आदि में फायदा मिलता है। – अगर आप घुटनों के दर

पपीता लौटाएगा लंबे घने बाल

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पपीता लौटाएगा लंबे घने बाल अगर आप अपने बालों को लंबा घना और काला बनाने के तरह तरह के तरीके अपनाकर थक चुके हैं तो हम बताते हैं आपको इसका रामबाण इलाज जो आपकी समस्या को खत्म कर देगा. रूखे और बेजान बाल आपकी खूबसूरती में बट्टा लगा देते हैं. बालों को ठीक करने के लिए आपको किसी कॉस्मेटिक की नहीं बल्कि आपके फ्रीज में पडे़ पपीते को इस्तेमाल में लाने की जरूरत है. कहा जाता हैं कि पपीते में पपाइन नाम का एक एंजाइम होता है. यह एंजाइम आपके बालों को जडों से मजबूत कर उन्हें लंबा और खूबसूरत बनाता है. आज हम आपको पपीते से बनने वाले कुछ हैर मास्क बताने जा रहे हैं. इन्हें आप रसोई में मौजूद सामग्री के साथ आसानी से तैयार कर सकते हैं. पपीता और दही से बनाएं हेयर मास्क - पपीते और दही का यह मास्क आपके बालों को मुलायम बनाएगा. साथ ही सर की खुजली से भी छुटकारा दिलाएगा. इस मास्क को तैयार करने के लिए कटोरी में पपीता डालें फिर उसमें 2 चम्मच दही मिलाएं. दोनों चीजों को मिलाकर एक मुलायम पेस्ट तैयार करें. फिर इस पूरे मास्क को अपने बालों में लगाकर उन्हें एक साफ तौलिए से लपेटें. पैक को बालों में एक घंटे

जानिये फल खाने का सही तरीका

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जानिये फल खाने का सही तरीका 1) फलों को खाली पेट खाना चाहिएसाधारणतया जब आप फल खाते हैं तो शरीर इनके पोषक तत्वों को पचाने के लिए एंजाइम बनाता है। अब यदि आप खाली पेट फल खाते हैं तो शरीर को इन्हें पचाने में कम समय लगेगा और सभी पोषक तत्व आसानी से अवशोषित कर लिए जाएँगे। इसलिए, अब आपको शायद जवाब मिल गया कि फल कब खाने चाहिए। 2) ज्यादा खाना खाने के बाद फल ना खाएं यदि आप खाने के बाद फल खाना चाहते हैं तो 2 से 3 घंटे के अंतराल के बाद खाएं। भारी या अच्छी तरह खाना खाने के बाद फल खाने से उन्हें पचाने में परेशानी होती है। इसलिए इससे पेट में जलन या भारीपन महसूस होता है और इससे अपच और डकार से संबन्धित समस्याएँ पैदा होती हैं। 3) फल खाने का सही समय क्या है?आपने जाना कि फल कब नहीं खाने चाहिए? फल कब खाने चाहिए? नूट्रिशनिस्ट का मानना है कि फलों का सबसे ज्यादा फायदा सुबह खाली पेट खाने से मिलता है। या फिर इन्हें नाश्ते और लंच के बीच अंतराल रखकर खाएं। 4) आप फल कैसे खा सकते हैं? आपने जान लिया कि फल कब खाने चाहिए अब यह जानना भी जरूरी है कि फल कैसे खाएं। यदि आप डाइट पर हैं तो फलों को सलाद के रू

गर्भावस्‍था में स्‍मोकिंग से बच्चे को अस्‍थमा का खतरा!

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एक्‍सपर्ट की मानें तो गर्भावस्था में धूम्रपान से बच्चे को अस्थमा होने का खतरा हो सकता है। दूषित वातावरण के कारण यह बीमारी किशोरों, वयस्कों या अन्य लोगों को भी हो सकती है। व्यक्ति जहां रहता है यदि वहां का वातावरण धूल और गंदगी भरा हो तो दमा होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इसके अलावा घर की कुछ वस्तुएं जिनसे रोगी को एलर्जी होती हो या एलर्जी के अन्य कारक जैसे कॉकरोच, जानवरों के बालों की रूसी तथा फफूंद भी अस्थमा होने के कारण हो सकते हैं। कुछ विशिष्ट प्रकार के वायरस के कारण भी अस्थमा हो सकता है। सांस की तकलीफ का जड़ से सफाया करता है ये आयुर्वेदिक उपाय! विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आनुवांशिक या अन्य वजह जैसे घर के पालतू जानवर, बाहर का वायु प्रदूषण, सुगंधित सौन्दर्य प्रसाधन, सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस, साइनोसाइटिस का संक्रमण, धूम्रपान, व्यक्ति विशेष को कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से एलर्जी, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव एवं कुछ विशेष प्रकार की दवाएं भी अस्थमा का कारण बन सकती हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। जब किसी व्यक्ति के श्वसन के रास्ते में सूजन आ जाती है तो श्वसन

स्वस्थ रहने के 10 मंत्र

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स्वस्थ रहने के 10 मंत्र अगर आप अपनी दिनचर्या में ये 10 चीजें शामिल कर लें तो रोग आपको छू भी नहीं पायेगा. हृदय रोग, शुगर , जोड़ों के दर्द, कैंसर, किडनी, लीवर आदि के रोग आपसे कोसों दूर रहेंगे . 1. आंवला । किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा, इसके साथ चेहरा तेजोमय बाल स्वस्थ और सौ बरस तक भी जवान महसूस करेंगे। 2. मेथी मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले इस पानी में। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा। 3. छाछ तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं 4.हरड़ हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के र

भोजन करने के 10 आयुर्वेदिक नियम

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भोजन करने के 10 आयुर्वेदिक नियम भारत के परिवारों की रसोई में आयुर्वेदिक ज्ञान का प्रयोग व प्रभाव आज भी स्पष्ट परिलक्षित है। जिस प्रकार आयुर्वेदोक्त खाद्य पदार्थों पर आधुनिक काल में हुई शोध के निष्कर्ष आयुर्वेदोक्त द्रव्यों की उपयोगिता सिद्ध करते हैं, उसी प्रकार भोजन के विधि-विधान भी उपयोगी हैं। हालाँकि भोजन ग्रहण करते समय ध्यान में रखे जाने नियमों या प्रोटोकॉल पर ठोस शोध होना चाहिये, परन्तु अनुभवजन्य ज्ञान से इन सिद्धांतों की पुष्टि हुई है। आयुर्वेद में दर्शित भोजन के सुस्पष्ट नियम, निहित तर्क एवं पालन न करने से होने वाली समस्याओं का वर्णन आज भी यथावत उपयोगी है। वैश्विक स्तर पर भारी वैज्ञानिक शोध के बाद भी महर्षि चरक की आहार-विधि या नियमों में एक भी नियम ऐसा नहीं है जिसे आधुनिक वैज्ञानिक शोध के द्वारा नकारा या बदला गया हो। इन नियमों को संक्षेप में समझना व दैनिक-जीवन में उपयोग करना आवश्यक है। संहिताओं, आयुर्वेदाचार्यों के अनुभवजन्य ज्ञान एवं वैज्ञानिक शोध पर आधारित यह चर्चा स्वस्थ व्यक्ति व रोगी दोनों के लिये ही लाभकारी है। 1. उष्णाहार सिद्धांत या गर्मागर्म भोजन का स